Site icon अग्नि आलोक

हाई-रिस्की है आईवीएफ : जानें जटिलताएं और प्रेग्नेंसी के लिए लें हमारी निरापद सेवाएं*

Share

       डॉ. प्रिया 

     दो दिन पहले आपने यहां हमारी टीम की लोकप्रिय चिकित्सिका डॉ. नीलम ज्योति के आलेख में आईवीएफ क्या है और इसकी प्रक्रिया क्या है : यह समझा. यहां इस पद्धति की जतिलताओं- खतरों से मैं आपका परिचय करा रही हूँ. रिस्की के साथ यह मैथड बेहद महंगा भी है. आप चाहें तो हमारी निःशुल्क सेवा लेकर प्रेग्नेंट हो सकती हैं. आपको सौ फीसदी कम्प्लीट रिजल्ट चाहिए, जीनियस संतान चाहिए तो आपका स्वागत है. कैसे : यह हमारा सब्जेक्ट है. आप हमारे व्हाट्सप्प पर बात कर सकती हैं. हाँ, अगर आपके लिए आम से ज्यादा गुठली गिनने से मतलब है तो हमें डिस्टर्व नहीं करना.

        मां बनना हर औरत का सपना होता है। मगर बदली हुई जीवनशैली में स्त्रियों और पुरुषों की प्रजनन क्षमता बेहद निगेटिव रूप से प्रभावित हुई है। लड़कियां स्कूली लाइफ से ही सेक्सप्रैक्टिस में इन्वॉल्व हो जाती हैं. लड़कों की तो यह सनातन बीमारी है. हस्तमैथुन के अलावा कइयों तक को भोगा जाता है. शरीर का जो सार स्वाहा होता है, वो तो होता ही है, अपनाने जाने वाले गर्भरोधी तरीके कोढ़ में खाज सावित होते हैं.

     इसकी वजह से चाहते हुए भी कई जोड़े अपना बेबी प्लान नहीं कर पाते। इसके अलावा बिजी लाइफस्टाइल और बढ़ती उम्र में बेबी प्लान करना भी ऐसे जाेखिम हैं, जिनमें प्रेगनेंसी की संभावना कम हो जाती है।

       ऐसे जोड़ों के लिए आईवीएफ एक सहयोगी प्रक्रिया है। अलग-अलग स्थितियों में आईवीएफ को अलग तरह से इस्तेमाल किया जाता है। यह प्रक्रिया भी पूरी तरह हानिरहित नहीं है। इस दौरान और इसके बाद भी महिलाओं को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

*आईवीएफ प्रोसेस :*

      अकसर पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज और ओवरी संबधी समस्याओं के साथ ही पुरुषों में स्पर्म काउंट में कम होने पर आईवीएफ प्रोसेस को चुना जाता है। दुनिया भर में सबसे ज्यादा यह प्रोसेस अपनाया किया जा रहा है।

     मेडिकल जर्नल के मुताबिक इन विट्रो फर्टिलाइजेशन प्रोग्राम के तहत होने वाली समस्याओं को आईवीएफ कॉम्प्लीकेशंस (IVF complications) कहा जाता है। जिनमें हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम, ब्लीडिंग, इंफैक्शन, एक्टोपिक प्रेगनेंसी और थ्रोम्बोसिस आदि शामिल हैं।

*क्यों हाई रिस्क प्रेगनेंसी है आईवीएफ?*

       हर प्रेगनेंसी में रिस्क फैक्टर रहता है। आईवीएफ गर्भावस्था एक काम्प्लेक्स सिचुएशन है जिसे बड़ी मुश्किल से अचीव किया जाता है। बदल रहे लाइफ स्टाइल के चलते बहुत सी प्रेगनेसी अर्ली स्टेज पर ही अबॉर्ट हो जाती हैं।

    आलम ये है कि यंग हेल्दी कपल्स में भी आजकल प्रत्येक आवयूलेशल साइकिल में प्रेगनेंसी रेट 20 से 30 फीसदी कम हो चुका है।

       दुनिया भर में आईवीएफ का सक्सेस रेट 45 से 50 फीसदी तक रहता है। हर साईकिल में प्रेगनेंसी सक्सेसफुल नहीं हो पाती है। मगर हर ओवयूलेशन पीरियड में प्रेगनेंसी की उम्मीद थोड़ी बढ़ जाती है।

दरअसल, 30 से लेकर 35 साल की उम्र की महिलाओं में प्रजनन प्रणाली कम होने लगती है। 40 की उम्र के बाद महिलाओं में नेचुरल प्रेगनेंसी की दर केवल 8 फीसदी ही रहती है। 35 से ज्यादा उम्र में अगर आप प्रेगनेंट हो रही हैं।

     मां और बच्चे दोनों के लिए ही जोखिम से भरा हो सकता है। इसे हाई रिस्क प्रेगनेंसी की श्रृंखला में रखा जाता है। महिलाओं की ज्यादा उम्र आईवीएफ में सर्वप्रथम रिस्क फैक्टर है। कम उम्र की महिलाएं भी अगर किसी हेल्थ प्रोब्लम से गुज़र रही हैं, तो उसे भी हाई रिस्क प्रेगनेंसी की श्रेणी में रखा जाता है।

ये हैं आईवीएफ के दौरान होने वाली कॉम्प्लिकेशंस :

      *1. एक्टोपिक प्रेगनेंसी :*

प्रेगनेंसी में महिलाओं की बॉडी कई स्टेजिस से होकर गुज़रती है। प्रेगनेंसी के लिए फर्टिलाइज्ड एग का यूटरस तक पहुंचना ज़रूरी होता है।

      इसमें एब्रियॉज को गर्भ में इंप्लाट करने के बावजूद भी वो गर्भाशय की जगह अगर ट्यूब में ही बढ़ने लगता है, तो उसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहा जाता है। अगर जांच के दौरान इस स्थिति का जल्द पता चल जाता है, तो इसका उपचार किया जा सकता है।

*2. मिसकैरेज का जोखिम :*

    हेल्दी और नॉर्मल प्रेगनेंसी में भी यूं तो मिसकैरेज का खतरा बना रहता है। अगर आईवीएफ की बात करें, तो उसमें ये जोखिम दो गुना बढ़ जाता है।

      इसके लिए उम्र एक बड़ा कारण साबित होता है। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है। वैसे वैसे मिसकैरिज का खतरा भी बढत्ने लगता है। फॉलिकल ग्रोथ के लिए डॉक्टर कई प्रकार के उपचार का प्रयोग करते हैं।

      यू तो डॉक्टर एक ही एग को टरासंफर करते हैं। मगर इस स्थिति से निपटने के लिए डॉक्टर दो फर्टिलाइज्ड एग्स को स्थापित करते हैं, ताकि प्रगनेंसी का चांस बढ़ सके।

*3. मल्टीपल प्रेगनेंसी का खतरा :*

      फेमीलाइफ, द फर्टिलिटी हॉस्पिटल के मुताबिक आईवीएफ की सक्सेस रेट को बढ़ाने के लिए डॉक्टर सेफ साइड रहने के लिए हर साइकिल में दो से तीन एम्ब्रेयोज़ को ट्रांसफर करते हैं।

     इससे मल्टीपल प्रेगनेंसी का रिस्क सदैव रहता है। इसमें 15 से 20 फीसदी मामलों में जुड़वा और 3 से 5 फीसदी में ट्रिपल होने की संभावना बनी रहती है।

Exit mobile version