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आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट दोषी या सच बोलने की सजाः कुछ अनुत्तरित यक्षप्रश्न-1

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निर्मल कुमार शर्मा,

गोधराकांड के तुरंत बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र दास दामोदर दास मोदी ने अपने मुख्यमंत्री आवास पर गुजरात के उच्च पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण मिटिंग की थी उस मिटिंग में उन्हें संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि ‘आप लोग हिन्द़ुओं को मुसलमानों के खिलाफ अपना गुस्सा निकालने दें,हिन्दू प्रतिक्रिया में आड़े न आएं,अब मुसलमानों को सबक सिखाने की जरूरत है,दंगों के दौरान आप लोग कृपा करके ‘निष्क्रिय ‘रहें ! ‘
गुजरात के ही बीजेपी के एक नेता और अब उत्तर प्रदेश के अभी हाल ही में बनाए गए बीजेपी के प्रभारी श्री गोवर्धन झड़ापिया ने गुजरात के एक युवा नेता व वहाँ के गृहमंत्री रहे हरेन पंड्या हत्याकांड के बाद कहा था कि ‘मोदी न तो कभी भूलते हैं और न ही किसी को माफ करते हैं,एक नेता के लिए इतने समय तक बदला लेने में लगे रहना अच्छी बात नहीं होती,मैं यह नहीं कह रहा कि मोदी ने हरेन पंड्या की हत्या करवाई है,लेकिन यह भी सच है कि बीजेपी के भीतर अगर कोई मोदी के खिलाफ मुँह खोलता है तो वह निश्चित रूप से या तो राजनैतिक रूप से या शारीरिक रूप से खतम कर दिया जाता है ! ‘ संदिग्ध परिस्थितियों में कुछ अज्ञात बदमाशों द्वारा मारे गए गुजरात के इस उभरते युवा नेता हरेन पंड्या ने भी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र दास दामोदर दास मोदी का विरोध करने की हिमाकत कर दी थी ! वास्तव में मोदी जी हरेन पंड्या के एलिस ब्रिज चुनाव क्षेत्र से खुद चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन हरेन पंड्या ने यह कहकर मोदीजी से अदावत पाल लिया कि ‘मुझे बीजेपी के किसी युवा नेता के लिए यह सीट खाली करने को कहा जाय तो मैं कर दूँगा,लेकिन इस आदमी के लिए नहीं करूँगा ! ‘ हरेन पंड्या यहीं नहीं रूके जब मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व बीजेपी के अन्य संगठनों के संभावित फोन कॉल्स से बचने के लिए एक अस्पताल में जाकर भर्ती हो गये
तब वहाँ जाकर भी मोदी को धमकी दे आए ! और यही उनकी हत्या का कारण भी बना ! हरेन पंड्या के पिता ने तो खुलकर कहा था कि मेरे पुत्र की हत्या नरेन्द्र मोदी ने ही करवाया है !
स्वर्गीय हरेन पंड्या की तरह गुजरात कैडर के सन् 1988 बैच के आइपीएस अधिकारी श्री संजीव भट्ट भी साफ और सच बोलने की अपनी आदतों के कारण सन् 2002 में गुजरात दंगों के दौरान मोदी द्वारा किए गए कुकृत्यों की पोल खोलकर मोदी से अदावत करने वाले दूसरे शख्स हैं,जिन्हें आज जेल की सींखचों के पीछे अपना जीवन गुजारना पड़ रहा है और अभी पिछले दिनों उन्हें अपनी ड्यूटी को कर्तव्यपरायणता और कर्मठता से करने की सजा के तौर पर आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई जा चुकी है ! इस पूर्व आइपीएस अधिकारी ने बयान दिया है कि जब वे सन् 2003 में साबरमती जेल के सुपरिटेंडेंट थे,तब उनकी मुलाकात हरेन पंड्या के हत्यारे ग्रुप के एक सदस्य जो उसी जेल में बंद था, एक शातिर अपराधी असगर अली से हुई थी,असगर अली ने भट्ट को बताया था कि हरेन पंड्या की हत्या के लिए सबसे पहले सोहराबुद्दीन नामक बदमाश से कोशिश की गई थी, लेकिन उसके इन्कार करने पर इस काम को अंजाम देने के लिए तुलसी प्रजापति को यह अतिमहत्वपूर्ण काम सौंप दिया गया और तुलसी प्रजापति ने हरेन पंड्या की सफलतापूर्वक हत्या करके मोदी के एक विरोधी हरेन पंड्या को उनके रास्ते से हटा दिया गया। वैसे बाद में सोहराबुद्दीन उसकी बीबी और तुलसी प्रजापति को भी सुनियोजित तरीके से फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई,ताकि सारे सबूत नष्ट कर के निरापद रहा जा सके ! असगर अली द्वारा बताई गई इस बात को संजीव भट्ट ने अमित शाह को बता दिया, लेकिन अमित शाह ने भट्ट को इस हत्याकांंड संबंधित सारे अहम सबूतों को नष्ट कर देने को कहा,लेकिन चूँकि भट्ट ने अमित शाह की बात को अनसुनी कर दिया, इसलिए भट्ट पर कुछ मिथ्यारोपण करके साबरमती जेल के सुपरिटेंडेंट पद से तुरंत दूसरी जगह ट्रांसफर कर दिया गया ! जबकि संजीव भट्ट साबरमती जेल के सुपरिटेंडेंट पद पर रहते हुए उस जेल में बहुत से इंसानियत भरे कदम उठाए थे,वे कैदियों को भी इंसान मानते हुए उनके खाने में गाजर का हलवा सम्मिलित करवाए थे,उनसे कैदी इतने खुश थे कि जब इनका दूसरी जगह ट्रांसफर किया गया तब 4000 कैदियों की क्षमता वाली इस जेल के लगभग आधे मतलब 2000 कैदियों ने इनके ट्रांसफर के विरोध में हड़ताल पर चले गये थे , 6 कैदियों ने तो अपनी कलाई की नस तक काट ली थी !
