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यह अपराधियों का स्वर्ण युग है..!

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हत्यारे को
अभयदान मिल चुका है…
सत्ता के शीर्ष से……!
घोषित किया जा चुका है उसे
दल और कुल का जगमग दीप….!
व्यवस्था,
समूची शक्ति और सामर्थ्य के साथ,
उसके साथ खड़ी है ,
षडयंत्रों की रंगीन छतरी को लेकर….!

झंडों, नारों जुलूसों के
उन्मत्त गर्जन में
घोंट दी गई है
क्षत विक्षत देह की
सिसकियाँ, चीत्कार….!
मूक की जा चुकी,
समूहिक चेतना, आत्मा की
चुनौती देती
कुछ दबी हुई आवाजें……!

जेल की यातनाएँ,
तेज रफ्तार गाडियाँ,
गुंडों की दहशत,
एक साथ मिटा देती है
पीड़ित और प्रताड़ितों की
कई कई पीढ़ियाँ…..!
यहाँ तक कि
बाकी नहीं छोड़ती
कानून की लड़ाई में
उनके साथ खड़े
इक्का-दुक्का लोग…..!

बिक चुके हैं
मीडिया और प्रतिष्ठान,
फर्जी मुद्दे उठा कर
चैनलों पर
घमासान जारी है……!

उत्सव, क्रिकेट, धारावाहिक जैसी
जरूरी कामों में व्यस्त,
सुसंस्कृत राष्ट्रवादियों का
सुविधा सम्पन्न समूह,
इन पचड़ों में पड़ कर
अपना जायका बिगाड़ना नहीं चाहता…..?

नफे और नुकसान का गणित,
निर्लिप्त, असंवेदनशील ही नहीं
क्रूर बना चुका है हम सबको…..!
यूं भी गलत का विरोध,
जुल्म का प्रतिरोध,
घोषित अपराध है इन दिनों…..!

वे शातिर खिलाड़ी हैं
जानते हैं
ऐसे कितने ही हादसे,
परिदृश्य से
ओझल कर देने का खेल….!
सुलगाए रखते हैं
नफरत की आंच,
जो बड़ी लपटों में बदल कर
एकमुश्त जीत दिला देती है…..!

उनका प्रबंधन
सम्हाल ही लेता है
रोष, प्रतिरोध और चुनौती,
साम-दाम-दंड- भेद में
महारथ हो चुकी है उन्हें…..!
चुनावों के मौसम में
हर एक की उपयोगिता
या निरर्थकता का
भरपूर आकलन है उनके पास…..!

खून के आंसुओं का सैलाब,
क्या कभी बह पाएगा….!
बांध तोड़ कर दिशा दिशाओं में,
जिसमें डूब सकें
फूलमालाओं से लद कर
कैमरों के सामने
बेशर्मी के साथ
मुस्कुराते ये माननीय….!

चुल्लू भर पानी तो
नाकाफी है
इतने गुनाहगारों के लिए….!

प्रभा मुजुमदार,मुंबई,संपर्क – 99692 21570

प्रस्तुकर्ता – राम किशोर मेहता,अहमदाबाद, संपर्क – 919408230881

संकलन – निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद, उप्र,संपर्क -9910629632

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