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 क्या भाजपा शासित राज्यों के मुक़ाबले बिहार की स्थिति सचमुच ख़राब है

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शिवानन्द तिवारी पूर्व सांसद

भाजपा नेताओं के सामने संकट है. सरकार से मुक्त कर दिए जाने के बाद बड़ी संख्या में इनके नेता बेरोज़गार हो गये हैं. अब इनमें नीतीश सरकार के विरूद्ध कड़ा कड़ा बयान देने की होड़ मची हुई है. बयानों के ज़रिए सब अपने आप को मीर साबित करने में लगे हुए हैं.

हमारा यह दावा नहीं है कि बिहार देश का सबसे आदर्श राज्य है. लेकिन क्या बिहार की हालत उतनी बुरी है जितनी भाजपा नेता अपने बयानों से साबित करने की प्रतियोगिता कर रहे हैं! 

देश के अन्य राज्यों की बात छोड़ कर सिर्फ़ भाजपा शासित राज्यों को कसौटी बना कर उनके साथ बिहार की तुलना की जाए तो क्या सचमुच बिहार की हालत इतनी बुरी है जितना बताया जा रहा है !

अन्य राज्यों की बात छोड़ दिया जाए अगर बिहार की तुलना गुजरात के साथ की जाए तो क्या अभी अभी गुजरात के मोरबी में जो दुर्घटना हुई वैसा कोई नज़ीर हम बिहार में पाते हैं क्या ? पुल के रख रखाव की जिम्मेदारी घड़ी बनाने वाले कंपनी को दे दी गई थी. उसके मालिक पटेल साहब अपने मोदी जी के अत्यंत निकट व्यक्ति हैं. वे लोकतंत्र के नहीं हिटलर के समर्थक हैं. उनका इस आशय का बयान है. अपने मोदी जी से उनकी दोस्ती का ही नतीजा है कि 2008 में उस ज़िला के कलक्टर ने बग़ैर टेंडर के उनको पुल के रख रखाव का ठेका दे दिया. उसका नतीजा है कि लापरवाही की वजह से उस दुर्भाग्यपूर्ण पुल दुर्घटना में एक सौ पैंतीस लोग अकारण मृत्यु के शिकार हो गए. लेकिन अभी तक उन पटेल साहब को गिरफ़्तार करने की बात बहुत दूर है, उनसे पूछताछ भी नहीं हुई है. 

अपने लंबे समुद्र तट के कारण गुजरात हमेशा देश का समृद्ध राज्य रहा है. लेकिन जिन मानकों को आजकल विकसित राज्य का पैमाना माना जाता है वहाँ गुजरात आज कहाँ खड़ा है . राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक़ 2005-06 में सात प्रतिशत की तुलना में 2019-20 में गुजरात में 11 प्रतिशत बच्चे कम वजन के पैदा हुए ! 

2018-19 के उच्च शिक्षा को लेकर हुए सर्वेक्षण में छात्र-शिक्षक अनुपात के मामले में गुजरात 36 राज्यों के बीच 26 वें स्थान पर है.

बेरोज़गारी के मामले में भी गुजरात की हालत हमसे बेहतर नहीं है. अभी वहाँ ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रशासक के पद के लिए 3,900 बहाली निकली . सत्रह लाख बेरोज़गारों ने उसके लिए आवेदन किया है.

पता नहीं बिहार के भाजपा नेताओं को यह पता है या नहीं कि मध्यप्रदेश देश के कुपोषित बच्चों की राजधानी है. इसलिए बिहार की नीतीश सरकार की, जिसके वे हाल हाल तक साझेदार रहे हैं, सावधानी से आलोचना करनी चाहिए.

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