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महिला दिवस पर मानवता की जननी के हक में

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,मुनेश त्यागी

“तेरे माथे पे ये आंचल
बहुत ही खूब है लेकिन
इस आंचल को एक परचम
बना लेती तो अच्छा था।”

हर बेटी की मांगे हैं चार,
सेहत शिक्षा हक और प्यार।
वह तो करती है सब की सेवा
फिर क्यों है मुसीबतों की शिकार?

जिस दिन होगा औरत
की मेहनत का हिसाब,
पकड़ी ही जाएगी तब
दुनिया की सबसे बड़ी चोरी।

हम मां बहन बेटी और बहुएं हैं
हम खूबसूरत खूबसूरत प्राणी हैं,
सच में हम मानवता की जननी हैं
हम खूबसूरत खूबसूरत प्राणी हैं।

क्रांति के बिना नहीं हो
सकती है नारी मुक्ति,
नारी बिन नहीं हो सकती
सफल कोई भी क्रांति।

“रुत बदल डाल अगर
फूलना फलना है तुझे,
उठ मेरी जान अब मेरे
साथ ही चलना है तुझे।”

मां की मुक्ति, बहन की मुक्ति
नारी मुक्ति, सबकी मुक्ति,
बेटी की मुक्ति, बहू की मुक्ति
नारी मुक्ति, सबकी मुक्ति।

बच्चों से मानव वंश चले
बच्चे हैं घर की शान,
पर जिस घर में बेटी नहीं
वो घर तो है रेगिस्तान।

औरत ने जनम दिया मर्दों को
मर्दों ने उसे बाजार दिया,
जब जी चाहा मसला कुचला
जब की चाहा दुत्कार दिया।”

बेटी मारी, बहू जलायी
औरत को भी रौंद दिया,
भारत के महान बेटों
ये क्या तुमको हो गया?

बेटियां बेफिक्र घूमें
ऐसे सब नारे ढलवा दो,
बेटियां बेफिक्र घूमें
ऐसे सब वादे बनवा दो।

जहां बेटियां पेट में मारती हों
जहां दुल्हन दहेज में जलती हों,
वहां आवाज उठाना वाजिब है
वहां आवाज उठाना लाजिम है।

भृकुटी भी तानूंगी
आंखें भी दिखाऊंगी,
अब मैं सब कुछ झेलूंगी
पर पीठ नहीं दिखाऊंगी।
मुक्ति की मशालें हाथों
में थाम कर कहूंगी,
अब मैं विजित नहीं
विजेता बनकर दम लूंगी।

सारे अवरोधों को तोड़ना है
सारी रूकावटों को लांघना है
और जहां हो पूरा साम्राज्य
आजादी का, समानता का
इंसाफ का, ममता का
ऐसी दुनिया को गढना है
तो मुझे अब पढ़ना है
सो मुझे अब लड़ना है।

मैं महारानी लक्ष्मीबाई हूं
मैं बेगम हजरत महल हूं
मैं सावित्री बाई फुले हूं
मैं फातिमा शेख हूं
मैं झलकारी बाई हूं
मैं सरोजिनी नायडू हूं
मैं दुर्गा भाभी हूं
मैं सुभद्रा चौहान हूं
मैं मीना कुमारी हूं
मै गायिका नूरजहां हूं
मैं लता मंगेशकर हूं
मैं संघर्षों का इतिहास हूं
मैं दरिंदों का परिहास हूं
काट कर देख लो
बोटी बोटी मेरी
मैं पूरी हिंदू हूं
पूरी मुसलमान हूं
कोई माने या ना माने
मैं पूरा हिंदुस्तान हूं।

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