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प्रसंगवश : कैसे थमेगा लिफ्ट की मौतों का सिलसिला?

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सुधा सिंह 

       यदि आप लिफ्ट (Escalator) में कभी अटक जायें ? तो क्या करेंगे ? ईश्वर-अल्लाह को याद करने के अलावा ! बिल्डर के माता-पिता को शाब्दिक तोहफा पेश करने के बाद ? पिछले दिनों लखनऊ तथा नोएडा में लिफ्ट दुर्घटनाओं की कई खबरें छपी हैं।

       प्रश्न मगर यह है कि मनुष्य के प्राण से खिलवाड़ करने वाले चंद मुनाफाखोर भवन निर्माता के गंभीर जुर्म पर दंड कैसा और कब दिया जाएगा ?

         पहला अभियुक्त तो उत्तर प्रदेश पी. डब्ल्यू. डी. (PWD) है क्योंकि उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने 2018 में लिफ्ट और एस्केलेटर अधिनियम का मसौदा तैयार कर राज्य शासन को भेज दिया था। इस एक्ट का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिफ्टों और एस्केलेटरों के उचित रखरखाव और कामकाज के लिए कानून निर्धारित करना था।

        लेकिन आज चार साल बाद भी सरकार उस मसौदे पर पलथी मारे बैठी है। महाराष्ट्र सहित भारत के कई राज्यों में लिफ्टों के कामकाज को नियंत्रित करने के लिए ऐसे कानून बनें हैं। पड़ोसी दिल्ली और हरयाणा में भी। अब तो नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लगभग 2,000 हाईराइज सोसायटी हैं।

       निवासियों का आरोप है कि लोगों के लिफ्ट में फंसने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। कभी कुछ मिनट, तो कभी-कभी घंटे भर के लिए। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लिफ्ट में लोगों के फंसने के बाद स्वचालित बचाव प्रणाली काम नहीं करता।

      न ही सोसायटी की रखरखाव करने वाली टीम तुरंत कारगर कार्यवाही करती है। जवाहर लाल नेहरू ने सुझाया था कि लिफ्ट के अंदर पुस्तकें रखी जायें। बड़ा व्यवहारिक था। 

उत्तर प्रदेश में 2015 से आज छः साल हो गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सपत्नीक (अधुना लोक सभा प्रत्याशी डिंपल यादव) 18 दिसंबर 2015 के दिन विधानसभा भवन में (जहां से राज्य का शासन चलता है) फंस गए थे।

        तब भी समाजवादी शासन को विधेयक को पारित करने की आवश्यकता का एहसास नहीं हुआ। भारत के गृहमंत्री अमित शाह जो देश के रखवाले हैं, को एकदा खुद पटना राज्य अतिथि गृह मे आधे घंटे लिफ्ट में फंसे रहना पड़ा था। तब मसखरे लालू यादव ने सुझाया था कि स्थूलकाय वाले यह भाजपा पुरोधा अपना वजन घटाएँ ! 

इस लिफ्ट वाली समस्या पर “हिंदुस्तान टाइम्स” (लखनऊ) के विशेष संवाददाता बृजेंद्र पाराशर ने कल (4 दिसंबर 2022) अत्यंत उम्दा खबर लिखी। शायद यूपी शासन जग जाए। इस निपुण संवाददाता ने विस्तार  मे तथ्यात्मक और खोजी रपट लिखी है।

         लिफ्ट से हो रही प्राणहानि के हादसों के मीडिया में व्यापक पैमाने पर छपने के बाद भी कानूनी दंड और क्षतिपूर्ति की सूचना अभी तक नहीं मिली। जब से (1859) अमेरिका के मेसचुसेट्स के वकील नाथन एम्स ने लिफ्ट की रचना की तभी से डेढ़ सौ वर्षों में लिफ्ट को अधिक सुरक्षित करने पर विचार तथा योजना बनती रहीं हैं।

