Site icon अग्नि आलोक

बुल्डोजर न्याय क्या कारगर और कानून सम्मत है?

Share

सुसंस्कृति परिहार

 आजकल बुल्डोजर की उपयोगिता निरंतर बढ़ती जा रही है इसका उपयोग जबसे प्रारंभ हुआ है तब से काम में गति आई है भले इससे असंख्य कामगार बेरोजगार हो गए हों। छोटे शहरों में इसकी उपस्थिति भी तेजी से दर्ज़ हो रही है। लेकिन जैसे टांग और लात में विभेद के शब्द बना लिए गए हैं वैसे ही यदि नेक काम में इसे जेसीबी मशीन कहा जाता है तो वहीं जब उसका उपयोग अतिक्रमण हटाने और अपराधियों के मकान वगैरह तोड़ने में होता है तो उसे बुल्डोजर कहते हैं।यही बुलडोजर कल्चर आजकल चर्चाओं में हैं।अब तो अपराधियों पर कानूनी कार्रवाई की तरह बुल्डोजर चलाने का सिलसिला बदस्तूर तेजी से जारी है। 
पिछले कुछ सालों से भारतीय राजनीति में जेसीबी एक राजनीतिक उपकरण और प्रतीक बन गई है, खासकर 

उत्तर प्रदेश की राजनीति में। इसकी शुरुआत भाजपा के यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा  सबसे पहले जेसीबी मशीन द्वारा अवैध निर्माणों को हटाने के लिए तथा डान और माफियाओं के खिलाफ किया गया। योगी आदित्यनाथ को बुलडोजर  बाबा कहा जाने लगा।आदित्यनाथ द्वारा इसका  इस्तेमाल मार्च 2017 में अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत के बाद से शुरू हुआ। 2020 तक, विकास दुबे जैसे कई अपराधियों के साथ-साथ राजनेता-बाहुबली और गैंगस्टर मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद की संपत्ति को बुलडोजर का इस्तेमाल करके ध्वस्त कर दिया गया था। दुबे के खिलाफ कार्रवाई तब शुरू हुई जब उसने और उसके साथियों ने जुलाई 2020 में गिरफ्तारी के प्रयास के दौरान आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। यूपी सरकार सरकारी जमीन और अन्य अवैध रूप से कब्जा की गई जमीन को मुक्त कराने के लिए प्रतिबद्धता जताई, बुलडोजर के इस्तेमाल से संबंधित कुछ निर्देश जारी किए और उनके दुरुपयोग की चेतावनी भी दी। आदित्यनाथ ने मार्च 2022 में मुख्यमंत्री के रूप में जब अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया। तो वे बुलडोजर  बाबा कहलाते लगे।अप्रैल 2022 के अंत तक, दिल्ली और गुजरात में दंगाइयों की संपत्ति पर बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया था , जिसके बाद राजनीति और कानूनी मुद्दे सामने आए जो अविचारित हैं 

मध्य प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ सख्त रुख दिखाने के उद्देश्य से राजनीतिक संदेश देने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल  शिवराज सिंह ने भी किया जो वर्तमान सरकार जारी रखें हुए है। बताया जाता है कि बुलडोजर का बहुत अधिक उपयोग स्वयं सांप्रदायिक प्रकृति का था। 

आलोचकों का तर्क है कि कानून के शासन को छोड़ना और बुलडोजर न्याय को अपनाना एक सत्तावादी समाज की ओर पहला कदम है । ऐसे समाज में, व्यक्तियों की सुरक्षा, जीवन और स्वतंत्रता राज्य के अधिकारियों के मनमाने फैसलों पर निर्भर करेगी। 

पिछले कुछ वर्षों से अपराधियों के ख़िलाफ़ एक वर्ग विशेष एकजुट होकर सम्बन्धितों के  घर बुल्डोजर करने की मांग उठाने लगे और आश्चर्यजनक रूप से उनकी मांग त्वरित सुन ली जाती है अधिकारियों को प्रशासनिक आदेश मिल जाता है देखते ही देखते चहचहाते घर द्वार ज़मींदोज़ हो जाते हैं। अपराधियों के परिजनों को जो सज़ा मिलती है उससे अपराध को और बढ़ावा मिलता है।मरता क्या नहीं करता की स्थिति बनती है।भूख के साथ बिखरा जीवन देखकर जो इंसान हैं उनका दिल भी जारी जारी रोता है।यह नहीं होना चाहिए। इतना ही नहीं यह विशेष वर्ग अब प्रशासनिक अधिकारियों के तत्काल तबादले कराने की क्षमता रखता है।लोग तो यह कहने लगे हैं यदि किसी अधिकारी को हटवाना है तो गोवंश जैसे नाजुक मामले को खड़ा कर दो।

पहले अपराधी को पकड़ने परिवार जनों को पुलिस द्वारा  सताया जाता था लेकिन इस तरह नहीं कि उनकी जड़ें ही उखाड़ कर फेंक दी जाएं आजकल तो अपराधियों के पकड़ जाने के बाद भी बुल्डोजर चलाया जा रहा है ये कैसा न्याय है ?ये किस कानून का हिस्सा है।यह तो सरकार का तानाशाही और क्रूर रवैया है।इसे बंद होना चाहिए। संविधान बचाओ से जुड़े नागरिक समाज को इस  अन्याय संगत बुल्डोजर न्याय के विरुद्ध खड़ा होना चाहिए। संसद में आवाज़ उठाने की ज़रूरत है।

हालांकि इसकी शुरुआत प्रारंभिक वर्षों में अपराधियों के ख़िलाफ़ की गई।कहा गया यू पी में क्राईम घटे।यह सच नहीं है क्योंकि अपराध बराबर होते रहे पहले जो काम डान माफिया वगैरह करते थे उनका स्थान नेताओं के संरक्षण में कारपोरेट ने ले लिया। अब तो कारीडोर के नाम पर अयोध्या, वाराणसी, उज्जैन में कितनों को कारपोरेट के लिए उजाड़ा गया।उसे जो जमीन पसंद आईं उसे गरीबों से माटीमोल ले रहा है उन ज़मीनों पर बुलडोजर अपने करतब दिखाते रहते है।

इसके अलावा एक बात और ध्यान देने की है कि जब किसी मकान को ज़मींदोज़ किया जाता है तो यह कहा जाता है कि बुल्डोजर  अतिक्रमण की हुई ज़मीन पर चला है। यदि हर अपराधी अतिक्रमित जमीन पर कब्जा किए हुए है तो आपका सरकारी अमला सभी ज़मीनों से एक बार इकट्ठे अतिक्रमण हटा क्यों नहीं देता है जब तक वह कोई अपराध नहीं करेगा वह सुरक्षित  रहेगा।ये क्या बात हुई।

कुल मिलाकर इस बुल्डोजरी न्याय को बिना देर किए बंद करवाना चाहिए। यह सरकार की मनमानी का प्रतीक चिन्ह बन गया है। सभी तरह के अपराधियों के लिए अलग अलग संहिताओं में दंड का प्रावधान है कम हो तो उसे बढ़वाएं किंतु किसी परिवार की चहचहाती ज़िंदगी को गहरी उदासी में भेजकर अपराध बढ़ने से रोकें। यह कोई कारगर और न्यायसंगत उपाय नहीं है। जेसीबी को उपयोगी रहने दें बुल्डोजर ना बनाएं।

Exit mobile version