वर्ष 1990 में इस देश में सांप्रादायिक वैमस्यता का बिषबीज बोनेवाला सबसे बड़ा खलनायक और पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आया रिफ्यूजी लालकृष्ण आडवाणी नामक दरिंदे और नरपिशाच ने जैसे ही अपनी रथयात्रा निकाली उसी दौरान ही जमजोधपुर नामक स्थान पर भीषण सांप्रादायिक दंगे भड़क उठे,उस समय संजीव भट्ट जामनगर में एडिशनल सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस के पद पर तैनात थे। दंगे के शमन के लिए उस समय वहाँ के स्थानीय पुलिस द्वारा 150 दंगाईयों को हिरासत में लिया गया उन दंगाईयों में हिन्दू विश्व परिषद का एक सदस्य प्रभुदास वैष्णानी नामक व्यक्ति की जेल में अपनी स्वाभाविक मौत से मर गया,लेकिन इस मामले में 8 पुलिसवालों पर कथित टॉर्चर का आरोप लगा,इन 8 पुलिस वालों में कथित तौर पर संजीव भट्ट का भी नाम लिया जाता है।
वर्ष 2002 के 27 फरवरी को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर अयोध्या की तरफ से आनेवाली साबमती एक्सप्रेस अपने 1700 तीर्थयात्रियों को लिए हुए,जो अयोध्या से चढ़े थे सुबह के ठीक 7 बजकर 43 मिनट पर पहुँची,कुछ देर रूकने के पश्चात जब यह ट्रेन स्टेशन के बाद सिग्नल पर पहुँची,तभी इसकी चेनपुलिंग करके रोक ली गई, अचानक एक उन्मादी भीड़ आई और इस ट्रेन की एक बोगी में कथित तौर पर आग लगा दी,जिससे 59 हिन्दू कारसेवकों की जलकर दर्दनाक मौत हो गई, इस घटना से सांप्रादायिक तनाव इतना बढ़ा कि पूरे गुजरात में हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे,समाचार पत्रों के अनुसार इस भयानक दंगे में 790 मुसलमानों तथा 254 हिन्दुओं को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा ! उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीयुत् श्रीमान नरेन्द्र दास दामोदर दास मोदी ही थे ! गोधरा में ट्रेन में आग लगाने का सारा दोष मुसलमानों पर मढ़ दिया गया, लेकिन सुप्रीमकोर्ट के सेवानिवृत्त जज उमेश चन्द्र बनर्जी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दृढता और स्पष्टता से कहा कि ‘कोच में आग सुनियोजि ढंग से अंदर से ही लगाई गई थी ! ‘
संजीव भट्ट के अनुसार गोधराकांड के तुरंत बाद उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे श्रीयुत् श्रीमान नरेन्द्र दास दामोदर दास मोदी ने अपने मुख्यमंत्री आवास पर जो मिटिंग बुलाई थी,उसमें वहाँ के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक श्री के चक्रवर्ती और शहर के पुलिस कमिश्नर श्री पीसी पांडे भी सम्मिलित हुए थे। मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी,बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद आदि सभी यह चाहते थे कि हिन्दू -मुस्लिम समाज में तनाव बढ़ाने के लिए एक दिन की एक अवैध आम हड़ताल कराई जाय,जिसमें गोधरा में जलकर मरे हिन्दू तीर्थयात्रियों के जले हुए शव उनके अंतिम संस्कार से पूर्व खुली ट्रकों में रखकर पूरे अहमदाबाद शहर में घुमाया जाय, लेकिन इस बैठक में सम्मिलित ये दोनों बड़े उच्च अधिकारी क्रमशः तत्कालीन पुलिस महानिदेशक श्री के चक्रवर्ती और शहर के पुलिस कमिश्नर श्री पीसी पांडे मोदी की बात से बिल्कुल असहमत थे,लेकिन मोदी इस बात पर अड़ा रहा ! अंततः मोदी ही विजयी रहा और खुली ट्रकों में गोधरा में जलकर मरे हिन्दू तीर्थयात्रियों के जले हुए शव उनके अंतिम संस्कार से पूर्व खुली ट्रकों में रखकर पूरे अहमदाबाद शहर में घुमाया गया ! मोदी अपने मिशन में सफल रहा ! अहमदाबाद सहित पूरा गुजरात फिर से सांप्रादायिक दंगों में कई दिनों तक बुरी तरह जलता रहा,जिसमें हजारों लोगों को बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया गया, जिसमें तीनचौथाई वहाँ के मुसलमान थे ! इसीलिए इस कर्मठ,ईमानदारऔर कर्तव्य परायण अफसर संजीव भट्ट ने इन दंगों को राज्य प्रायोजित दंगा कहा था !
