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सलामत रखो गैरत को

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शशिकांत गुप्ते

आज मिलतें ही सीतारामजी ने गुस्से में पूछा दो दिनों से संपर्क क्यों नहीं किया?
मैने कहा संपर्क शब्द का प्रयोग मत कीजिए, बस इतना कहिए कि दो दिनों से अपना मिलना नहीं हुआ?
सीतारामजी ने पूछा आपको संपर्क शब्द पर आपत्ति क्यों है?
मैने कहा इनदिनों संपर्क शब्द सियासी हो गया है। चुनाव परिणामों के बाद अल्पमत वाला सियासी खेमा बहुमत जुटाने के लिए विरोधी खेमे के लोगों से संपर्क बनाने लगता है। सियासी हलकों में यह सुगबुगाहट भी शुरू हो जाती है कि, विरोधी खेमे के कुछ लोग हमारे संपर्क में है।संपर्क के अभियान में सफलता मिलते ही तफ़री करवाने का महंगा खेल शुरू हो जाता है।
एक शहर से दूसरें शहर पाँच सितारा में विलासितापूर्ण सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती है।
सीतातामजी ने पूछा इस सुविधा का व्यय कौन करता है?
मैने कहा इस सवाल का जवाब ढूंढना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
सीतारामजी उक्त बातें सुनकर क्रोधित होकर कहने लगे आपको आज यही विषय मिला है? यह सवाल करते हुए सीतारामजी ने प्रख्यात शायर स्व. अनवर जालालपुरीजी का यह शेर सुनाया।
हकीकतों से नज़र मिलेगी तो जान लो मुँह के बल गिरेंगे
सभी खरीदे उरूज वाले सभी किराये की शान वाले

सीतारामजी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा बिकाऊ माल कभी टिकाऊ नहीं होता है।
हरएक व्यक्ति में स्वाभिमान होना चाहिए। इस संदर्भ में अनवर जलालपुरीजी का ये शेर मौजु है।
अगर गैरत है सलामत तो गुरबत के भी आलम में
बड़ी इज्जत से मुफ़लिस का गुजर होता ही रहता है

आज सीतारामजी बहुत ही शायराना मुड़ में हैं। कोई शरीर से कमजोर हो सकता है, लेकिन आत्मबल से कमजोर नहीं होना चाहिए। आत्मबल का महात्मा गांधी इसका जीवंत उदाहरण है।
इस मुद्दे पर शायर नईम अख्तर बुरहानपुरीजी फरमातें हैं।
मै हूँ कमजोर मगर इतना भी कमजोर नहीं
टूट न जाएं कभी तोड़ने वाले मुझकों

कभी भी विरोधी को कमजोर नहीं समझना चाहिए। रावण ने भी पवनपुत्र हनुमानजी को एक मामूली वानर समझ कर छोड़ दिया था। हनुमानजी ने पूरी लंका में आग दी थी।
समय परिवर्तनशील होता है।
आज अकबर नाम का शख्स उड़ान पुल के नीचे हिंदुस्तान टाइम्स अखबार बेंचते हुए मिलेगा, कोई सलीम नामक व्यक्ति किसी मजार के पास भीख मांगते हुए देखा जा सकता है।
एक प्राकृतिक सिंद्धान्त भूलना नहीं चाहिए, परिवर्तन संसार का नियम है।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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