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भाजपा को हराना असंभव नहीं

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“संजय कनौजिया की कलम”✍️

विपक्ष में अब तक केवल एक ही पार्टी है, जो अपना चुनाव हारने के बावजूद..जनता के बीच सक्रिय होकर संघर्षरत है और वह पार्टी है राष्ट्रीय जनता दल..निरंतर पार्टी के युवा नेता श्री तेजश्वी यादव, बिहार की जनता से संवाद ही नहीं बनाये हुए हैं बल्कि उनके हक़-अधिकार हेतू लड़ाई भी जारी रखे हुए हैं..पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता एवं कार्येकर्ता बिहार की जनता से जुड़े हुए है, यही कारण है कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल अकेली ऐसी पार्टी है जिसने अपने वोट प्रतिशत में गिरावट नहीं आने दी..आज भी राजद का वोट प्रतिशत बिहार में, 40+% (प्रतिशत) है..लेकिन वर्तमान राजनैतिक स्थिति को समझते हुए सिर्फ इतने ही प्रतिशत से बिहार में भाजपा गठबंधन से मुकाबले में, परिणाम ज्यादा सुखद नहीं हो सकते..वोट प्रतिशत को 50% (प्रतिशत) पर लाना ही होगा..!


सामाजिक न्याय-समता-धर्मनिरपेक्ष के सैद्धांतिक विचारों से ओत-प्रोत गांधी-अंबेडकर-लोहिया-जयप्रकाश-चौ० चरण सिंह-कर्पूरीठाकुर की दिखाई दशा और दिशा को आगे बढ़ाने वाली शक्ति के प्रतीक उस जनता दल जिसमे वर्ष, 1989 में वी.पी सिंह, चंद्रशेखर, देवीलाल, बीजू पटनायक, राम कृष्ण हेगड़े जैसे कद्दावर नेता जो सत्ता के शिखर पर सामने आए थे..तो दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, रामविलास, शरद यादव, अजित सिंह आदि और भी अन्य नेताओं ने भी जनतादल नामक राजनैतिक दरख़्त को फलदार किया था..समय के बदलते राजनैतिक घटनाक्रमों के थपेड़ों ने इनमे सभी नेताओ को अपने-अपने राज्यों तक ही सीमित कर दिया, लेकिन इन राजनैतिक दलों की विचारधारा की नीव आज भी बहुत गहरी है..तभी इस धारा ने तेजश्वी, अखिलेश, कुमार स्वामी, हेमंत सोरेन, जयंत सिंह जैसे राजनीति की लम्बी रेस के लिए युवा नेता दिए है, तो हरियाणा में अनुभवी अभय चौटाला और उड़ीसा में वरिष्ठम नेता नवीन पटनायक ने अपने पिता बीजूदा की राजनैतिक विरासत को कभी कमजोर नहीं होने दिया..सोचिये वो कितना बड़ा छाता था, जो देश कि कुल आबादी के 85% (प्रतिशत) आबादी की नुमाइंदगी कर रहा था और यही इनकी ताक़त थी..परन्तु अपने-अपने राज्यों तक में ही सीमित रहने की जिद ने इतना बिखराव पैदा कर रखा है..!
दक्षिण पंथी (भाजपा) जैसी घोर साम्प्रदायिक, संविधान व लोकतंत्र विरोधी ताक़त इतनी बलशाली हो चुकी है जो सबको आसानी से पराजित कर दिखाकर अपने को अजय समझने लगी है..आज इस फासीवादी ताक़त के पास सभी तरह के बेशुमार साधन संसाधन है अथाह पैसा है..सरकारी गैर-सरकारी मशीनरी पर इसका कब्ज़ा है, आज देश की अन्य शक्तियां इनकी उँगलियों के इशारे पर कठपुतलियों से नाचते प्रतीत होते है..