गिरीश मालवीय
Himanshu Kumar लिखते हैं……
हमारे परदादा पंडित बिहारी लाल शर्मा आर्य समाजी थे
वे महर्षि दयानंद के उत्तर प्रदेश में पहले शिष्य थे
आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद मुजफ्फरनगर में हमारे घर में ठहरते थे
उस समय आर्य समाज वाले डंके की चोट पर प्रचार करते थे कि राम कृष्ण शिव भगवान नहीं है इनकी पूजा मत करो मंदिर मत जाओ मूर्ति पूजा मत करो
आर्यसमाजी अवतारवाद को नहीं मानते
वे रामकृष्ण या शंकर को भगवान का अवतार नहीं मानते
उस समय आर्य समाजी सनातनियों से शास्त्रार्थ करते थे
बड़ी बड़ी सभाएं होती थी और उसमें सनातनी और आर्य समाजियों के बीच शास्त्रार्थ होते थे
जिसमें आर्य समाजी सनातनियों के अवतारों की खूब खिल्ली उड़ाते थे और उनके सिद्धांतों की धज्जियां उड़ा देते थे
एक दौर था कि लाखों लोग सनातन धर्म छोड़कर आर्य समाजी बन गए
भगत सिंह जी का परिवार भी आर्य समाजी था
आज आरएसएस ने देश का माहौल इतना जहरीला बना दिया है
आरएसएस ने हिंदू धर्म को इतना कट्टर और खतरनाक बना दिया है कि आज अगर कोई रामकृष्ण को अवतार मानने से मना करे तो संघी और बजरंग दल की भीड़ उसके घर जाकर उसका घर जला देगी
आज से 70 साल पहले हिंदुओं में जितनी सहिष्णुता थी आज वह भी आरएसएस ने खत्म कर दी है
हिंदुओं में शास्त्रार्थ की परंपरा थी आप खुलकर चर्चा कर सकते थे एक दूसरे के मतों का खंडन कर सकते थे अपना मत रख सकते थे वही हिंदू धर्म की विशेषता थी
आज आरएसएस ने ऐसा माहौल बना दिया है कि आप धर्म के ऊपर शास्त्रार्थ की बात सोच भी नहीं सकते आप की हत्या कर दी जाएगी या पुलिस में आप के खिलाफ एफआईआर कर दी जाएगी कि इन्होंने मेरी धार्मिक भावनाओं का अपमान किया है
हिंदुओं को गंभीरता से सोचना चाहिए कि आरएसएस द्वारा उनके धर्म को क्या से क्या बना दिया गया है ?
अगर हम चर्चा नहीं कर सकते शास्त्रार्थ नहीं कर सकते अपने स्वतंत्र विचार नहीं रख सकते तो इससे भयानक कट्टरता क्या होगी हमसे ज्यादा कट्टर धर्म कौन सा धर्म हुआ हम अपनी कौन सी सहिष्णुता की डींग हांकते हैं ?
मैं मानता हूं ईसाईयों मुसलमानों यहूदियों के धर्म में परंपरा ही धर्म है
वहां अगर आप परंपरा छोड़ेंगे तो आप धर्म से बाहर हो जाएंगे
लेकिन भारत में धर्म हमेशा से शोध यानी खोज का विषय रहा है भारत में सत्य की खोज की जाती है और नए सत्य को स्वीकार किया जाता है
भारत का धर्म कभी परंपरा के पालन को मान्यता देने वाला नहीं रहा हमारे यहां सत्य खोज लेने के बाद नेति नेति कहा जाता था अर्थात यह भी नहीं यह भी नहीं अर्थात जाओ और नये सत्य खोजो
लेकिन आरएसएस ने हर नए सत्य के लिए दरवाजा बंद कर दिया और अवतारवाद को सनातन धर्म और हिंदू धर्म का रूढ़ सिद्धांत बना दिया
भारत में षडदर्शन थे जिसमें वैदिक दर्शन मात्र एक दर्शन था
इसके अलावा यहां सांख्य योग न्याय मीमांसा वैशेषिका वेदान्त दर्शन भी थे
सांख्य दर्शन ईश्वर को नहीं मानता इसी तरह यहां अन्य अनीश्वरवादी दर्शन भी थे जो ईश्वर को मानते ही नहीं जिसमें जैन दर्शन है बौद्ध दर्शन है लोकायत यानी चार्वाक दर्शन है
आज अगर आप कहे कि मैं ईश्वर को नहीं मानता मैं राम को भगवान नहीं मानता या मैं शंकर को भगवान नहीं मानता तो आप की हत्या की जा सकती है
भारत का जो धर्म विचार इतना विशाल समुंदर जैसा था उसे आरएसएस ने एक छोटी सी गंदी नाली में बदल दिया है
इस गंदी नाली में तैरने वाली कुछ मछलियों और कीड़ों को धर्म रक्षक बना दिया गया है
और भारतीय धर्म विचार का जो विशाल महासागर था उसकी चर्चा को भी अपराध घोषित कर दिया गया है
आज मैं खुद को अनीश्वरवादी विचारों के ज्यादा नजदीक पाता हूं मुझे लोकायत और बुद्ध के विचार ज्यादा सत्य और व्यवहारिक लगते हैं
लेकिन अपने इन विचारों के कारण मुझे रोज गाली खानी पड़ती है
मुझे रोज लगता है कि पता नहीं किस दिन मेरे खिलाफ कोई भाजपाई या संघी बजरंगी एफआईआर कर देगा और पुलिस द्वारा मुझे उठा कर जेल में बंद कर दिया जाएगा
हमारा धार्मिक सामाजिक राजनीतिक चिंतन रोज अपने स्तर से नीचे गिरता जा रहा है
भारत विचारहीनता के भयानक दौर में पहुंच चुका है जहां कोई भी नया दर्शन नया विचार नया रास्ता नहीं खोजा जा सकता क्योंकि ऐसा करना आपकी जान ले सकता है या आप को जेल पहुंचा सकता है