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*इजरायल – फिलिस्तीन मसला*

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*दुनिया के बदलते राजनीतिक और आर्थिक गणित*

विजय दलाल

*मोदीजी के इजरायल के समर्थन  बाद में भले ही विदेश मंत्रालय ने फिलीस्तीन संबंधी देश की पूर्ववती विदेश नीति का ही समर्थन किया हो मगर रुस – यूक्रेन युद्ध में तटस्थता की नीति से विश्व में राजनीतिक हैसियत और रूस से सस्ते तेल के जरिए जो आर्थिक कमाई की थी भविष्य में तीसरा विश्व युद्ध हो या ना हो अपनी मध्यस्थता की महत्वपूर्ण भूमिका के साथ देश में भीषण आर्थिक संकट को भी न्यौता दे दिया है। रुस ,चीन और खाड़ी के देशों का पास आना और नया खेमा बनना। गाजा पट्टी पर इजरायल के अमानवीय व्यवहार और उस पर अमेरिकी समर्थन ने यहां तक कि अभी तक यूरोप के अन्य अमेरिकी खेमें देश तक इजरायल के गाजा पट्टी की बस्ती पर महिलाओं और बच्चों पर हमले के समर्थक नहीं है और नये राजनीतिक समीकरण के कारण तीसरे विश्व युद्ध में उलझना भी नहीं चाहते।

तेल के भाव बढ़ाने के लिए पहले ही रूस और सऊदी अरब तेल का उत्पादन घटा दिया है। रूस भारत से तेल का भुगतान भी युआन चीनी मुद्रा में मांग रहा है।

जो भविष्य में खतरे के संकेत हैं।

*दुनिया 2008 से भी ज्यादा आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रही है।*भारत के उस समय सशक्त*सार्वजनिक क्षेत्र था जिसने मंदी के प्रभाव से देश की अर्थव्यवस्था को बचा लिया था।*

*अब हमारे पास वो सुरक्षा कवच नहीं है। मोदी सरकार ने बड़े सार्वजनिक क्षेत्र को बेच दिया है बचे हुए को बेचने के लिए कमजोर किया जा रहा है।*

*भविष्य में रूस के सस्ते तेल और चीन से दुनिया का सबसे सस्ता कच्चा माल के व्यापार से देश की भविष्य की कमाई और अर्थ व्यवस्था को जो मजबूती थी मोदीजी के बाइडेन और नेतन्याहू नमस्ते ने खतरे में डाल दिया है।*

*अमेरिका व यूरोप के देशों सहित दुनिया में फिलीस्तीन के समर्थन में जो प्रदर्शन हो रहे हैं और कल यूएनओ की सुरक्षा परिषद में महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जो बयान दिया। उसकी कुछ लाइनों से समझा जा सकता है। 

महासचिव की टिप्पणियों से नाराज़ हो कर इजरायल ने उनसे इस्तीफा मांग लिया। एक हिस्सा..

महानुभावों, 

गंभीर और तात्कालिक खतरे के इस क्षण में भी, हम सच्ची शांति और स्थिरता के लिए एकमात्र यथार्थवादी आधार दो – राज्य समाधान:को नजरअंदाज नहीं कर सकते।

इजरायलियों को सुरक्षा के लिए अपनी वैध जरूरतों को साकार होते देखना चाहिए, और फिलिस्तीनियों को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों, अंतरराष्ट्रीय कानून और पिछले समझौतों के अनुरूप एक स्वतंत्र राज्य के लिए अपनी वैध आकांक्षाओं को साकार होते देखना चाहिए।

अंततः, हमें मानवीय गरिमा को बनाए रखने के सिद्धांत पर स्पष्ट होना चाहिए।

दुष्प्रचार की सुनामी से ध्रुवीकरण और अमानवीयकरण को बढ़ावा मिल रहा है।

हमें यहुदी-विरोधी, मुस्लिम विरोधी कट्टरता और सभी प्रकार की नफरत की ताकतों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।

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