गिरीश मालवीय
लखीमपुर खीरी कांड के चश्मदीद गवाह पर भाजपा से जुड़े नेताओ ने रामपुर में जानलेवा हमला किया है. कोतवाली क्षेत्र के गांव भुकसोरा निवासी हरदीप सिंह उर्फ मंत्री मलवई पुत्र सरदार हरि सिंह लखीमपुर खीरी कांड का चश्मदीद गवाह है. हरदीप के अनुसार रविवार की शाम 7 बजे वह अपने साथी सतेंद्र सिंह और जगजीत सिंह के साथ नवाबगंज गांव स्थिति गुरुद्वारा साहिब से मत्था टेक कर वापस घर की ओर जा रहा था. इसी बीच रास्ते में बिलासपुर-नवाबगंज मार्ग स्थित एक होटल के निकट भाजपा नेता मेहर सिंह देओल, सरबजीत सिंह और तीन अज्ञात लोगों ने उन्हें रोक लिया.
भाजपा नेता ने उनके साथ गाली-गलौज की और लखीमपुर खीरी कांड में गवाही न दिए जाने का दवाब बनाने लगा. उन्होंने कहा कि अगर लखीमपुर कांड की गवाही देने गए तो जान से हाथ धो बैठोगे. लखीमपुर खीरी का मामले से उसे अब हटना होगा, नहीं तो उसकी खैर नहीं. उसे तमंचे दिखाकर खूब धमकाया गया, जब उसने इसका विरोध किया तो उसने और उसके साथियों ने उनके ऊपर हमला बोल दिया. उनके साथ जमकर मारपीट की गई. इस दौरान भाजपा नेता ने तमंचे के बट से उसकी आंख फोड़ने की कोशिश की और फरार हो गया.
घायल हरदीप सिंह ने जब प्रभारी निरीक्षक को घटना की जानकारी दी तो कार्रवाई करने के बजाय सत्ता दल से जुड़ा मामला होने कारण पुलिस ने इसे दबाने की कोशिश की. इस बीच मामले की जानकारी होने पर प्रशांत भूषण ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए ट्वीट कर दिया, इससे खलबली मच गई और आखिरकार को पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी पड़ी.
आपको याद दिला दूं कि फरवरी 2021 में मोहन डेलकर जो दादरा नगर हवेली से 7 बार सांसद रहे थे उन्होने मुंबई के ऐसे ही एक होटल से आत्महत्या कर ली थी उनके शव के पास सुसाइड नोट मिला था, इसमें दादरा और नगर हवेली के एडमिनिस्ट्रेटर प्रफूल पटेल पर आत्महत्या का दबाव बनाने का आरोप लगा था. लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नही की गई क्योंकि प्रफुल्ल पटेल मोदी के खासमखास है.
इस केस में कुछ नही होने वाला है आत्महत्या करने वाले संतोष पाटिल ने हाल ही में कर्नाटक के मंत्री केएस ईश्वरप्पा पर कमीशन मांगने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि ईश्वरप्पा सरकारी ठेकों के बिल का भुगतान करने के लिए कमीशन मांग रहे हैं. पाटिल ने ये भी कहा था कि अगर उन्हें कुछ होता है, तो इसके लिए मंत्री ईश्वरप्पा को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. न खाऊंगा न खानें दूंगा सिर्फ कहने की बाते हैं.
ठेकेदार खुदकुशी मामले में FIR दर्ज होने के बाद भी कर्नाटक के मंत्री ईश्वरप्पा कह रहे हैं कि वह इस्तीफा नही देंगे. हम तो कहते हैं कि बिलकुल न दे इस्तीफा क्योंकि भाजपा के राज में इस्तीफे दिए जाने की कोई परंपरा हैं भी नहीं. अब देखिए न, 2016 में बी. के. बंसल ने जो सीनियर आईएएस थे और कारपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के महानिदेशक थे, उन्होने आत्महत्या कर ली.
बी. के. बंसल ने भी अपने सुसाइड नोट में सीबीआई अधिकारियो पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. बसंल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि सीबीआई उनकी पत्नी और बेटी को भी ‘टॉर्चर’ कर रही थी. नोट में लिखा कि ‘सीबीआई जांचकर्ता ने कहा था कि तुम्हारी आने वाली पीढ़ियां भी मेरे नाम से कांपेंगी.’
बंसल ने लिखा कि उनकी पत्नी को थप्पड़ मारे गए गए, नाख़ून चुभोए गए, गालियां दी गईं. अपने सुसाइड नोट में बी. के. बंसल ने लिखा है, ‘डीआईजी ने एक लेडी अफसर से कहा कि मां और बेटी को इतना टॉर्चर करना कि मरने लायक हो जाएं. मैंने डीआईजी से बहुत अपील की, लेकिन उसने कहा, तेरी पत्नी और बेटी को ज़िंदा लाश नहीं बना दिया तो मैं सीबीआई का डीआईजी नहीं.’
इससे पहले उनकी मां और बहन ने आत्महत्या कर ली थी. इस संबंध में बंसल साहब ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि ‘मेरी मां सत्या बाला बंसल एक बहुत ही विनम्र और धार्मिक महिला थी. मेरी बहन नेहा बंसल बहुत सीधी-सादी और दिल्ली यूनिवर्सिटी की गोल्ड मेडलिस्ट थी. उन दोनों पवित्र देवियों को भी इन्ही पांचों ने डायरेक्टली और इंडायरेक्टली इस हद तक टॉर्चर किया, इस हद तक सताया, इतना तड़पाया कि उन्हें सुसाइड करना पड़ा, वरना मेरी मम्मी और मेरी बहन नेहा तो सुसाइड के सख़्त ख़िलाफ़ थे. भगवान से प्रार्थना करूंगा कि ऐसा किसी हंसते-खेलते परिवार के साथ न करना.’
यानि एक हंसते खेलते परिवार ने सीबीआई के अधिकारियो से प्रताड़ित होकर आत्महत्या कर ली लेकिन सुसाइड नोट में नाम आने के बाद भी सीबीआई के अधिकारियो ने इस्तीफा नही दिया. ऐसा ही केस अरुणाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री कालिखो पुल का भी था. कांग्रेस के कुछ निर्वाचित सदस्यों और विरोधी भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से उन्होंने अरुणाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री पद ग्रहण किया लेकिन भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न आधारों पर इस नियुक्ति के खिलाफ फैसला सुनाया.
9 अगस्त 2016 को, पुल ने कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. सुसाइड नोट में पुल ने आरोप लगाया है कि उनके हक में फैसला देने के लिए उनसे कथित तौर पर रिश्वत मांगी गई थी. इस केस में भी किसी जज ने इस्तीफा नही दिया. मोहन डेलकर जो दादरा नगर हवेली से 7 बार सांसद रहे थे. उन्होने भी पिछले साल मुंबई के एक होटल से आत्महत्या कर ली थी.
उनके शव के पास सुसाइड नोट मिला था, इसमें दादरा और नगर हवेली के एडमिनिस्ट्रेटर प्रफूल पटेल पर आत्महत्या का दबाव बनाने का आरोप लगा था लेकिन प्रफुल्ल पटेल ने भी इस्तीफा नही दिया. तो इस आधार पर आपको भी ईश्वरप्पा जी इस्तीफा नही देना चाहिए, यदि कोई दबाव डाले तो इस पोस्ट मे मौजूद केसेस का आप उदाहरण दे सकते है.