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बिहार के क्षत्रिय राजनेता जोश उभड़ – उमड़ रहा है? 

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उमेश प्रसाद सिंह,पटना

                    महान नेता आनन्द मोहन सिंह ,अपने विधायक पुत्र के साथ ( लालू – चरण वंदना वाले) भाजपायी नीरज बबलू ; शाहाबादी राघवेन्द्र प्रताप सिंह ,नीतीश की कृपाकांक्षी संजय सिंह सभी गरज ही नहीं ; चमक रहे हैं? 

                    मैं मनोज झा जी को सुनता हूॅ। वे कभी कभी विषयांतर जरूर होते हैं लेकिन मर्य्यादा में रहते अपने आका की प्रशंसा जरूर करते है – यह विद्वान का लक्ष्ण कतई नहीं है। 

                      उसी अपने विद्वतापूर्ण भाषण में उन्होंने परम आदरणीया पूर्व विधायक/ सांसद भगवती देवी जी का नाम का उच्चारण भगवतिया देवी कहकर अपराधिक कृत्य किया है।क्या मैं उन्हें मनोजवा कहने कि धृष्टता कर सकता हूॅ? यह गाली है- और अपराधिक कृत्य है? जहाॅतक मेरी जानकारी है– वे श्रीमति भगवती देवी हैं।

                 दूसरे अपने मालिक लालू प्रसाद जी का नाम लेते हुये ; उन्हें भगवती देवी को राजनीति में लाने की ठकुरसुहाती करते हुये ; ऐतिहासिक भूल कर दी।

                लालूजी के राजनीतिक जन्म लेने के बहुत पूर्व भगवती देवी विधायक बन चुकी थी। 

                 इस देश में किसी कराय मुशहर ,भगवती देवी ,सुक्खो रानी जैसों को राजनीति में लाने की द्दष्टि डाक्टर राम मनोहर लोहिया के सिवाय किसी राजनेता की नहीं रही है ; कम से कम उन राजनेताओं की तो नहीं रही है – जो टिकट बेचते हैं ; पूरा परिवार पैसा लेता हो; पाॅच वर्ष या छ: वर्ष के फण्ड़ को लिखवा लेता हो; मनोज झा – आप किसमें हो – बताना।

                मैं भी क्षत्रिय हूॅ ।भुझे भी गुस्सा आता है । जब ये सारे नेता लालूप्रसाद की चरणवंदना कर रहे थे ; मैं उनको उनके कुकृत्यों के लिये जेल भेजने की तैयारी कर रहा था?  उनसे पहले डाक्टर जगन्नाथ मिश्र  1977 से मेरे निशाने पर थे। मेरा गुस्सा ऐसे लोगों के खिलाफ रहा है।

                       

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