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*भूपेश बघेल की पुलिसियां कार्यवाही के खिलाफ पत्रकार संघों की राष्ट्रीय कांग्रेस दफ्तर पर अनशन की तैयारी*

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*विजया पाठक,

पूर्व में भी मैंने छापा था कि कैसे छत्‍तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व में भय, दमन और अत्याचार की सरकार चल रही है। पिछले कुछ सालों से इनके खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों को जेल भेजने की योजना पर काम हो रहा है। पहले सुनील नामदेव को एनडीपीएस केस में गिरफ्तार किया। उसके बाद आज निलेश शर्मा को 504, 505 बी 153 धारा के तहत गिरफ्तार कर बिलासपुर डिटेन किया गया है। एक आईपीएस ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि कल परसों तक भूपेश बघेल मुझे भी गिरफ्तार कर सकते हैं। मेरे द्वारा आईपीएस आरिफ शेख के खिलाफ सेवा से बर्खास्तगी की भी कंप्लेंट की हुई है। आपको बता दें कि वर्तमान में आरिफ शेख के बिना छत्तीसगढ़ में पत्ता भी नहीं हिल सकता है। सूत्रों के मुताबिक मेरे और अन्य पत्रकारों के खिलाफ स्पेशल प्लानिंग इन्होंने ही की हैं क्योंकि मैंने इनकी शिकायत की है एवं पीआईएल भी लगने वाली है। सूत्रों के मुताबिक आजकल छत्तीसगढ़ में इनको डीजीपी (pseudo) भी कहते हैं। मैं भोपाल में रहती हूं और मध्‍यप्रदेश सरकार के खिलाफ लिखती हूं लेकिन यहां की शिवराज सरकार ऐसी ओछी हरकत नहीं करती है। क्‍योंकि पत्रकारों का काम सच लिखना होता है और वह चाहे सरकार के खिलाफ हो या अन्‍य के खिलाफ।

*एक तरफ राहुल गांधी अमेरिका में मोदी सरकार के पत्रकार पर कार्यवाही का प्रश्न उठाते हैं, वहीं भूपेश बघेल पत्रकारों पर लगा रहे हैं फर्जी मामले*

अभी हाल में ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अमेरिका में वॉशिंगटन डीसी में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी। उसमें पहला ही प्रश्न मोदी सरकार में पत्रकार के खिलाफ कार्यवाही को लेकर हुआ, जिसमें राहुल गांधी ने इसकी भर्त्सना की तथा इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रहार भी बताया। उन्होंने वहां भारत में नफरत की दुकान के ऊपर मोहब्बत की दुकान भी खोलने की बात कही। पर राहुल गांधी की पार्टी छत्तीसगढ़ में शासन कर रही है और उसके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो छत्तीसगढ़ में तो नफरत का शॉपिंग मॉल खोल रखा है। निश्चित ही शायद ही राहुल गांधी, प्रियंका गांधी या कांग्रेस पार्टी भूपेश बघेल से इस पर कोई प्रश्न भी करती होगी। हालात यह है कि पत्रकार, सिविल सोसाइटी आदि जो भी भूपेश या उनकी चांडाल चौकड़ी के काले कारनामे उजागर करते हैं उस पर मामला फैब्रिक्रेट करके गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा है ताकि चुनावी समय में कारगुजारियां किसी के सामने ना आए।

