Site icon अग्नि आलोक

शर्मनाक है केरल में दो महिलाओं की नरबलि

Share

अशोक मधुप

आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में केरल से दो महिलाओं के नरबलि देने की खबर चौंकाने वाली है।चौंकाने  वाली इसलिए भी है कि केरल देश का सबसे  ज्यादा शिक्षित प्रदेश  है। पुराने समय से कहा जाता रहा है कि यह समाज को शिक्षित करके देश से कुप्रथा, छुआछूत, बाल विवाह, जादू−टोने और नरबलि जैसी कुप्रथा  को खत्म कर दिया जाएगा। किंतु   यह घटना  ये बताने के लिए काफी है कि समाज में कुप्रथा किस   गहराई  तक हैं।देश के सबसे   शिक्षित प्रदेश  में  ऐसा होना  चौकाने वाली घटना  है।

केरल के पथनमथिट्टा जिले एलंथूर में दो महिलाओं के अपहरण और फिर जादू-टोने में बेरहमी से हत्या की गई। इन महिलाओं के शवों को आरोपी ने अपने घर में ही दफना दिया। पुलिस ने बताया कि इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। जिन तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, उन्होंने इन महिलाओं की हत्या ‘जादू-टोना अनुष्ठान’ के तहत की । आरोपियों को भरोसा था कि यदि वह मानव बलि देंगे तो उन्हें खूब सारा पैसा मिलेगा।पुलिस के अनुसार, जिन महिलाओं की हत्या की गई है वे केरल के एर्नाकुलम जिले की रहने वाली थी। इन महिलाओं की पहचान रोजलिन और पद्मा के रूप में हुई है, यह दोनों क्रमशः जून और सितंबर में लापता हो गई थी। पुलिस को  उनके लापता होने के मामलों की जांच के दौरान पता चला कि इन दोनों महिलाओं की ‘मानव बलि’ दी गई थी।इतना  ही नही एक महिला के 56 टुकड़े  किये गए। शव को खाया भी गया।

कोच्चि शहर के पुलिस आयुक्त सीएच नागराजू ने मीडिया को बताया इन महिलाओं का सिर काट दिया गया और उनके शरीर को पथनमथिट्टा के एलंथूर में दफनाया गया था। पुलिस आयुक्त ने आगे कहा “दंपति एक वित्तीय संकट का सामना कर रहे थे । उन्होंने भगवान को खुश करने और संकट से बाहर आने के लिए महिलाओं की बलि देने का फैसला किया।पुलिस ने एलंथूर से भगवल सिंह और लैला नाम के एक दंपति को हिरासत में लिया है। भगवल सिंह एक वैद्य के रूप में जाना जाता है जो अपने घर पर ही मरीजों की देखभाल करता था। इस मामले में पेरुंबवूर के शफी उर्फ रशीद नाम के एक शख्स को भी   हिरासत में  लिया गया है। शफी   पर पुलिस को शक है कि  ये तांत्रिक है। ये ही  महिलाओं को वही दंपति के पास ले गया। दंपति भगवल सिंह और लैला दोनों का मानना था कि नरबलि देने से उनके घर में धन-संपत्ति आएगी। इसलिए दो महिलाओं की गला काटकर हत्या कर दी और फिर शव को खेत में दफना दिया।

शफी  पहली महिला  रोजलिन को यह कह कर दंपति के घार लाया कि उसे साफ्ट पोर्न फिल्म में काम करना होगा।  इसके लिए उसे दस लाख  रूपये मिलेंगे।घर में  आने पर रोजलिन को बिस्तर में  लेटने को कहा गया।फिल्म की शुटिंग के नाम पर तीनों आरोपियों ने महिला को  बिस्तर से बांध दिया।भागवल  सिंह हथौड़ा  ले आया।उसने हथौड़े से रोजलीन का सिर फोड दिया। सिंह की पत्नी लैला ने तलवार से रोजलीन की गर्दन काट दी।  चाकू  से रोजलीन के गुप्तागों पर वार किया गया। महिला के खून को घर के अलग – अलग हिस्सों में छिड़का गया।  बाद में राजलीन के शव को घर के खेत में  दफन कर दिया गया।दंपति ने बलि के बाद भी आर्थिक हालत में बदलाव न होने पर शफी से बलि के लिए एक और महिला  लाने को कहा ।  वह दूसरी महिला को लाया।  उसकी भी   पहली की ही तरह बलि दी गई।इस घटना के बाद इसी जनपद एक महिला के जादू टोना का वीडियों  वायरल हो रहा है।इस वीडियों में एक महिला बच्चे पर जादू −टोना कर रही है। पुलिस ने महिला के पति को गिरफ्तार कर लिया है।

