फ्रेडरिक एंगेल्स ने मजदूर मुक्ति की जिस विचारधारा का प्रतिपादन किया था वह आज भी प्रासंगिक बनी हुई है। उनके विचारों की दुनिया कायम किए बिना अपने देश और दुनिया की जनता की बुनियादी समस्याओं का हल नहीं हो सकता। अतः आज इस दुनिया से रंजो गम, शोषण जुल्म और अन्याय को खत्म करने के लिए दुनिया के सबसे बड़े महान सहयोगी, दोस्त और मित्र फ्रेडरिक एंगेल्स से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है और इस दुनिया को और ज्यादा बेहतर बनाने में महान क्रांतिकारी दोस्त और सहयोगी फ्रेडरिक एंगेल्स की हमारे जीवन में बहुत बड़ी भूमिका बनी हुई है। हमें उनके विचारों को धरती पर उतरने की जरूरत है। तभी उनके महान विचारों के सहयोग से एक बेहतर और जीने लायक दुनिया का निर्माण किया जा सकता है।
मुनेश त्यागी
वैसे तो दुनिया में बहुत सारे विचारकों लेखकों क्रांतिकारियों और महान पुरुषों ने जन्म लिया है पर उन सब में महान क्रांतिकारी विचारक और समाजवाद के पुरोधा फ्रेडरिक एंगेल्स का नाम आज भी सबसे आगरा श्रेणी में बना हुआ है। आज मार्क्सवाद के सह संस्थापक कॉमरेड फ्रेडरिक एंगेल्स की पुण्यतिथि का मौका है। उनका देहावसान 5 अगस्त 1895 को हुआ था। उनका जन्म 28 नवंबर को 1820 को जर्मनी के राइन प्रदेश में हुआ था। फ्रेडरिक एंगेल्स एक धनी परिवार के सदस्य थे, मगर उनके क्रांतिकारी विचार और चेतना उनको दूसरे क्रांतिकारी दार्शनिक विचारों के धनी कार्ल मार्क्स के करीब ले गई और यह दोस्ती आजीवन बनी रही।
दोनों क्रांतिकारियों ने मिलकर कम्युनिस्टों की बाइबिल “कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो” की रचना की। फ्रेडरिक एंगेल्स इसी कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो के मार्क्स के साथ सह रचियेता थे। मार्क्स और एंगेल्स ने जो कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो लिखी थी उसमें “साम्यवाद के सिद्धांत” के लेखक फ्रेडरिक एंगेल्स ही थे। अपनी इस किताब में मार्क्स और इंग्लिश में दुनिया के सामंती और पूंजीवादी समाज के शोषण की पोल खोल दी और उसे पूरी दुनिया के सामने नंगा कर दिया। उन्होंने बताया कि सामंती व्यवस्था और पूंजीवादी व्यवस्था शोषण और अन्याय पर आधारित हैं। उन्होंने पूरी दुनिया को अवगत कराया कि पूंजीवादी समाज, सरकार और सत्ता का विध्वंस करके ही दुनिया के मजदूरों और किसानों को मुक्ति मिल सकती है और उनकी हजारों साल पुरानी समस्याओं, दुखों और कष्टों का समाधान और निवारण हो सकता है।
फ्रेडरिक एंगेल्स एक बहुत बड़े दार्शनिक, विचारक, लेखक और रचनाकार थे। उनकी प्रमुख किताबें हैं,,, होली फैमिली, जर्मन आईडियोलॉजी, द कंडीशन ऑफ वर्किंग क्लास इन इंग्लैंड, ड्यूरिंह्ग मत खंडन, कम्युनिस्ट घोषणापत्र और परिवार, निजी संपत्ति और राज्य की उत्पत्ति और समाजवाद,,, काल्पनिक और क्रांतिकारी। इसके अतिरिक्त इन्होंने सैंकड़ों छोटे-छोटे लेख लिखे हैं और इन सब के द्वारा उन्होंने पूंजीवादी शोषण, अन्याय, जुल्म, अत्याचार, निर्ममता और भेदभाव की पोल खोल दी और पूंजीवादी व्यवस्था को दुनिया के सामने नंगा कर दिया और पूरी दुनिया के सामने वैज्ञानिक समाजवाद की विचारधारा पेश की।