इवेंट मेनेजमेंट के माहिर, लोकलुभावन लच्छेदार भाषण शैली के जादूगर, साम-दाम-दंड-भेद के अव्वल खिलाडी, मेहनतीं, रणनीतिकार, दूरदर्शी, जनता में मिलनसार, सदैव संगठननिर्माण में चौकस, गिद्ध दृष्टि, राई को पहाड़ बनाने की कला, असत्य को सत्य कर दिखाने की निपुणता, और सबसे बड़ी खूबी इस फासीवादी विशाल झुण्ड की ये है कि अपने लाभ, स्वार्थ हेतू इन्हे राम को भी बदनाम करने की जरुरत महसूस हुई तो ये वहां भी नहीं चूकेंगे..ठीक उसी तर्ज़ पर जैसे ये महात्मा गांधी को बदनाम करते हैं..इतनी अप्रम खूबियों के बावजूद इनके विनाश की एक ही अत्यंत महत्वपूर्ण कमी है..जिसे ये फासीवादी झुण्ड भी समझता है..लेकिन बेबस रहता है, और वो कमी है कि ये सही मायने में आज भी देश की कुल आबादी का केवल 15% (प्रतिशत) स्वर्ण, लोगों की ही नुमाईंदगी करते है..परन्तु जनतादल परिवार के बिखराब के कारण, ये लोग अन्य अति दलित-अति पिछड़ी जातियों में, यादव-जाटव और मुसलमान के गुंडई का एक निराधार खौफ दिखाकर, समझाकार, बरगलाकर छोटी जाति के वोटों में सेंध लगाने में कामयाब हो जाते है !
2024 के लोकसभा में भाजपा को हराना असंभव नहीं, यदि सपा नेता अखिलेश अपने सभी गठबंधन के साथियों को एकजुट रखें चाहे जो हारे हैं या जीतें है, कोई भी अलगाव पैदा किये बगैर, सभी साथियों को लेकर बिहार के नेता तेजश्वी की तर्ज़ पर जनता के सुख-दुःख, मौलिक बुनयादी अधिकारों को लेकर मजदूर-किसान-छात्र-युवा-महिलाओं- शोषित-वंचित-उपेक्षित सभी वर्गों की लड़ाई लड़ते रहेंगे तो 50+% (प्रतिशत) वोट के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं..लेकिन पत्नी डिम्पल यादव को महिलाओं में सक्रिय करने की जरुरत है और चाचा शिवपाल यादव के सहयोग लेने एवं जिन जिलों में उनकी पकड़ है उन क्षेत्र में उन्हें सक्रिय करने की भी जरुरत है !
जनता दल परिवार के अन्य राज्यों में भी जो दल सत्ता में हैं या विपक्ष में उन्हें भी अपने वोट प्रतिशत को 50% तक लाने की जरुरत है..कई राज्यों के खांटी समाजवादी जो विद्वान भी है और राजनैतिक अनुभव या समझ रखते है और सामाजिक स्तर पर या छोटे-छोटे राजनैतिक दलों कि नुमाईंदगी करते है उन्हें भी अपने अपने गिले-शिकवे त्यागकर उदार बनकर देशहित में लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए, जनता दल परिवार के क्षेत्रीय दलों से बातचीत कर युवा नेताओं को आगे रखकर अपने अपने संसदीय क्षेत्र में काम करने की तथा संगठन निर्माण में सहयोग करने के लिए पहल कर एक बड़ा स्वरुप तैयार करना चाहिए..इसके आलावा जनता दल परिवार की हर राज्य की शाखाओं के नेताओं को हर दो-दो महीने बाद चाय पर एक साथ बैठकर भविष्य की रणनीति और योजनाओं पर चर्चा करते रहना ही..50% वोट के लक्ष्य के नजदीक ले जाएगा..ज्ञात रहे की लक्ष्य 50% तक ही सीमित ना रहे लक्ष्य जितना बड़ा होगा वो भाजपा में उतनी ही गिरावट लाएगा..अंत में यही कहूंगा..”लड़ेंगे जीतेंगे” ✊
(लेखक, के निजी विचार)

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