Site icon अग्नि आलोक

 कर्नाटक की के डी केमपम्मा…जिसे साइनाइड मल्लिका के रूप में जाना जाता है 

Share

उसने महिला की लाश के गले से सोने का रानी हार निकालकर अपने गले में डाला, फिर उसने उस लाश के हाथों में पहनी सोने की चूड़ियों को उतारा और अपने हाथों में डाला। सजी-धजी लाश के माथे से मांग टीका निकालने के बाद, वो इठलाने लगी। गले में सोने का बड़ा सा हार लटकाकर, हाथों में कंगन, माथे में टीका पहनकर वो खुद को महारानी समझने लगी। नीचे जमीन पर लाश पड़ी थी और लाश के सामने वो सोने के भारी गहनों को देख-देखकर खुश हो रही थी। ये महिला जिसकी लाश जमीन पर पड़ी थी वो थोड़ी देर पहले तक ज़िंदा थी, लेकिन इस दूसरी लालची महिला ने उसे मौत की नींद सुला दिया।

बेंगलूरु की महिला सीरियल किलर
ये कहानी है साइनाइड मल्लिका के नाम से मशहूर भारत की पहली महिला सीरियल किलर की जिसने बेंगलूरु के एक मंदिर को अपने गुनाहों का ठिकाना बनाया। ये वो हैवान थी जिसने इंसान तो छोड़ो अपने लालच के चक्कर में भगवान को भी नहीं छोड़ा। बात है करीब चौबीस साल पुरानी। बैंगलोर में एक मंदिर में केडी केमपम्मा नाम की महिला रहती थी। ये खुद को भगवान की सबसे बड़ी भक्त कहती थी। ये दावा करती थी कि मंदिर ले जाकर ये महिलाओं के सारे दुख-दर्द दूर कर देगी। ये खुद को भगवान का मसीहा बताती थी। वो महिलाओं को विश्वास दिलाती थी कि उसके पास वो साधना है जिसकी बदौलत वो उनकी ज़िंदगी में सुख ला देगी।

पूजा के नाम पर करती थी कत्ल
केडी केमपम्मा मंदिर में पूजा पाठ करती, लेकिन इसकी नज़र मंदिर में आने वाली अमीर महिलाओं पर होती। ये उन महिलाओं की तरह अमीर बनना चाहती थी और यहीं से इसके शातिर दिमाग में एक ऐसे खौफनाक अपराध ने जन्म लिया जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। अपराध को अंजाम देने का साइनाइड मल्लिका का तरीका बेहद भयानक था। ये मंदिर में आने वाली अमीर महिलाओं से मिलती जुलती और उनके दुखों के बारे में जानती। ये उन्हें भगवान के चमत्कार की कहानियां सुनाती और उन्हें अपने झांसे में लेकर उनके कष्टों को दूर करने की बात करती। कई महिलाएं बच्चों की चाह में, कई नौकरी-पैसे की मनोकामना को लेकर तो कई घर में सुख शांति की कामना को लेकर इस फरेबी महिला के झांसे में आ जाती और फिर ये उन्हें एक खास अनुष्ठान के लिए सुनसान जगह पर बुलाती।

प्रसाद में देती थी साइनाइड
इस अनुष्ठान के लिए ये या तो एकदम सुबह का वक्त चुनती या फिर रात का, जब आसपास कोई नहीं होता। महिलाओं को ये उनके पूरे गहने में सज-धज कर उस सुनसान इलाके में ले जाती। ये कुछ दिखावा करने के लिए पहले उस महिला के सामने पूजा-पाठ करती और फिर उसे आंख बंद करने के लिए कहती। इस दौरान ये महिला के प्रसाद में साइनाइड मिलाती और फिर उस महिला को दे देती। साइनाइड पलभर में ही महिला की जान ले लेता। उसके बाद ये साइनाइड किलर, महिला की लाश से सारे गहने और पैसे छीनकर वहां से फरार हो जाती।

भगवान के नाम पर क्राइम
इस साइनाइड की मल्लिका का पहला निशाना था बेंगलूरु की रहने वाली ममता राजन। 1999 में इसने ममता राजन का कत्ल किया, लेकिन ये पकड़ में नहीं आयी। इसके बाद तो जैसे बैंगलोर में अमीर महिलाओं के कत्ल का सिलसिला ही शुरू हो गया। अक्सर अखबारों में अमीर महिलाओं की मौत की खबरे छपतीं, लेकिन कातिल कौन है ये बेनकाब नहीं हो रहा था। इसी साल केडी केमपम्मा ने 5 महिलाओं को प्रसाद में जहर देकर मार डाला। भगवान के नाम पर ये क्राइम करती रही और कोई इस महिला पर शक भी नहीं कर पाया।

