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इंसेक्ट बाइट :  कैसे करें डील 

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        डॉ. प्रिया 

 हवा में बढ़ने वाली नमी और हाइजीन की कमी से अक्सर कीड़े-मकौड़ों के काटने का खतरा बना रहता है. वातावरण में बढ़ने वाली ह्यूमिडिटी से संक्रमण, मक्खी- मच्छर और कीड़े-मकौड़े तेज़ी से बढ़ने लगते हैं।

     इनके काटने से खुजली, जलन और दर्द का अनुभव होता है। मच्छर काटने से बढ़ने वाली इंफ्लामेशन और इंफेक्शन बच्चों से लेकर बड़ों तक हर किसी के लिए परेशानी का कारण बनने लगता है। 

      जगह-जगह पानी भरने से मक्खी- मच्छरों के पनपने का खरा बढ़ जाता है। अक्सर शाम के वक्त घर से बाहर निकलने और प्ले ग्राउंड व पार्क, वे जगहें हैं जहां इंसेक्ट बाइट का जोखिम सबसे ज्यादा होता है।

      मच्छरों के काटने से रैशेज, स्वैलिंग, खुजली, नंबनेस और दर्द का सामना करना पड़ता है। इसके चलते बुखार, उल्टी और घबराहट भी महसूस हो सकती है।

*इंसेक्ट बाइट के जोखिम :*

वे लोग जिनकी त्वचा सेंसिटिव है और जिन्हें एग्जिमा और स्किन ड्राईनेस रहती है, उन्हें इंसेक्ट बाइट होने पर ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मच्छर या कीड़े-मकौड़ों के काटने के बाद अक्सर त्वचा पर एलर्जी और हाइव्स बनने लगते हैं।

     आठ साल से कम बच्चों में इंसेक्ट बाइट रिएक्शन का खतरा सबसे ज्यादा देखने को मिलता है, जिसे पेडरस डर्माटाइटिस भी कहा जाता है। दरअसल, बच्चों का इम्यून सिस्टम मज़बूत न होने के चलते उनमें यह समस्या ज्यादा होती है।

     इंसेक्ट बाइट्स देखने में ब्लिस्टर के समान नज़र आती है, जो 3 से 4 एक ग्रुप में साथ दिखने लगते हैं।

      नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार मक्खी और कीड़े- मकौड़े के काटने से दर्द और सूजन बढ़ने लगती है। 

     इसलिए जरूरी है कि ऐसी कोई भी समस्या होने पर तुरंत ध्यान दिया जाए। मच्छरों के काटने से डेंगू, मलेरिया, जीका वायरस और चिकनगुनिया का खतरा बना रहता है।

हमारे इन टिप्स से इंसेक्ट बाइट से मिलेगी राहत :

*1. मॉस्किटो रीपेलेंट :*

इंसेक्ट बाइट से बचने के लिए दिन के वक्त और रात में सेते समय मोस्किटो रीपेलेंट का प्रयोग करें। डीईईटी युक्त मोस्कीटो रीपेलेंट से वातावरण में कीड़े मकौड़े का प्रभाव कम होने लगता है और किसी प्राकर के संक्रमण का खतरा कम होने लगता है।

*2. बर्फ की सिकाई :*

मच्छरों के काटने से बढ़ने वाली सूजन और जलन नियंत्रित करने के लिए बर्फ को कुछ देर तक रूमाल में डालकर या आइस पैक को बाइट वाले स्थान पर लगाकर रखें। इससे ब्लड का फ्लो उचित बना रहता है और सूजन कम होने लगती है।

*3. शहद :*

शहद में मौजूद एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी माइक्रोबियल गुण इंसेक्ट बाइट से राहत दिलाते हैं। शहद में पाया जाने वाला कैटालेस एंजाइम सूजन से राहत प्रदान करता है। मच्छर के काटने वाली जगह पर शहद की थिन लेयर लगाएं और उसे किसी कपड़े से कवर कर दें। इससे त्वचा का राहत मिलती है।

*4. एलोवेरा जेल :*

एलोवेरा की पत्तियों में मौजूद जेल में सैलिसिलिक एसिड पाया जाता है। इससे बार बार होने वाली खुजली और दर्द से राहत मिलने लगती है। कीड़े मकौड़े के काटने पर एलोवेरा जेल लगाने से शरीर को ठंडक प्राप्त होती है और खुजली की समस्या हल हो जाती है। नियमित तौर पर इसे लगाने से मच्छरों से बचा जा सकता है।

*5. कैलामाइन लोशन:*

बग बाइट्स का खतरा बारिश के मौसम में हर दिन बना रहता है। मच्छरों के काटने पर उससे त्वचा पर बढ़ने वाली लालिमा को कम करने के लिए कैलामाइन लोशन इस्तेमाल करें। इससे त्वचा को सूदिंग इफेक्ट की प्राप्ति होती है और त्वचा मुलायम बनी रहती है।

*6. हल्के रंग के कपड़े पहनें :*

पेड़ पौधों और गंदगी के आसपास रहने वाले मच्छरों से अपना बचाव करने के लिए डार्क शेड्स की जगह पेसटल यानि हल्के रंगों के कपड़ों का चयन करें। इससे इंस्टेक्ट बाइट का खरा कम हो जाता है। साथ ही ढ़ीले कपड़े पहनें, ताकि बार बार होने वाली स्वैटिंग से बचा जा सके।

*7. कैमोमाइल टी बैग्स :*

कैमोमाइल टी में टेरपेनोइड्स और फ्लेवोनोइड्स पाए जाते हैं। इन नेचुरल केमिकल्स से शरीर को एंटीऑक्सिडेंट और एंटीहिस्टामाइन गुणों की प्राप्ति होती हैं। कैमोमाइल टी बैग को 10 मिनट तक गर्म पानी में रखने के बाद उसे स्कवीज़ करें और फिर काटने वाली जगह पर 5 मिनट के लिए रखें। इससे दर्द और जलन कम होने लगती है। इसके अलावा कैमोमाइल ऑयल की मसाज से भी खुजली की समस्या हल होने लगती है और मच्छर पास नहीं आते हैं।

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