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क्या यह नाजी जर्मनी के इतिहास को ही दोहराने की तैयारी नहीं है?

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अरुण माहेश्वरी 

नाजी जर्मनी के इतिहास से सबक़ लेने पर इस विषय में किसी को कोई संदेह नहीं रहना चाहिए कि 2024 में यदि मोदी फिर से जीत जाते हैं तो विपक्ष के कितने भी सांसद क्यों न चुने जाएं, सबको संसद से खदेड़ बाहर किया जाएगा और देश के संविधान को बदल कर सारी सत्ता को एक व्यक्ति नरेन्द्र मोदी के नाम लिख दिया जायेगा।

हिटलर ने 30 जनवरी 1933 के दिन जर्मनी के चांसलर के पद की शपथ ली थी। उसके एक महीने के अंदर ही उसने 27 फ़रवरी 1933 के दिन जर्मन संसद राइखस्टाग की इमारत में आग लगवा दी और पूरी नाजी पार्टी गला फाड़ कर चिल्लाने लगी कि यह आग कम्युनिस्टों ने लगाई है।

इतिहास में यह तथ्य दर्ज है कि हिटलर का ख़ास आदमी गोरिंग सन् 1942 में हिटलर के जन्मदिन के एक कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के सामने शेखी बघारते हुए ज़ोर-ज़ोर से कह रहा था कि राइखस्टाग मामले की सचाई सिर्फ़ मैं जानता हूं, क्योंकि मैं ही वह व्यक्ति हूं जिसने वह आग लगाई थी। (देखें- William l. Shirer; The rise and fall of the third Reich; page- page-269)

मज़े की बात यह है कि यही गोरिंग 27 फ़रवरी को जलते हुए राइखस्टाग के सामने जर्मन पुलिस गेस्टापो के प्रमुख रुदोल्फ दियेल्स से चीखते हुए कह रहा था कि- “This is the beginning of the communist revolution! We must not wait a minute. We will show no mercy. Every communist official must be shot, where he is found. Every communist deputy must this very night be strung up.

इतिहास गवाह है राइखस्टाग की इस घटना के साथ ही नाजियों ने संविधान में संशोधन कराके सारी सत्ता को अकेले हिटलर के हाथ में सौंप देने की योजना पर काम शुरू कर दिया था।

नाजियों के अपराधों पर विचार के लिए गठित न्यूरेमबर्ग अदालत में 15 मार्च 1933 के दिन की नाजी कैबिनेट की बैठक के जो मिनिट्स पेश किए गए उनसे पता चलता है कि उस बैठक में बाकायदा में इस बात पर निर्णय लिया गया था कि संसद में नाजी पार्टी का दो तिहाई बहुमत तैयार करने के लिए 81 कम्युनिस्ट सदस्यों से कैसे छुटकारा पाया जाए।

इसके बाद ही राइखस्टाग के विपक्षी सदस्यों की गिरफ़्तारियों, हत्याओं और निष्कासनों का सिलसिला शुरू हो गया और फिर संविधान में संशोधन करके राइखस्टाग के सारे अधिकारों को छीन कर उन्हें अकेले हिटलर के हाथों में न्यस्त कर दिया गया।

भारत में अभी संसद की सुरक्षा के मसले को लेकर विपक्षी सांसदों के निष्कासन आदि की जो सारी कार्रवाइयां चल रही हैं, वे क्या हिटलर के इतिहास के पन्नों को ही दोहराने की एक तैयारी नहीं है?

यह बात हर किसी के सामने साफ़ होनी चाहिए कि आरएसएस हिटलर के नक़्शे-कदम पर जितनी शिद्दत के साथ चलता है, हिटलर के प्रति ऐसा निष्ठावान आज दुनिया का शायद ही कोई दूसरा ऐसा दल मिलेगा। उनके हर कदम को हिटलर के इतिहास से हुबहू मिला कर देखा जा सकता है।

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