इस कर्मठ,ईमानदारऔर कर्तव्य परायण अफसर संजीव भट्ट ने गुजरात दंगों की जाँच करनेवाली एसआईटी पर दंगों के पीछे की सच्चाई को छिपाने का आरोप लगाते हुए यह भी आरोप लगाया है कि एसआईटी के एक सदस्य ने गुजरात के अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता के माध्यम से मोदीसरकार को दंगों से सम्बंधित जानकारी लीक की ! भट्ट ने यह भी बताया कि गुजरात दंगों की निष्पक्ष जाँच के लिए बनाए गए नानावटी आयोग में अपना बयान दर्ज कराना चाह रहे थे,लेकिन उनको इसका मौका जानबूझकर नहीं दिया गया ! गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड में अन्य 68 लोगों के साथ मारे गए कांग्रेस के भूतपूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा श्रीमती जाकिया जाफरी ने भारतीय सुप्रीमकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में यह खुलकर बताया है कि गुजरात दंगों के वक्त वहाँ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी व गुजरात राज्य के प्रशासनिक अधिकारी दंगाइयों को उकसाने में सीधे-सीधे संलिप्त थे और वे दंगाइयों के खिलाफ जानबूझकर अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे थे !
कथित भारतीय न्याय तंत्र की विद्रूपता इससे ज्यादे और क्या हो सकती है कि गुजरात राज्य में इतने बड़े राज्य प्रायोजित दंगे,मानव हत्याओं और तांडव के बावजूद इस दंगे के असली सूत्रधार गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीयुत् श्रीमान नरेन्द्र दास दामोदर दास मोदी को 13 अक्टूबर 2015 को सुप्रीमकोर्ट के दो जजों क्रमशः अरूण मिश्रा और एच एल दत्तू की पीठ ने क्लीन चिट दे दी ! जबकि ये दोनों जज अपनी नस्लवादी और जातिगत वैमनस्यता भरे निर्णयों को देने के लिए खूब बदनाम रहे हैं और खुद कोलेजियम के चोर दरवाजे से सुप्रीमकोर्ट में कुँडली मारकर बैठे हुए थे ! ये उल्टा भट्ट जैसे ईमानदार अफसर को कि उनका एसआईटी के खिलाफ आरोप बिल्कुल झूठा है और भट्ट ने प्रतिद्वंद्वी राजनैतिक दलों को एक एक एनजीओ और एक वकील को उस आरोप को पढ़वाया !
उक्तवर्णित यथार्थपरक तथ्यों से यह शीशे की तरह साफ हो जाता है कि गुजरात के दंगे सुनियोजित ढंग से करवाए गए या वे भीषण दंगे राज्य प्रायोजित ही थे जिसके मुखिया वहाँ के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीयुत् श्रीमान नरेन्द्र दास दामोदर दास मोदी ही थे ! इस कर्मठ, ईमानदारऔर कर्तव्य परायण अफसर संजीव भट्ट को जबर्दस्ती फँसाया गया है,क्योंकि यह सत्यपरक और ईमानदार व्यक्ति तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीयुत् श्रीमान नरेन्द्र दास दामोदर दास मोदी के राह में रोड़े बनकर चट्टान की तरह खड़ा रहा ! अब सुप्रीमकोर्ट के न्यायमूर्ति लोगों से विनीत निवेदन है कि वे गुजरात दंगों को प्रायोजित करने वाले खलनायकों को बेनकाब करके उनको कठोरतम् और विरलतम् से विरलतम् उनके किए गए कुकृत्यों के लिए सजा दें औरनिर्दोष लोगों को जेल से मुक्त करें ताकि हरेन पंड्या,सीबीआई जज बृजमोहन लोया सहित हजारों अन्य बेकसूरों की आत्मा को शांति मिले ।

निर्मल कुमार शर्मा,गाजियाबाद,उप्र

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