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बढ़ती अराजकता से देश की एकता व अखंडता को खतरा 

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  भरत गहलोत

वर्तमान समय मे देश मे अराजकता का बोलबाला है,

धार्मिक मतभेद व मनभेद अपनी चरम सीमा पर है,

राष्ट्र की एकता व अखंडता खंडित हो रही है धीरे -धीरे मानव -मानव में द्वेष भावना का विकास प्रबलता से हो रहा है,

मानव -मानव में यह भेद व ईष्या , द्वेषभाव मनुष्य को खंडित कर रहा है ,

जिससे कई मनुष्यो में हीन भावना घर कर रही है,

आदमी -आदमी से कटता जा रहा है,

कही पर धर्म के नाम पर ,कही क्षेत्र,प्रदेश , राज्य के नाम ,

जाति के नाम पर, और इन सबको बाटने का काम सरकारे कर रही है,

जो उनको हिंदू ,मुस्लिम , सिख , इसाई, जैन , बौद्ध धर्म ,व अन्य जातियों ,उपजातियों में बांटकर अपने वोट बैंक को मजबूत कर रही है,

अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए वे लोगो को धर्म के नाम पर आपस मे लड़ाई करवा रही है ,

एक दूसरे को अपने लिए खतरा बता रही है ,

कई लोग व राजनेता बता रहे है कि हिन्दू खतरे में है कोई कह रहा है मुस्लिम खतरे में है,

वास्तव में देखा जाए तो यह राजनेता ऐसी धार्मिक वैमनस्यता नही फैलाए तो उनकी कुर्सी राजनीति खतरें में है,

भारत की जनता को चाहिए कि वो मानवता के मर्म को समझे व धर्म मे मानव धर्म , जाति मे मानव जाति, सम्पदाय मे मानव सम्पदाय,रंग में मानव रंग ,मानव मात्र में ईश्वर का अंश विधमान है इस अवधारणा को समझे,

राजनेताओ की चाल को समझे व यह समझे की न हिन्दू खतरे में है न मुस्लिम खतरे में हैं न ही कोई सम्पदाय खतरे में है बल्कि वास्तविकता में मानवता खतरें में है ,

राजनेताओ को चाहिए कि वे धर्म की राजनीति न करते हुए देश के विकास की राजनीति की बात 

करे, प्रतिस्पर्धा   विकास की रखे कि अमुक पार्टी ने इतना विकास किया तो इससे ज्यादा विकास करेगे,

शिक्षा , स्वास्थ्य , रोजगार, चिकित्सा , सड़क मार्ग को सुधारने में अपना योगदान करे न कि वैमनस्यता फैलाने की प्रतिस्पर्धा करे ,

और ऐसा कार्य करना राजनेताओ के लिए संभव नही है,

जिस दिन ऐसे राजनेता संसद में आ जाएंगे तब स्वत् ही भारत विकास के पथ पर अग्रसर होगा व विश्व गुरु के सम्मान को सच्चे अर्थों में प्राप्त करेगा,

  भरत गहलोत

 जालोर राजस्थान

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