*क्या छत्तीसगढ़ में “कांग्रेस” का राज नहीं “भूपेश कांग्रेस” का राज है?*

छत्तीसगढ़ में फिलहाल भूपेश बघेल की कांग्रेस नजर आती है, जो कि कांग्रेस से इतर नजर आती है। जहां राहुल लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं, नरेंद्र मोदी को तानाशाह कहते हैं, मोहब्बत की दुकान खोलने की बात कर रहे। वहीं उनकी पार्टी की सरकार छत्तीसगढ़ में काबिज है और उसके मुखिया भूपेश बघेल हैं। ऐसा लगता है भूपेश बघेल की कांग्रेस राहुल गांधी की कांग्रेस से अलग है। छत्तीसगढ़ में भय-भ्रष्टाचार-कदाचार की सरकार चल रही है, जिसे उनकी चांडाल चौकड़ी चला रही है। सौम्या, सूर्यकांत, अनवर के जेल जाने के बाद विनोद वर्मा, आरिफ शेख और अनिल टुटेजा सरकार चला रहे हैं। जिसमें अनिल टुटेजा और विनोद वर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने अलग अलग मामलों में स्टे दे रखा है। जुलाई तक यह स्टे हट जाएंगे। उसके बाद इनकी गिरफ्तारी हो सकती है। भूपेश बघेल के पुत्र भी गिरफ्तारी की रडार पर हैं। चुनावों से पहले शायद भूपेश बघेल खुद ना गिरफ्तार हो जाए। आरिफ शेख के खिलाफ केंद्र में जांच चल रही है और उनके खिलाफ पीआईएल भी 2-3 दिनों में दाखिल हो जायेगी। आगे इनकी बर्खास्तगी निश्चित है, ऐसे में भूपेश बघेल चुन-चुनकर ऐसे पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर कार्यवाही कर रहे हैं जो उनके काले कारनामों को उजागर कर रहे हैं। आज ही बिलासपुर के पत्रकार मणिशंकर पाण्‍डेय के खिलाफ भिलाई भट्टी थाने के पुलिस कर्मी नोटिस लेकर आए थे, जबकि महादेव ऐप पर जगत विजन ने सुप्रीम कोर्ट में केस दाखिल किया हुआ है और सरकार को नोटिस भी मिला हुआ है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार ने बिलासपुर हाईकोर्ट में लिखित जवाब भी दिया था, जिसमें उन्होंने मेरे और मेरे संवाददाता के खिलाफ कोई कार्यवाही न करने का जिक्र भी किया था। स्थिति तो यह है सरकार को अब माननीय अदालतों के कंटेंप्ट का भी डर नहीं रहा। जैसा कि मैंने ऊपर लिखा हैं कि इस तानाशाही सरकार को किसी अदालत का सम्मान नहीं बचा है जबकि सरकार अभी माननीय अदालत द्वारा दिए हुए जमानत पर चल रहे हैं। खैर मैं इन लोगों के खिलाफ अपने खून के आखिरी कतरे तक लिखती रहूंगी मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल मुझे जेल डाले या मेरी हत्या कराए। शायद मुझ पर कार्यवाही के बाद कांग्रेस की मोहब्बत की दुकान का प्रोपेगंडा खत्म हो सकेगा, क्योंकि मोहब्बत की दुकान पहले अपने घर में खोलनी चाहिए।

*छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने व्यंग्य लिखने पर पत्रकार को दुबारा जेल भेजा*

छत्तीसगढ़ में एक पत्रकार नीलेश शर्मा को व्यंग्य लिखने के आरोप में पुलिस ने उठा लिया है। उन्हें जेल भेज दिया गया है। स्वतंत्र पत्रकार नीलेश शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने राज्य की कांग्रेस पार्टी की प्रदेश सरकार के ख़िलाफ़ व्यंग्य लिखने का दुस्साहस कर दिया है। अब जब उन्हें व्यंग्य लिखने के आरोप में जेल भेजे ही दिया गया है तो कई लोग दबे चुपके से सवाल उठा रहे हैं कि क्या मोहब्बत की कथित दुकान चलाने वालों के राज में व्यंग्य लिखना भी अपराध हो गया है? दबे चुपके से इसलिए क्योंकि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ज़ोर-ज़ोर से लिखने पढ़ने और आवाज़ उठाने पर सीधे बुलडोज़र चला कर नींव तक खोद देती है और वन्य जीव अधिनियम से लेकर ड्रग्स तक के मुक़दमे लगा अंतहीन समय तक के लिए जेल भेज देती है। सच लिखने पढ़ने वालों की नौकरियाँ खाने के भी कई उदाहरण हैं। वैसे आज सुबह से चर्चा छत्तीसगढ़ में पुलिस द्वारा चार पत्रकारों को उठाये जाने की है। बताया जा रहा है कि मनोज पांडे नाम के एक पत्रकार को एक्सटॉर्शन केस में पकड़ा गया पर वो 10 दिन पहले की बात है। एक अन्य टीवी पत्रकार को भी पकड़ा गया, जिस पर आरोप है कि उसने पत्रकारिता करते-करते बड़ा सा घर बना लिया है। इन घटनाओं के ज्यादा डिटेल नहीं मिल पाए हैं।

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