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झंडा उंचा रहे हमारा

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राकेश श्रीवास्तव 

15 अगस्त को देश ने ब्रितानी हुकूमत से अपना तिरंगा फहराने का अधिकार छीना था।तिरंगा हमारी आन बान शान है।इसके लिये आजादी के पुरखों ने बिना किसी बात की परवाह किए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया।आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष मे हर घर तिरंगा अभियान एक सराहनीय प्रयास है।

झंडा फहराने के लिए भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी 2022 से लागू फ्लैग कोड 2002 का पालन किया जाना चाहिए।इसमे मुख्यतः निम्न बदलाव किए गए हैं। 

1. अभी तक हाथ से बुना और काता हुआ ऊन,कपास या रेशमी खादी से बना राष्ट्रीय ध्वज ही फहराया जा सकता था। पर अब मशीन से बना हुआ कपास,उन या रेशमी खादी से बना तिरंगा भी फहरा सकते हैं।साथ ही अब पॉलिएस्टर से बना तिरंगा भी फहराया जा सकता है।

2. बदलाव के पहले तक किसी घर,निजी संगठन या दूसरे संस्थानों में तिरंगे को सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराने की अनुमति थी।रात के समय राष्ट्रीय ध्वज को नहीं फहराया जा सकता था।लेकिन अब आम लोग,निजी संगठन या संस्थान दिन और रात तिरंगा फहरा सकते हैं,अर्थात 24 घंटे तिरंगा फहराया जा सकता है। 

तिरंगा के साइज को लेकर कोई नियम नहीं है परंतु यह हमेशा 3:2 के अनुपात मे आयताकार होगा। 

मेरा अनुरोध है कि आप सभी खादी का ही झंडा फहरायें। अंतिम समय मे कमी हो सकती है,अतः अभी ही गांधी आश्रम या अन्य कहीं से भी खादी का ही झंडा खरीदें।अधिक से अधिक लोग देश मे निर्मित खादी के झंडे लगायें जिससे घरेलू खादी ग्रामोद्योग को प्रोत्साहन मिले ।सरकार की तीन दिनों में 20 करोड़ घरों में तिरंगा फहराने की योजना है।मेरा अनुमान है कि यदि सभी झंडे सूती या खादी के हों तो लगभग पांच हजार करोड़ रुपए का व्यवसाय हो सकता है।यह घरेलू उद्योग के लिए गेम चेंजर हो सकता है। 

हमे सदैव ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी दशा में देश के गौरव हमारे झंडे का अपमान न होने पाए।

जय हिंद 

आज बूडापेस्ट, हंगरी से 

10/08/2022

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