विजय दलाल
*महंगाई का असर मध्यमवर्गीय तबकों में केवल अच्छी कमाई करने वाले व्यापारी/प्रोफेशनल्स और बड़े पैकेज वाले और डीए लिंक वेतन/पैंशन वालों को छोड़कर बहुमत निम्न मध्यवर्गीय परिवार और गरीब परिवार , भीषण महंगाई ने जिनकी पतेलियों से बघार में तेल छीन लिया है वो बेचारे दीयों के लिए तेल कहां से लाएं?*
*इस समृद्ध मध्यमवर्ग को भी ये रामनामी सरकार वोट के लिए जितनी भी रेवड़ियां बांटी रही है उसकी वसूली भी वो कई तरीकों से उन्हीं से कर रही है।*छोटे वर्ग को अनाज से लेकर कई अन्य योजनाओं के माध्यम से (इसके पीछे इनका छिपा एजेंडा यह है कि देश की बहुत बड़ी आबादी को गुलाम, भ्रष्ट और भिखारी बनाना और मानव स्वाभिमान छीनकर उन्हें सत्ता आश्रित बनाना) । बड़े वर्ग को कार्पोरेट कर में छूट के साथ बैंकों में उनके नान पर्फामिंग एसेट्स को राईट ऑफ करके उनकी काले धन की कमाई को सफेद करने की नई नई योजनाएं लाकर रेवड़ियां बांटना।*
*इन सब की कीमत हम और आप ही इन रूपों में दे रहे हैं।*
*नम्बर एक हर तरह के प्रत्यक्ष और जीएसटी के रूप अप्रत्यक्ष कंसम्शन टेक्स के रूप में।*
*बचतों पर ब्याज कम देकर।*
*कई तरह के चार्जेस वसूल कर।*
*आम आदमी के लिए कर्ज महंगा, बच्चों के लिए शिक्षा महंगी, स्वास्थ्य पर खर्च महंगा।*
*वाहनों में केंद्र और राज्य सरकारें के टैक्स से सुसज्जित तेल का उपभोग कर।*
*ये स्मार्टसिटी, बुलेट ट्रेन और मेट्रो ट्रेन आदि आदि का विकास जो दिखाया जा रहा है वह सब विदेशी कर्ज से।*
*भारत पर मार्च 2023 तक 624.7 बिलियन डॉलर क़र्ज़ था जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.7 फीसदी ज्यादा था।*
*2014में जब मोदी सरकार आई थी तब देश पर 55 लाख करोड़ का विदेशी कर्ज जो 9 सालों में अब 155 लाख करोड़ का हो गया है। मतलब केवल 9 सालों में 100 लाख करोड़ और अभी भी रूकने का नाम नहीं ले रहा।*
*आज देश में प्रति व्यक्ति पर 1 लाख 9 हजार का क़र्ज़ है।*
*इन कर्ज पीड़ित देशों के हाल से जानिए कि आगे पीछे हम और आप पर भी इसका क्या असर होने वाला है।*
दैनिक भास्कर से…
*पाकिस्तान: लाखों कपड़ा श्रमिकों को सिर्फ इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया, क्योंकि देश पर बहुत अधिक विदेशी कर्ज है और वह बिजली और मशीनों को चालू रखने का जोखिम नहीं उठा सकता है।*
*केन्या: सरकार विरोधी क़र्ज़ का भुगतान करने के लिए नकदी बचा रही है और ऐसी स्थिति में अक्सर हजारों कर्मचारियों का वेतन चेक रोक दिया जाता है।*
*श्रीलंका: 5 लाख से भी ज्यादा औद्योगिक नौकरियां खत्म हो गई।*
*जांबिया: बांध, रेल्वे, सड़क निर्माण के लिए चीन से उधार लिया था। अब ब्याज इतना ज्यादा है कि स्वास्थ्य, सामाजिक सेवा और कृषि क्षेत्रों में कटौती करना पड़ी है।*
*इन देशों में और हम में फर्क सिर्फ यह है कि हमारा कर्ज अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से हैं यानी इस्ट इंडिया कंपनी की तरह वेस्ट, नार्थ और साउथ कंपनियों के शिकंजे में।…*
*विदेशी कर्ज का बोझ आम मेहनतकश आदमी पर ही पड़ना है।*
*सरकार चार्वाक दर्शन पर चल रही है।*
*”यावज्जीवेत सुखं जीवेत ,
ॠणम कृत्वा घृतम पिबेत,
भस्मी भूतस्य देहस्य
पुनरागमन: कुत:!*
यानी जब तक जिओ सुख से जिओ,ॠण करके घी पियो।