बॉबी रमाकांत – सीएनएस
जब तक, सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा आम-जनमानस तक नहीं पहुँचेगी, तक तब सबका स्वास्थ्य सबका विकास कैसे मुमकिन होगा? अक्सर, जहां सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है, वहाँ तक अधिकांश ज़रूरतमंद नहीं पहुँच पाते। मेघालय के पश्चिम जान्तिया हिल्स ज़िले के थडलसकींस ब्लॉक में, अनेक सरकारी कार्यक्रमों की साझेदारी से आयोजित अनोखे स्वास्थ्य मेले में एकत्रित स्वास्थ्य सेवा संभव हो सकी।
अंतर-विभागीय तालमेल और साझेदारी की बात तो होती है पर इसे सफलतापूर्वक देखने को मेघालय के पश्चिम जान्तिया हिल्स ज़िले के थडकसकींस ब्लॉक में ही मिला। अनेक सरकारी कार्यक्रम और अन्य वर्गों ने मिलजुल कर अनोखा स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया जहां अनेक रोग की “जिस दिन जाँच, उसी दिन इलाज” शुरू होना संभव हुआ। इस शिविर में सभी सेवाएँ निःशुल्क रहीं।
पश्चिम जन्तिया हिल्स की मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ हेलेन जे उरियाह ने कहा कि थडलसकींस ब्लॉक में दूर-दराज रहने वालों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच अक्सर दुर्लभ है। इस ब्लॉक में टीकाकरण दर भी सबसे कम है, और सबसे अधिक 2-5 वर्षीय बच्चे हैं जिनका मीसल्स रुबेला का टीका नहीं हुआ है। इसीलिए ब्लॉक विकास अधिकारी और स्वयं सहायता समूह की मदद से जो लोग इस स्वास्थ्य शिविर में आ रहे हैं, उनको जो गुणात्मक स्वास्थ्य सेवा मिल रही है, वह सराहनीय है।
मॉल्बियो डायग्नॉस्टिक्स के उपाध्यक्ष शिवा श्रीराम ने बताया कि मेघालय में यह पहला ऐसा स्वास्थ्य शिविर था जहां अनेक रोग के लिये अत्याधुनिक जाँच प्राथमिक स्तर पर उपलब्ध करवायी गई। इस जाँच को आरटीपीसीआर कहते हैं जो अनेक रोग के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित पक्की जाँच है। जाँच के साथ-साथ संबंधित सरकारी कार्यक्रम के तहत इलाज आरंभ किया गया। उदाहरण के तौर पर, टीबी की पॉजिटिव जाँच आने पर रोगी का इलाज भारत सरकार के राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत उसी दिन आरंभ हुआ।
शिवा ने कहा कि ज़मीनी स्तर पर यदि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा सशक्त हो और अंतर-विभागीय और अंतर-वर्गीय साझेदारी मज़बूत हो, तो जन स्वास्थ्य पर कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ता है यह इस स्वास्थ्य शिविर से पुन: स्थापित हो गया है। इसीलिए, इस स्वास्थ्य शिविर के मॉडल को अन्य जगह भी वहाँ के परिवेश में ढाल कर, लागू करना चाहिए।
इस शिविर को, उत्तर पूर्वी इंदिरा गांधी क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पश्चिम जान्तिया हिल्स ज़िले के चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग, ज़िला प्रशासन, थडलसकेन ब्लॉक अधिकारी, मेघालय राज्य ग्रामीण रोज़गार सोसायटी, रोटरी क्लब जोवई, जॉन्स हॉपकिन्स का स्त्री रोग चिकित्सा शास्त्र के लिए अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक कार्यक्रम, उत्तर पूर्वी स्लो फ़ूड और एग्रो-बायोडाइवर्सिटी सोसाइटी, मेघालय की स्वैच्छिक स्वास्थ्य संगठन, और मोल्बायो डायग्नॉस्टिक्स ने, संयुक्त रूप से आयोजित किया।
