अग्नि आलोक

ये मतदाता की समझ है, केंचुआ की साज़िश है,या प्रयोग के संयोग?

Share

महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने भाजपा को हरा दिया है। लेकिन इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी छै विधानसभा सीट कांग्रेस हार गई है।कारण : क्या समझ में आता है। लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी को जितने वोट मिले हैं विधानसभा में उससे 1लाख 05 हजार से भी ज्यादा वोट कम मिले हैं, 

जो मतदाता केंद्र में सरकार के विरोध में वोट डाल रहा था उसने राज्य में सरकार के पक्ष में क्यों वोट दिया, क्या राज्य के नेता नरेंद्र मोदी से ज्यादा लोकप्रिय है।इस तरह का जनादेश आसान तो नहीं लगता, जांच की मांग, मानी नहीं जाएगी, केंचुआ निष्पक्षता का राग अलापेगा, कोर्ट तो इसे लोकतंत्र की विजय बता देगा। लेकिन आप तो सोचिए?

आपको. हैरानी वाली बात बतानी थी.

महाराष्ट्र में विधानसभा के साथ साथ नांदेड़ लोकसभा का भी उपचुनाव था.

इस लोकसभा हलके में छ: विधानसभा की सीट आती हैं.

कांग्रेस सभी छ: विधानसभा सीट हार गई है..लेकिन लोकसभा का चुनाव जीत गई है.

इसका मतलब क्या हुआ कि_सभी विधानसभा सीटों पर एक ही वक्त में वोटर..कांग्रेस के लिये वोट कर रहे और उसी वक्त में कांग्रेस के खिलाफ वोट कर रहे थे..!!

लोकसभा सीट पर कांग्रेस को 1,59,323 वोट ज़्यादा मिले हैं! छ: विधानसभा सीटों पर कुलमिला कर कांग्रेस को 4.27 लाख वोट मिले हैं, जबकि उन्हीं इलाकों की लोकसभा सीट पर 5.87 लाख वोट मिले हैं; हालांकि दोनों की पोलिंग एक साथ हुई है.

इसका मतलब क्या हुआ कि_

यही कि जिन वोटरों ने लोकसभा सीट पर कांग्रेस को वोट दिया, उन्हीं वोटरों में से औसतन 26,500 वोटर उन हर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के ख़िलाफ़ हो गए!

लेकिन कांग्रेस का हर चौथा वोटर ठीक उसी वक्त विधानसभा में पार्टी के ख़िलाफ़ क्यों हो गया था? 

अब ये तो बीजेपी के नेता भी नहीं मानेंगे ये एक-चौथाई वोटर शिंदे-फड़नवीस-अजीत की तिकड़ी को प्रधानमंत्री मोदी से भी ज़्यादा पसंद करते हैं. इसीलिए विधानसभा में उस तिकड़ी के साथ चले गए!

ये छ: विधानसभा सीट कॉंग्रेस कुल जमा 1,84,597 वोटों से हारी है, और  1.59,323 वोट लोकसभा की बनिस्बत कम हुए हैं!

System hack aur Evm  management का खेल 

अभी भी समझ ना आये तो आप दुध में बोर्नविटा डालकर पियें.

Exit mobile version