भोपाल, मध्य प्रदेश) भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिज्ञ तथा मध्य प्रदेश के भूतपूर्व 11वें मुख्यमंत्री थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। सुंदर लाल पटवा दो बार मुख्यमंत्री रहे- 20 जनवरी, 1980 से 17 फ़रवरी, 1980 तक और फिर 5 मार्च, 1990से 15 दिसंबर, 1992 तक। वे शिवराज सिंह चौहान के राजनीति के गुरु भी माने जाते हैं।
परिचय
सुंदर लाल पटवा जी का जन्म 11 नवंबर, 1924 को नीमच से 45 कि.मी. दूर कुकड़ेश्वर कस्बे में हुआ था। वे जनता पार्टी की सरकार के दौरान 1980 और भाजपा की सरकार में 1990 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वे 1997 में छिंदवाड़ा में हुए लोकसभा उपचुनाव में पहली बार सांसद बने। पटवा जी पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री 20 जनवरी, 1980 को बने थे। जनता पार्टी सरकार के कार्यकाल में वे पहली बार 17 फ़रवरी 1980 तक ही मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद वर्ष 1990 में राज्य में भाजपा की सरकार बनी। उस समय सुंदर लाल पटवा ने 5 मार्च, 1990 से 15 दिसंबर, 1992 तक मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। उस समय राष्ट्रपति शासन लगाने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।
राजनीतिक गतिविधियाँ
छात्र जीवन से ही सक्रिय रहे सुंदर लाल पटवा 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बने। 1948 में संघ के आंदोलन में शामिल होने के कारण उन्हें कुछ माह जेल में भी गुजारना पड़े। समय बीतने के साथ ही सुंदर लाल पटवा सहकारी आंदोलन से जुड गए और तब उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण दायित्वों को संभाला। वे आपात काल के दौरान भी जेल में रहे। जनसंघ से अपनी राजनीति शुरू करने वाले सुंदर लाल पटवा बाद में जनता पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी से जुड गए।
सुंदर लाल पटवा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत जनसंघ से की थी, जो 1977 में जनता पार्टी के साथ जुड़ गई थी। हालांकि इसके बाद जनसंघ की हिंदुत्व विचारधारा में विश्वास रखने वाले सदस्यों ने पार्टी से खुद को अलग कर लिया और 1980 में भारतीय जनता पार्टी की शुरुआत की। वह 1977 में हुए छिंदवाड़ा के उपचुनाव में पहली बार सांसद चुने गए थे। हालांकि 1998 में हुए आम चुनावों में उन्हें यहां से हार का सामना करना पड़ा था। वर्ष 1998 में जब वे होशंगाबाद से सांसद चुने गए, तब उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया था।
शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक गुरु
सुंदर लाल पटवा मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राजनीति के गुरु भी माने जाते हैं। वे राज्य की राजनीति में कई दशकों तक सक्रिय रहे और उनके नेतृत्व और मुद्दों की समझ का लोहा विपक्षी दल के नेता भी मानते थे। काफी समय से वह राजधानी भोपाल में ही अपने सरकारी आवास पर निवास कर रहे थे।