       इसे भारत सरकार के पीडब्ल्यूडी ने 2003 में तो लिफ्ट तथा एस्क्लेटर पर वैधुत कार्यों हेतु गजट के भाग तृतीय में छापे भी थे। इसमें करीब चालीस प्रावधान बड़े स्पष्ट और निर्देशात्मक हैं। मसलन लिफ्ट सामग्रियों को अधिष्ठापित किए जाने तथा उठाईगिरी और क्षति से बचाव सुनिश्चित करने का उत्तरदायित्व तुरंत सौंपा जाए।

लिफ्टों की संख्या, चाल, क्षमता तथा प्रकार तथा किसी विशेष भवन में उनके स्थान का निर्णय सुझावों के अनुसार किया जाए। स्थानीय नगर के कानूनों के अनुसार अग्नि बचाओ पहलू तथा भूतल में जल प्रवेश करने से रोक को भी ध्यान में रखा जाए। जहां भी संभव हो लिफ्टों को धुवां या धूल भरे परिवेश में या अत्याधिक तापक्रम के प्रभाव से बचना चाहिए।

       अस्पताल की लिफ्टें, वार्डों, ऑपरेशन थिएटर और अन्य ऐसे क्षेत्रों जहां रोगी को ले जाने की आवश्यकता पड़ती हो, के निकट होनी चाहिए। उन स्थानों पर जहां कोई स्थानीय लिफ्ट अधिनियम नहीं है वहां “बाम्बे लिफ्ट अधिनियम” का पालन किया जाए इत्यादि।

        अब लिफ्ट में हुई दुर्घटनाओं का विवरण पढ़-सुनकर तो दिल दहल जाता है। हालांकि क्या कोई दोषी कभी दंडित हुआ भी ? इसका पता शायद ही चल पाये।

 चन्द अखबारी रपट के आधार पर एक विवरण :

     मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में सेक्टर 78 की एक ऊंची इमारत में बिजली गुल होने के कारण 13 लोग एक ही लिफ्ट में 25 मिनट तक फंसे रहे। इसमें कई बच्चे भी थी। इससे पहले ग्रेटर नोएडा में फ्यूजन होम्स सोसाइटी के छह निवासी 15 मिनट से लिफ्ट में फंसे रहे थे।

       निवासियों का कहना है कि जब लिफ्ट में फंसते हैं तो न इमरजेंसी बटन काम करता और न ही इंटरकॉम।

        रियल एस्टेट डेवलपर कंपनी सुपरटेक फिर चर्चा में आया था। नोएडा-स्थित इस बिल्डर की एक बिल्डिंग में लिफ्ट के फ्री फॉल से बुजुर्ग महिला घायल हो गई थी। मामला सुपरनोवा सोसायटी का है। बुजुर्ग महिला लिफ्ट से नीचे उतर रही थीं। तभी अचानक से झटका खाते हुए लिफ्ट 34वें फ्लोर से सीधे 17वें फ्लोर पर आ गई।

        लिफ्ट के भीतर मौजूद महिला बुरी तरह जख्मी हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायल बुजुर्ग महिला के बेटे ने इस संबंध में नोएडा सेक्टर 126 पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करायी है। इस अपराधी कंपनी के मालिक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है।

      साथ ही लिफ्ट मेंटेनेंस फर्म के प्रबंधन के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ है।

ग्रेटर नोएडा की एक सोसाइटी की लिफ्ट में फंसे बच्चे का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है। ग्राउंड फ्लोर से अपने घर यानी 14वीं मंजिल पर जा रहा एक आठ साल का बच्चा लगभग 10 मिनट तक चौथे और पांचवें फ्लोर के बीच फंसा रहा। लिफ्ट में लगे सीसीटीवी (CCTV) कैमरे में यह पूरी घटना रिकॉर्ड हो गई है।

       गाजियाबाद में एक रिहायशी सोसाइटी की लिफ्ट में तीन लड़कियां फंस गईं थी, जिसका वीडियो सीसीटीवी फुटेज में दिखाया गया था। लड़कियां लिफ्ट के अंदर फंसी हुई थीं।

        फिलहाल इतने त्रासद हादसों पर भी शासन न पसीजे तो अपराधिक कार्यवाही होनी चाहिए। चेतावनी मिले, दंड के साथ।

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