यह केरल का पहला  ही केस नही है। केरल में  जून 2022 में भी लाटरी बेचने वाली एक 49 साल की महिला की बलि दी जा चुकी है। महिला को पैसों का लालच देकर एक कपल अपने साथ ले गया था। बाद में उसकी हत्या कर दी गई। आरोपियों ने महिला के शव के टुकड़े करके दफना दिया था।

आंकड़ों के अनुसार केरल में आजादी के बाद से अब तक बलि के आठ मामले दर्ज किए गए। पिछले साल मां ने अपने ही बच्चे की बलि चढ़ा दी। 2004 में बच्चे के हाथ-पांव काट दिए। 1996 में दंपति ने बच्चे की चाह में छह साल की बच्ची की बलि चढ़ा दी। 1983 में मां-बेटे ने शिक्षक की बलि देने की कोशिश की। 1973 में बच्चे की बलि दे दी गई। 1956 में गुरुवायुर में कृष्णन ने बीमार हाथी के लिए अपने दोस्त का गला रेत दिया। उसने कोर्ट में कहा था कि हाथी बड़ा जानवर है। इंसान छोटा। जब हाथी मर रहा हो तो इंसान के जिंदा रहने का कोई मतलब नहीं। 1955 में भी किशोर की गला दबाकर हत्या कर दी।

 ये सत्य है कि अंग्रेजों ने  देश को लूटा।हमारी प्राकृतिक संपदा  और संसांधनों का दोहन किया। सोने की चिड़िया के नाम से मशहूर भारत  को बरबाद कर दिया। पर ये भी   सही है कि उसने भारतीय  समाज के सुधार के लिए भी  काफी काम किया।भारत में बाल विवाह वर रोक लगाई।  विधवा  विवाह के लिए कानून  बनाया।भारत में नरबलि पर रोक गवर्नर लार्ड  हार्डिंग के समय में 1845 में पूरी तरह से लग चुकी थी।इस रोक को 177  साल बीत गए। किंतु नरबलि की घटनांए  रूकने का  नाम नही ले रहीं।नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी  के आंकड़े बताते हैं कि जादू-टोने ने 10 साल में एक हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। 2012 से 2021 के बीच देश में 1,098 लोगों की मौत का कारण जादू-टोना ही था।

−17 अक्तूबर 2021  को बिहार के अररिया में एक छात्र की बलि दी गई।आरोपी ने इकबाल किया कि उसने पत्नी और बेटे के साथ मिलकर ये हत्या की।

−30 मई 2020 को ओडिशा के बाहुड़ा गांव के  ब्राह्मणी देवी मंदिर के पुजारी ने पूजा करने आए सरपंच की गर्दन काटकर हत्या कर दी । आरोपी पुजारी ने बताया कि कि चार दिन पहले हमें मां मंगला देवी का सपना आया था कि नरबलि देने से यह इलाका कोरोना महामारी से मुक्त हो जाएगा। इसके बाद रात को जब गांव के ही 55 वर्षीय सरोज प्रधान मंदिर में पहुंचे तब पुजारी ने धोखे से धारदार कटारी से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।

