हिसाम सिद्दीकी
नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान को मुसलसल घुड़की और उसके सैकड़ों एप्स बंद करने वाली मोदी हुकूमत ने खुफिया डील के तहत 2020 में चीन के साथ ही सत्तासी अरब पैंसठ (87.65) करोड़ रूपये का कारोबार किया। भारत ने इतनी बड़ी रकम का कारोबार अमरीका समेत दुनिया के किसी मुल्क से नहीं किया। ऐसा तब हुआ जब गुजिश्ता जून में चीनी फौज के हाथों हमारे 20 जवान शहीद हुये और चीन को सबक सिखाने के जोरदार दावे किये जाते रहे और चंद एप्स पर पाबंदी लगा कर यह तास्सुर देने की कोशिश की गयी कि चीन को उसकी औकात बता दी जायेगी।
कामर्स मिनिस्ट्री की इत्तेला के मुताबिक जनवरी से दिसम्बर 2020 के दरम्यान अमरीका के साथ छिहत्तर अरब डालर का कारोबार किया है, जो चीन के मुकाबले तकरीबन पौने दस अरब डालर कम है। देश भर में अंद्दे भक्त तालियां पीटते रहे और दीवाली पर चीन में बने पटाखों और रौशनी की झालरों समेत कई छोटे-छोटे सामानों (प्रोडक्ट्स) का बायकॉट करके खुद को राष्ट्रवादी बताते रहे तो उनके आका मोदी चीन के साथ लम्बा कारोबार कराते रहे। इसी तरह पाकिस्तान के खिलाफ अवाम में तकरीरें करके नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी के लोग अपना वोट बैंक मजबूत करने में मसरूफ रहे, कट्टरपंथी हिन्दुओं में यह पैगाम दिया जाता रहा कि मोदी ने पाकिस्तान को ठीक कर दिया है। लेकिन मोदी अंदरखाने ट्रैक-टू पालीसी के तहत पाकिस्तान के साथ बातचीत करते रहे। इस बातचीत का खुलासा तब हुआ जब चौबीस और पच्चीस फरवरी की रात में दोनो मुल्कों के डायरेक्टर जनरल मिलीट्री आपरेशंस के दरमियान हाट लाइन पर बात हुई और सरहद पर 2003 के समझौते के तहत सीज़ फायर पर पाबंदी का एलान किया गया।कामर्स मिनिस्ट्री की इत्तेला के मुताबिक 2020 में भारत ने चीन से इम्पोर्ट में कमी की है जबकि एक्सपोर्ट में सोलह फीसद से ज्यादा इजाफा हुआ। सरकार के इस दावे का कोई जवाज (औचित्य) नहीं है। क्योंकि 2020 में चीन के साथ इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट में भारत को छियालिस (46) अरब डालर का खसारा रहा। यानि भारत ने जितनी रकम का सामान चीन को भेजा, चीन से उसके मुकाबले छियालीस अरब डालर का ज्यादा सामान इम्पोर्ट किया गया। यह सूरतेहाल किसी भी तरक्की याफ्ता मुल्क के लिए ठीक नहीं है। चीन और अमरीका के बाद 2020 के दौरान भारत ने सबसे ज्यादा कारोबार यूनाइटेड अरब अमीरात (यू.ए.ई.) के साथ किया जो ब्यालीस अरब डालर है।2019 में भारत ने चीन के साथ बान्नबे हजार अरब डालर, अमरीका के साथ पौने चौरान्नबे, अरब डालर और यू.ए.ई. के साथ साठ अरब तीस करोड़ डालर का कारोबार किया था। 2019 के मुकाबले 2020 में इन तीनों मुल्कों के साथ हुए कारोबार में भले ही कमी आई हो, क्योंकि तकरीबन नौ महीने तक दोनों मुल्क कोविड-19 की वबा (महामारी) में फंसे रहे। इसके बावजूद चीन के साथ ही भारत ने सबसे बड़ा कारोबार किया। कामर्स मिनिस्ट्री की जानिब से यह भी कहा गया कि चीन के साथ फारेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफ.डी.आई.) की पालीसी में किसी किस्म की तब्दीली नहीं की गई है और न ही किसी तब्दीली की उम्मीद मुस्तकबिल करीब में है। हैरतनाक बात यह है कि 2020 में चीन हमारी सरहदों में घुसकर हमारे कई इलाकों पर कब्जा करता रहा।
गलवान घाटी में हुई झड़प में भारतीय फौज के तकरीबन दो दर्जन जवान शहीद हो गए, लेकिन मोदी हुकूमत चीन से सामानों का इम्पोर्ट करती रही और उनके अंद्दे भक्त बगले बजाते रहे कि मोदी ने चीन के एप्स बंद कर दिए और दीवाली पर चीनी पटाखे, झालरों और गौरी-गणेश की मूर्तियों का बायकॉट करते रहे। फर्जी राष्ट्रवाद जाहिर करने के लिए इन लोगों ने छोटे दुकानदारों को चीनी सामान न फरोख्त करने के लिए द्दमकाना भी जारी रखा। इन अंद्दे भक्तों को यह भनक भी नहीं लगी कि चीन से इतने बड़े पैमाने पर कारोबार किया जा रहा है।चीन की ही तरह पाकिस्तान के साथ मोदी हुकूमत टकराव की पालीसी अख्तियार करती रही। अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए पाकिस्तान को मुसलसल द्दमकी दी जाती रही, लेकिन अब पता चला कि सरकार तो तकरीबन चार महीने से ट्रैक-टू (पर्दे के पीछे) पालीसी के तहत पाकिस्तान के साथ खुफिया बातचीत कर रही थी। इस ट्रैक-टू पालीसी और बातचीत में सबसे बड़ा हाथ मोदी के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजित डोभाल और उद्दर पाकिस्तान के कुछ रिटायर आर्मी अफसरों ने अहम रोल अदा किया। दोनों मुल्कों के डायरेक्टर जनरल मिलीट्री आपरेशन के दरम्यान बातचीत के अगले ही दिन पाकिस्तानी प्राइम मिनिस्टर इमरान खान ने कहा कि उनकी सरकार भारत के साथ तमाम मसलों पर बातचीत करने के लिए तैयार है। इमरान की पेशकश पर भारत का क्या रवैय्या रहता है, इसका अंदाजा आने वाले दिनों में ही लग सकेगा।
लेखक लखनऊ से प्रकाशित उर्दू अखबार जदीद मरकज के संपादक हैं