अनेक विशेषज्ञ-चिकित्सकों ने इस शिविर में निःशुल्क परामर्श दिया – जिनमें, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ, मेडिसिन, आदि प्रमुख रहे।
जिन रोगों की पक्की जाँच मुहैया करवायी गई उनमें टीबी, सर्वाइकल कैंसर, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, यौन रोग, एचआईवी, इन्फ्लुएंजा, दीर्घकालिक श्वास रोग, स्क्रब टाइफ़स, आदि प्रमुख रहे।
इन रोगों की निःशुल्क जाँच रैपिड मॉलिक्यूलर टेस्ट (जिसे “ट्रूनैट” कहते हैं), से की गई। ट्रूनैट, एक पॉइंट-ऑफ़-केयर, विकेंद्रित और बैटरी से चलने वाली मॉलिक्यूलर जाँच है जिसके ज़रिए अनेक रोग की पक्की जाँच संभव है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने टीबी के लिये प्रमाणित भी किया है, और भारत में टीबी जाँच के लिए सबसे अधिक उपयोग होने वाला मॉलिक्यूलर टेस्ट ट्रूनैट ही है। इसे गोवा-स्थित मोल्बायो डायग्नॉस्टिक्स ने निर्मित किया है। भारत सरकार के हेपेटाइटिस कार्यक्रम में भी इसे शामिल किया गया है। वर्तमान में इसे 77 देशों में उपयोग किया जा रहा है।
जिन लोगों की जाँच हुई उन्हें उसी दिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संबंधित कार्यक्रम से जोड़ कर, इलाज मुहैया करवाया गया। कुछ रोगों के इलाज के लिए, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मदद से, दवा वितरण भी किया गया। अनेक संबंधित विषयों पर परामर्श और विशेषज्ञों द्वारा सलाह दी गई, जैसे कि, यौन रोग, एचआईवी, टीबी, मलेरिया, कैंसर (सर्वाइकल कैंसर और स्तन कैंसर), आदि।
इस शिविर में, मेघालय राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की मदद से, विशेष वैन भी शामिल रही जिसमें एचआईवी और यौन रोग सिफिलिस की प्रारंभिक (स्क्रीनिंग) जाँच और परामर्श उपलब्ध थे। एचआईवी से बचाव, एचआईवी पॉजिटिव लोगों को जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवाएँ, आदि मुहैया करवायी गयीं।
जागरूकता व्याख्यानमाला के ज़रिये अनेक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जैसे कि, मिशन इंद्रधनुष, बच्चों के टीकाकरण, टीबी, एचआईवी, आदि।
जिन लोगों को मेघालय स्वास्थ्य बीमा योजना की आवश्यकता थी उनका वहाँ इस योजना के अंतर्गत पंजीकरण हुआ, जिन्हें इसके लिए आधार कार्ड बनवाना था तो यह सुविधा भी उपलब्ध रही, और न्यूनतम जमा-राशी वाला बैंक खाता जिन्हें खुलवाना था वह भी वहीं पर खुल रहा था।
डॉ दारीवियांका ई लालू, महा-प्रबंधक, मॉल्बियो डायग्नॉस्टिक्स ने कहा कि इस स्वास्थ्य शिविर के आयोजन से न सिर्फ़ लोगों को अनेक रोग की उसी दिन जाँच और इलाज प्राप्त हुआ, बल्कि परामर्श, जागरूकता और सहायता भी मिल सकी। अंतर-विभागीय, अंतर-कार्यक्रम, और अंतर-वर्गीय सहयोग और कुशल साझेदारी का यह शिविर एक ज्वलंत उदाहरण बना।
मेघालय में टीबी और एचआईवी
भारत सरकार के राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की 2022 संकल्प रिपोर्ट के अनुसार, मेघालय राज्य में देश की तुलना में दुगना एचआईवी दर है – भारत की आबादी में 0.21% एचआईवी संक्रमण है जब कि मेघालय की आबादी में 0.42%। 2010 की तुलना में 2021 तक, देश के सभी प्रदेशों में एचआईवी के नये संक्रमण दर और एड्स से मृत्यु दर गिरी, परंतु मेघालय में दोनों में बढ़ोतरी हुई। भारत के सभी राज्यों की तुलना में, गर्भवती महिलाओं में सबसे अधिक एचआईवी दर को देखें, तो मेघालय तीसरे स्थान पर है (0.58%) और इनमें सिफिलिस यौन रोग के दर में तो मेघालय प्रदेश, देश में प्रथम स्थान पर है (भारत में गर्भवती महिलाओं में सिफिलिस दर औसतन 0.10% है परंतु मेघालय में सबसे अधिक 0.77%)।