फ्रेडरिक एंगेल्स कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो की प्रस्तावना में बार-बार कहते हैं कि मजदूर वर्ग की मुक्ति, मजदूर वर्ग ही करेगा। यह स्थापना और सिद्धांत पिछले डेढ़ सौ बरसों से सही साबित हुए हैं। लेनिन ने इसी स्थापना को आगे बढ़ाया और कहा कि मजदूरों और किसानों की मुक्ति, मजदूर-किसान मोर्चा ही कर सकता है, यानी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में मजदूर किसानों का क्रांतिकारी मोर्चा ही उनकी हजारों साल पुरानी गुलामी, गरीबी, भेदभाव, अन्याय और शोषण को खत्म कर सकता है।
मार्क्स और एंगेल्स के इन्हीं विचारों को आगे बढ़ाते हुए, रुस के महान लेनिन ने इन्हीं विचारों को आगे बढ़ाते हुए, मजदूरों के साथ-साथ किसानों और दूसरे मेहनतकशों को भी शामिल कर लिया। इस प्रकार दुनिया में एक नारा पैदा हुआ,,, “दुनिया भर के मेहनतकशों एक हो” और महान क्रांतिकारी लेनिन ने मार्क्स और एंगेल्स के विचारों को आगे बढ़ाया और मार्क्सवादी सिद्धांतों का विस्तार किया। इस प्रकार मार्क्स और एंगेल्स की विचारधारा के साथ साथ, मार्क्सवाद लेनिनवाद की विचारधारा का जन्म हुआ। और कमाल की बात यह है कि आज दुनिया को लूटने वाले पूंजीवादी साम्राज्यवाद का मुकाबला, यह मार्क्सवाद लेनिनवाद की विचारधारा ही कर रही है।
सोवियत संघ ,चीन, पूर्वी यूरोप, वियतनाम, उत्तरी कोरिया, क्यूबा, बोलीविया, वैनेजुएला, मैक्सिको, दुनिया के दूसरे हिस्सों और भारत में वाम मोर्चा द्वारा शासित पश्चिमी बंगाल, केरल और त्रिपुरा में यह बात सही साबित हुई है जहां कम्युनिस्ट पार्टी और वामपंथी मोर्चे ने किसानों मजदूरों की मुक्ति के लिए उनको रोजी, रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और भूमि देने के लिए अनेक काम किए और और आज भी ये सिद्धांत पूंजीवादी व्यवस्था का बखूबी मुकाबला कर रहे हैं। मार्क्सवाद लेनिनवाद ने यह सिद्ध कर दिया है और पूरी दुनिया को दिखा दिया और बता दिया है कि पूंजीवादी व्यवस्था का मुकाबला या स्थापन केवल और केवल समाजवादी व्यवस्था ही हो सकती है। पूंजीवादी दुनिया और व्यवस्था के पास जनता की बुनियादी समस्याओं,,, रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, सुरक्षा और बुढ़ापे की पेंशन का समाधान नहीं है।
एंगेल्स अपने अभिन्न दोस्त कार्ल मार्क्स के आजीवन दोस्त बने रहे, वे आजीवन मार्क्स के परिवार की मदद करते रहे। मार्क्स के परिवार की मदद करने के लिए उन्होंने अपना लेखन का काम छोड़ा और क्लर्क की नौकरी की और उनकी आर्थिक मदद की। अपने अभिन्न दोस्त कार्ल मार्क्स की खातिर, यह उनका दुनिया में सबसे बड़ा त्याग और बलिदान है जिससे हम और सारी दुनिया बहुत कुछ सीख ले सकते हैं।
मार्क्स ने खुद ही कहा था कि” यदि एंगेल्स की निस्वार्थ आर्थिक मदद न होती, तो मैं अपने क्रांतिकारी दार्शनिक काम को आगे न ले जा पाता।”
फ्रेडरिक एंगेल्स हालांकि एक धनी परिवार से संबंधित थे। उनके पिता कारखाने के मालिक थे, मगर कारखाने में मजदूरों का शोषण देखकर, वह उसको बर्दाश्त न कर सके और वे लेखन के काम में जुट गए। उन्होंने अपने जीवन यापन के लिए कई नौकरियां की, फौज में भी नौकरी की। वे एक महान लेखक, दार्शनिक और क्रांतिकारी चिंतक थे। इसी वजह से उनके दोस्तों ने और स्वयं कार्ल मार्क्स ने उन्हें “जनरल” की उपाधि दी थी।
