सदा प्रसन्ना मां जगदंबा
मम ह्रदय तुम वास करो।
लेकर खड़ग त्रिशूल हाथ में
मम शत्रुदल संहार करो।
चड-मुंड के मुंड धारण कर्ता
मम संकट का भी हरण करो।
तंत्र विद्या की प्रारंभा देवी
शत्रु तंत्र मंत्र यंत्र का शमन करो।
चौसठ योगिनी संगी कर्ता
मम योग विद्या उत्थान करो।
रक्तबीज का रक्त पान कर्ता
मम शत्रुदल रुधिर पान करो।
भैरव के संग नृत्य कर्ता
मम शत्रुदल अटहा्स कर ध्वस करो।
जय जय जय मां जगदंबा काली
मम ह्रदय तुम सदैव वास करो।
डॉ.राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)
(हिंदी अध्यापक)
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कांगड़ा हिमाचल प्रदेश