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गलत चाल चलते केजरीवाल

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दीपक असीम
आम आदमी पार्टी धीरे धीरे अपनी प्रासंगिकता ही नहीं विश्वसनीयता भी खोती चली जा रही है। उत्तर प्रदेश का दौरा करने के लिए गए केजरीवाल ने अयोध्या में पूजा की और ऐलान किया कि वे रामलला के दर्शन के लिए दिल्ली के लोगों को मुफ्त भेजेंगे। मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत जिस तरह मध्य प्रदेश से लोगों को अजमेर या शिर्डी आदि जगहों तक रेल से भेजा जाता था उसी तरह की योजना दिल्ली में जारी है और लोगों को धर्मस्थलों पर भेजा भी जाता है। इसी में अब अयोध्या को भी शामिल कर लिया जाएगा। इस तरह के कामों से केजरीवाल भाजपा की मदद ही कर रहे हैं।
हिंदू लोग धार्मिक यात्राओं पर निकलते हैं तो उनकी लिस्ट में शिर्डी होता है, बद्रीनाथ होता है, केदारनाथ होता है, ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं, काशी होता है, हरिद्वार और रिशिकेष होता है। कोई भी हिंदू अपनी धार्मिक यात्रा में अयोध्या के रामलला मंदिर को शामिल नहीं करता। इसका कारण है कि ज़िद के चलते भले ही अयोध्या में मंदिर बना लिया गया है मगर वो मंदिर अभी सनातन आस्था का केंद्र नहीं बना है। उसकी प्राचीनता हिंदुओं की ही नज़रों में खरी नहीं उतरती। कुछ हिंदू आज भी मानते हैं कि मस्जिद तोड़ कर मंदिर बना लेना ठीक नहीं हुआ और भगवान तो कण कण में हैं।
आम आदमी पार्टी की सरकार के खर्च से जो लोग अयोध्या जाएंगे वे भाजपा के गुण नहीं गाएंगे कि देखो भाजपा ने मस्जिद तोड़ कर कैसा भव्य मंदिर बनाया है। अगर भाजपा नहीं होती तो ये मंदिर भी नहीं होता। अपने प्रयासों से अपनी प्रतिद्वंदी पार्टी के वोट बढ़ाना इसे ही कहते हैं। अगर आप भाजपा और उसकी सांप्रदायिक राजनीति के विरोधी हैं, तो आप उन जगहों पर जाते ही क्यों हैं जो उनका कोर एरिया है। जैसे ही केजरीवाल रामलला के मंदिर गए, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ तंज़ करने लगे कि अब तो सबको राम याद आएंगे क्योंकि चुनाव हैं। केजरीवाल के पुराने ट्विट निकालकर मीडिया में चला दिये गए कि देखिए केजरीवाल ने तब क्या कहा था जब कारसेवा हुई थी। मीडिया ने भी सवाल पूछने शुरू किये और आपको धो कर रख दिया।
पिछले कुछ समय से आम आदमी पार्टी सांप्रदायिक पार्टी जैसी दिखने लगी है। भाजपा के खिलाफ खेलती भाजपा की बी टीम। अगर आपकी आस्था है भी तो टाइमिंग का तो खयाल रखिए। मगर अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार ने सांप्रदायिक ताकतों से लड़ना बंद कर दिया है। लोकतंत्र की बहाली की लड़ाई भी वे नहीं लड़ रहे। पहले भी कहा था कि केवल सस्ती बिजली और पानी ही नहीं देश में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को बचाना भी जरूरी है जिसकी लड़ाई कांग्रेस लड़ती नजर आ रही है।

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