छह कत्ल से मचाई सनसनी
पांच कत्ल हो चुके थे इसलिए इसने कुछ समय के लिए पूजा-पाठ का दिखावा छोड़कर लोगों के घरों में काम करना शुरू किया। इसी दौरान ये एक घर से गहने चोरी करती हुई पकड़ी गई। इस मामले में इसे छह महीने की सजा हुई। ये सजा काटकर वापस आयी। तब तक बैंगलोर में मौत की खबरों को लेकर जो हड़कंप मचा था वो थोड़ा शांत हो गया था। इस साइनाइड किलर ने भी पांच महिलाओं का कत्ल करके अपने पास इतना पैसा और गहने जमा कर लिए थे कि इसने कुछ समय तक कोई अपराध न करना ही मुनासिब समझा। करीब पांच साल बाद जब इसका पैसा खत्म होने लगा तो इसने फिर एक नई महिला को अपना शिकार बनाया।

पुलिस ने पड़ताल शुरू की
इस बार इसके झांसे में आयीं बैंगलोर की रहने वाली नागवेणी नाम की एक बेहद अमीर महिला। उसी पुराने अंदाज में इसने पूजा-पाठ और एक खास साधना करवाने के लिए इस महिला को भी सुनसान इलाके में ले जाकर साइनाइड दे दिया। एक बार फिर बेंगलूरु में दहशत फैल गई। महिलाओं में फिर डर बैठ गया। ये साफ था बैंगलोर में सीरियल किलिंग हो रही थी और साइनायड किलर फिर लौट आया है। पुलिस ने एक बार फिर पुरानी फाइलों ओपन किया। कत्ल बिल्कुल वैसे ही हुआ था जैसे पहली पांच महिलाओं का।

2007 में हुई गिरफ्तार
पुलिस के लिए अब ये मामला बेहद चैलेंजिंग हो गया था। मरने वालीं सारी बड़े घरों की महिलाएं थी। छानबीन शुरू हुई और इस बार ये साइनाइड मल्लिका नहीं बच पाई। 2007 में पुलिस ने केडी केमपम्मा को बस स्टैंड से गिरफ्तार किया। पुलिस कस्टडी में इसने कबूल किया कि इसने आठ महिलाओं को प्रसाद में साइनाइड मिलाकर दे दिया। ये अमीर बनना चाहती थी, ये उन अमीर महिलाओं की तरह ही दिखना चाहती थी और इसलिए इसने ये खौफनाक रास्ता चुना।

अमीर बनने की थी चाहत
केडी केमपम्मा का जन्म कर्नाटक के एक गरीब परिवार में हुआ था। बचपन से ही ये अमीर बनने के सपने देखती थी, लेकिन इसकी शादी के एक दर्जी से कर दी गई। शादी के बाद इस महिला ने लोगों के घरों में काम करना शुरू किया, लेकिन कुछ ही दिनों में इसने जिस घर में काम करती थी वहीं चोरी की। 1997 में इस चोरी के आरोप में इसे जेल जाना पड़ा। एक साल बाद जब ये लौटकर आई तो इसके पति ने इसे घर से भगा दिया।

साइनाइड मल्लिका का खौफ
केडी का शातिर दिमाग हमेशा कुछ उल्टा ही सोचता था। इसने कुछ कामवाली को अपने झांसे में लेकर चिट-फंड कंपनी बनाई। कई महिलाओं इस कंपनी के नाम पर पैसा ऐंठा, लेकिन ये कारोबार भी ज्यादा दिन नहीं चल पाया। अब पैसों को कमाने का नया तरीका इसके दिमाग में आया और इस बार इसने मंदिर की शरण ली। भगवान के नाम पर ये औरत को मौत के घाट उतारने लगी।

अदालत ने सजा-ए-मौत दी!
साइनाइड की मल्लिका खौफनाक चेहरा कई सालों तक लोगों के सामने नहीं लेकिन 2007 में जब ये पकड़ी गई तो इसने अपने सारे गुनाहों का काला चिट्ठा खुद पुलिस को बयां किया। 2012 में इसे अदालत ने सजा-ए-मौत दी। हालांकि बाद में इस साइनाइड मल्लिका की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया और अब ये बेगलुरू की जेल में सजा काट रही है।

Exit mobile version