नरबलि पर तो  आजादी से  102 साल पहले अंग्रेज के समय में रूक गई थी।इसके बाबजूद ये भारतीय समाज में  आज भी   जिंदा है।  आज भी नरबलि की घटनांए प्रकाश में आते  रहतें हैं।आज भी देश में तंत्रमंत्र, दकियानूसी मान्यताएं और नासमझी इतनी ज्यादा हावी है कि लोग अपने फायदे के लिए दूसरे की जान लेते भी नहीं झिझकते।  

नरबलि  तथा अन्य सामाजिक कुप्रथाओं के  खिलाफ समाज को जागृत करने का सरकार द्वारा लगातार  अभियान चलता रहा है। देश में शिक्षा में  भी  वृद्धि हुई। जनचेतना बढ़ी ,इसके बावजूद देश में ये कुप्रथा  जारी हैं। 1929 से  बाल विवाह पर रोक है।  इसके बावजूद बाल विवाह होते  रहतें हैं।

आज देश का सबसे ज्यादा शिक्षा  वाला  प्रदेश केरल हैं।यहां  भारतीय  कम्युनिष्ट पार्टी माकपा की सरकार  है।  प्रदेश में जनता का वामपंथ  की और झुकाव है।माकपा  तो पहले ही कुप्रथाओं का विरोध करती रही है। इसलिए  इस प्रदेश में  नरबलि के बारे में कोई  सोच भी नही सकता।यहां  साक्षरता का प्रतिशत 96 है।

 जबकि आंध्र प्रदेश में  66.4,राजस्थान में 69.7,बिहार में  70.90,तेलंगाना  में  72.8 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में  73.0,मध्य प्रदेश में  73.7,झारखंड में  74.3 और कर्नाटक  में  77.2  प्रतिशत साक्षरता है। केरल के अलावा अन्य प्रदेश में घटना का होना  साक्षरता का कम प्रतिशत माना जाता है।किंतु  केरल में तो ऐसा नही है।हालाकि इस तरह की घटनांए  मिलने पर कठोर कार्रवाई  होती है।किंतु हमारी न्यायिक प्रणाली का बड़ा दोष  है, कि इसके पूरा होने में लंबा समय लगता  है।  सालों  लग जाते है। 25− 30  साल लग जाना आम बात है ।जरूरत  है कि नरबलि के मामले में फास्ट ट्रेक  कोर्ट में  केस  चले। तेजी से अपील पर भी कार्यवाही पूरी कर आरोपियों को कुछ ही माह में कठोरतम सजा दी जाए।  इस प्रकार के जघन्य  मामलों के निर्णय बड़े  स्तर पर प्रचारित हों,अखबार  और इलेक्ट्रिक मीडिया की सुर्खी बनें ,समाज में बहस का मुद्दा बने, ताकि आगे से  सा करते आदमी डरे।समाज की कुप्रथाओं पर रोक के लिए  जनचेतना  का काम स्कूली स्तर पर शुरू हो। स्कूलों में सवेरे  प्रार्थना के समय कुप्रथाओं को रोकने के लिए छात्रों को   जागृत किया जाए।

जादू,टोने, टोटकों की सच्चाई  जनता  तक पहुंचे। धार्मिक संस्थाओं और धर्म गुरूओं को भी इस अभियान में शामिल करना  होगा,  ताकि वे अपने शिष्य  और उनके परिवार को इसके प्रति जागृत करें। सुदूर क्षेत्र में रहने वालों को भी शिक्षा मिले।तभी  जाकर सी घटनाओं को रोका  जा सकेगा। 

केरल में दो महिलाओं की हत्या के बाद अब काला जादू के खिलाफ कानून बनाने की मांग उठने लगी है। तीन साल पहले 2019 में बिल बना भी, लेकिन विधानसभा में पेश तक नहीं हुआ। इसमें काला जादू, मानव बलि रोकने के प्रावधान थे। सरकार भी इस बिल पर मौन साधे है। केरल सरकार को अब इस कानून को  लागू करने के लिए दबाव बढ़ेगा। वैसे  देश में नरबलि पर तो पहले ही रोक है।सिर्फ  काले कानून पर रोक की बात है। 

अशोक मधुप

(लेखक वरिष्ठ  पत्रकार हैं) 

Exit mobile version