एंगेल्स उच्च कोटि के लेखक और क्रांतिकारी दार्शनिक थे। उन्होंने मार्क्स को सदैव अपने से आगे रखा। वे मार्क्स को एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी मानते थे और इस तरह से एंगेल्स सबसे पहले मार्क्सवादी थे। इस प्रकार हम देखते हैं की मार्क्स और एंगेल्स ने और बाद में लेनिन ने, पूंजीवादी व्यवस्था की और पूंजीवादी विचारधारा के शोषण, अन्याय, भेदभाव, गैरबराबरी, और जुल्मों सितम की पोल खोल दी और उनकी कब्र खोद दी और इस प्रकार उन्होंने दुनिया को एक विचारधारा प्रदान की, जिसके आधार पर पूरी मानव जाति क्रांति करके, समाजवादी व्यवस्था कायम करके, दुनिया से शोषण, जुल्म, अन्याय, भेदभाव और गैर बराबरी का खात्मा कर सकती है और एक ऐसी दुनिया कायम कर सकती है जिसका आधार समता, समानता, बराबरी, भाईचारा, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद और सबका विकास और कल्याण होंगे।
मार्क्स और एंगेल्स ने इस दुनिया को केवल व्याख्यायित ही नहीं किया बल्कि इसे बदलने का काम भी किया। इसके बदलने के काम के लिए पहला अंतरराष्ट्रीय इंटरनेशनल मजदूर संघ भी बनाया और इस संघ में लगातार कार्य किया। मार्क्स की मृत्यु के बाद एंगेल्स ने, मार्क्स के अधूरे कामों को पूरा किया। दास कैपिटल के पार्ट दो और तीन को पूरा किया और अंतरराष्ट्रीय मजदूर वर्ग का मरते दम तक नेतृत्व किया। एंगेल्स की महान भूमिका को देखते हुए और मार्क्स के शब्दों को आगे बढ़ाते हुए हम कह सकते हैं कि यदि एंगेल्स न होते तो शायद मार्क्सवाद भी नहीं होता। यहां पर फ्रेडरिक एंगेल्स दुनिया की एक महान हस्ती और दुनिया के सबसे बड़े दोस्त बन कर निकलते हैं और वे आज भी दुनिया के सबसे बड़े और सर्वश्रेष्ठ दोस्त बने हुए हैं।
यह दुनिया के सबसे बड़े दोस्त की संक्षिप्त कहानी है। हमें इससे सीख लेकर मार्क्स एंगेल्स के वैश्विक मानव मुक्ति के महान सपनों को साकार बनाने के अभियान में मजबूती से लगे रहना चाहिए।
फ्रेडरिक एंगेल्स की पूरी जीवनी को पढ़कर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं और यह सबक हासिल करते हैं कि हमें जीवन में अपने क्रांतिकारी साथियों की, लेखकों की, कार्यकर्ताओं की, समय पड़ने पर या आवश्यकता होने पर, तन मन धन से मदद करनी चाहिए। अगर हम देखते हैं कि कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से कमजोर है मगर वह दार्शनिक और क्रांतिकारी रूप से मजबूत है तो हमें खुद को और दूसरे लोगों को मिलकर, उसकी आर्थिक मदद करनी चाहिए ताकि वह क्रांतिकारी मार्ग पर आगे जारी रख सके।
फ्रेडरिक एंगेल्स ने मजदूर मुक्ति की जिस विचारधारा का प्रतिपादन किया था वह आज भी प्रासंगिक बनी हुई है। उनके विचारों की दुनिया कायम किए बिना अपने देश और दुनिया की जनता की बुनियादी समस्याओं का हल नहीं हो सकता। अतः आज इस दुनिया से रंजो गम, शोषण जुल्म और अन्याय को खत्म करने के लिए दुनिया के सबसे बड़े महान सहयोगी, दोस्त और मित्र फ्रेडरिक एंगेल्स से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है और इस दुनिया को और ज्यादा बेहतर बनाने में महान क्रांतिकारी दोस्त और सहयोगी फ्रेडरिक एंगेल्स की हमारे जीवन में बहुत बड़ी भूमिका बनी हुई है। हमें उनके विचारों को धरती पर उतरने की जरूरत है। तभी उनके महान विचारों के सहयोग से एक बेहतर और जीने लायक दुनिया का निर्माण किया जा सकता है।