भारत सरकार की राष्ट्रीय टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार, मेघालय में जिन लोगों की संभावित टीबी जाँच होती है उनमें से 71% को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मार्गनिर्देशिका के अनुसार मॉलिक्यूलर टेस्ट जाँच मिलती है, जो टीबी की पक्की जाँच है (36209 टेस्ट प्रति वर्ष)। 2022 में, मेघालय में 4989 नये टीबी रोगी रिपोर्ट हुए जिनमें से 5% दवा प्रतिरोधक टीबी के थे, और 71.4% को फेफड़े की टीबी थी।मेघालय में जिन लोगों को टीबी निकली, उनमें से 92.4% का इलाज आरंभ हुआ। मेघालय में, 2021 में टीबी इलाज सफलता दर 84.8% था।
मेघालय में हालाँकि पुरुषों को महिलाओं की तुलना में अधिक टीबी हुई, परंतु टीबी इलाज सफलता दर महिलाओं में अधिक रही (88.2%) और पुरुषों में कम (8.6%)। टीबी मृत्यु दर महिलाओं में कम रहा (3.3%), और पुरुषों में अधिक (5.5%)।
राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की इंडिया टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार, मेघालय में 2022 तक 55 ट्रूनैट मॉलिक्यूलर टेस्ट मशीन सक्रिय हो गई थीं जिन पर 29086 टेस्ट हुए। जिन लोगों की टीबी जाँच ट्रूनैट पर हुई उनमें से 1829 को टीबी रोग था, और इनमें से 124 को दवा प्रतिरोधक टीबी थी। 2022 में, मेघालय में 244 लोगों की एक्स्ट्रा-पल्मोनरी टीबी (फेफड़े के अलावा शरीर के अन्य भाग की टीबी) की जाँच ट्रूनैट पर हुई और इनमें से 12 को टीबी रोग था।
2021 में, मेघालय में 83.2% टीबी रोगियों को यह पता था कि उन्हें एचआईवी है कि नहीं, और जो लोग टीबी-एचआईवी सह-संक्रमण से ग्रसित थे उनमें से 92% जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवा ले रहे थे और 100% कॉटरीमॉक्साज़ोल थेरेपी पर थे।
मेघालय में एचआईवी के साथ जीवित लोग, जो एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी केंद्र पर गये थे, उनमें से 1% को संभावित टीबी के लिये स्क्रीन किया गया (277 लोग), जिनमें से 91% को टीबी जाँच के लिए भेजा गया (252 लोग), और इनमें से 60% की टीबी जाँच हुई, और इनमें से 23% को टीबी रोग था।
आरटीपीसीआर जाँच न केवल पक्की जाँच है बल्कि जाँच में समय भी अत्यंत कम लगता है: 1 घंटे से कम समय में ट्रूनैट मॉलिक्यूलर टेस्ट से टीबी आदि की जाँच हो जाती है, और अतारिक्त 1 घंटे में दवा प्रतिरोधकता की रिपोर्ट आ जाती है, इसीलिए “जिस दिन जाँच उसी दिन इलाज” आरंभ करना संभव है।
यदि जाँच पक्की नहीं होगी, या रिपोर्ट आने में समय लगेगा तो उसी दिन इलाज कैसे शुरू होगा?
संक्रामक रोग नियंत्रण के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जाँच पक्की हो, और इलाज जल्दी शुरू हो सके। इससे संक्रमण फैलाव पर भी रोक लगेगी।
बॉबी रमाकांत – सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)
(बॉबी रमाकांत, विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक द्वारा पुरुस्कृत, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस (सीएनएस) के संपादकीय मण्डल से जुड़े हैं। ट्विटर: @bobbyramakant)