उमेश प्रसाद सिंह, पटना
दो बार मुख्यमंत्री और एक बार उपमुख्यमंत्री के रूप में भ्रष्टाचार के विरुद्ध जो कार्रवाई आदरणीय कर्पूरी ठाकुर जी ने की है; इस राष्ट्र का कोई प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने आजतक नहीं की है। ( कम अवधि में)
1967 जब वे पहली बार उपमुख्यमंत्री बने तो बडे काँग्रेस नेताओं के विरूद्ध ” अय्यर जाँच आयोग” बैठाया और काँग्रेस नेताओ के साथ बडे अधिकारियों पर कार्रवाई की गयी थी।उस कार्रवाई के बीच डाक्टर लोहिया पटना आये थे तो गाँधीमैदान की विशाल सभा में कहा था ” साँप को छेड़ो मत; छेड़ो तो छोडो मत”?( श्री कृष्ण बल्लभ सहाय, महेश प्रसाद सिंह,सत्येन्द्र नारायण सिंह, राम लखन सिंह यादव,राघवेन्द्र प्रसाद सिंह, अम्बिका शरण सिंह को अभियुक्त बनाया गया था)
जब वे पहली बार मुख्यमंत्री बने तो बिहार में बडे बडे जो मामले चल रहे थे ; उस समय भी वे निगरानी विभाग के कार्यक्षेत्र को बढाया। उन्होंने सीबीआई को अधिकार-क्षेत्र बिहार में अनुमति की आवश्यकता को समाप्त कर दिया था। जब टाटा कम्पनी के वैगन- लूट का मामला आया था ; उसपर ऐसी पैरवी उच्चतम न्यायालय में हुई थी कि उच्चतम न्यायालय का आदेश हुआ कि टाटा रेलवे को वैगन लौटा दे ; और बिहार और रेलवे को बकाया पैसा लौटाये। टाटा वैगन लेकर अनिश्चित काल तक अपनी कोलियरी का कोयला ढुलाई करता रहता था। यह बहुत बडी सबसे बडे कार्पोरेट के विरूद्ध एक राज्य सरकार का छाती खोलकर भ्रष्टाचार से लडने का था; आज तो यह हिम्मत केन्द्र के पास भी नहीं है।
1977 में वे जैसे आये बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर जगन्नाथ मिश्र के विरुद्ध मुकदमें दर्ज कराकर उनके पटना और बलुआ बाजार घर पर छापामारी हुई। गाँधीमैदान- पटना जंक्शन के गिरवी रखने के मामले में मुकदमें हुए। जिसमें काँग्रेस के एक एम एल सी भी गिरफ्तार हुये। इनके साथ दो MINES DIRECTOR जैसे L D SINHA और एक B.THAKUR जी हों; विन्देश्वरी दूबे पूर्व मुख्यमंत्री के दामाद जगदीश पाण्डेय हों या कुख्यात इंजीनियर हरिद्वार पाण्डेय हों या आबकारी का बडा अधिकारी एस वी मानकी ; सभी पर कुल 17 मुकदमें दर्ज हुये ।( जगन्नाथ मिश्र उच्चतम न्यायालय में इन्दिरा जी के सहयोग से एक जज BAHRUL ISLAM को SUPREME COURT जज बनाया गया और वे श्री मिश्र के पक्ष में जजमेंट देकर इस्तीफा कर फिर राज्यसभा में चले गये)
आपातकालीन युग की ज्यादतियों के विरूद्ध शाह जाँच आयोग के साथ सिन्हा आयोग का गठन कर आपात काल के दोषियों पर कार्रवाई ; उनका एजेण्डे में था; जिन अधिकारियों को मनमानी ढंग से आपात काल में जबरन सेवानिवृति दे दी गयी थी; चन्द्रिका प्रसाद आयोग गठनकर उन सबको सेवा में ले लिया गया।
अभी तो जब पुलिस विभाग के सबसे बड़े माफिया पर वे सीबीआई जाँच का निर्णय लेने जा रहे थे ; उनकी सरकार गिरा दी गयी।
बीपीएल मंडल – जगदेव प्रसाद ने कर्पूरी जी एवं अन्य 36 को फंसाने के लिये जिस जस्टिस मधोलकर का आयोग बैठाया था ; उस जस्टिस मधोलकर ने कर्पूरी जी के पक्ष में जो स्तुतिगान किया है — वह बिहार सरकार को प्रचारित करना चाहिए।