डॉ. प्रिया
दिन भर के बारे में सोचने, विचार करने और उनके कार्यों को करने के लिए ही आकलन किया जाता है। कुछ भी काम करने या खाने से पहले हम दूसरों के बारे में सोचते हैं। इस तरह का व्यवहार हमें अंदर ही अंदर परेशान करता है। स्वयं प्रेम की भावना को भूलकर हम सभी ऊर्जा और अन्य लोगों की छाया पर निरंतर रहता है। इसके चलते हमारे अंदर कई तरह के बदलाव पैदा होते हैं।
हम अंदर ही अंदर खुद से परेशान हो जाते हैं, जिसके कारण दूसरों की बातें चिल्लाती हैं, तो कभी कोई छोटी सी बात रोने का कारण बन जाती है। जानिए कि आप किस तरह से जान सकते हैं कि आपके शरीर को मी टाइम की जरूरत है ।
मी टाइम वो समय होता है, जब हम अपने लिए कुछ देसा खास करते हैं, जिससे हमें खुशी मिलती है। फिर चाहे वो कोई सक्रियता हो या कोई और काम। इसके बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ अर्जुन पंत दावा करते हैं कि इसका सबसे पहला प्रभाव आपकी नींद पर पड़ता है।
नींद में गड़बड़ी होना एक सामान्य लक्षण है। आपकी नींद की क्वालिटी घटने लगती है और आप उठते-बैठते फ्रेश फील नहीं करते।
*शरीर पर तनाव का प्रभाव :*
आपकी स्ट्रेसफुल लाइफस्टाइल आपके शरीर पर प्रभाव डाल सकती है। इसके बाद आप अपने दिन से काम से भी उब जाते हैं। इसका प्रभाव आपकी उत्पादकता पर दिखता है। इसके अलावा आप अपनी जिंदगी मोनोटोनस शुरुआत करते हैं। कुछ नया नहीं होता है।
_ये 5 संकेत संकेत हैं कि आपको अपने साथ समय बिताने की आवश्यकता है :_
*1. लोगों की बातें शोर मचाने लगती हैं :*
कई बार हम विशिष्ट से बातें करते हैं और बहुत खुश होते हैं। वहीं कई बार ऐसा भी देखा गया है कि किसी से 2 से 3 मिनट बात करना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है। हमें घबराहट महसूस होती है और धीरे-धीरे आस पास के लोगों की आवाज भी शोर लगती है।
इसके अलावा सराउंडिग्स में बजने वाला हमारा पसंदीदा संगीत भी हमें सिरदर्द लगता है। ये सब लक्षण इस बात की ओर इशारा करते हैं कि आपका दिमाग काम करना बंद कर रहा है और वो आपको अकेले रहने के लिए कुछ देर भूखा रखता है।
*2. खुद को कमरे में बंद कर लेना :*
काम करने के बाद हमारा दिमाग इतना टायर्ड हो जाता है कि उसे खुद को रिफ्रेश करने के लिए वक्त की जरूरत पड़ती है। ऐसे में एकांत की तलाश करना या अकेले कमरे में घंटों बिताना अच्छा लगने लगता है। डॉ युवराज के मुताबिक इससे आप आत्म मंथन कर पाते हैं।
अपने बारे में विचार विमर्श कर पाते हैं। कमरे में बंद हो जाने से हम अपनी सेन्सिज़ पर फोकस कर पाते है और इससे हमारी प्रोडक्टिरविटी भी बढ़ने लगती है।
*3. बिना सोचे समझे खाने लगना :*
बहुत से लोगों का ध्यान हर वक्त खाने की ओर रहता है। अगर आप बिना सोचे समझे खाने लगती है, तो ये न केवल आपकी हेल्थ को खराब करेगा बल्कि मेंटल स्टेस का भी एक कारण है। वे लोग जो तनाव का शिकार होते है, वे दिनभर खाने में वक्त गुज़ारते हैं।
अगर आपका ध्यान भी हर वक्त खाने की चीजों में रहने लगता है, तो सतर्क हो जाएं। ये बात इस ओर इशारा करती है कि आपको मी टाइम की आवश्यकता है। मेडिटेशन और खाली वक्त बिताने से आपका दिमाग दोबारा से उसी प्रकार से काम करने लगता है।
*4. बेवजह रोना :*
तनाव किसी भी तरह से शरीर से रिलीज़ हो सकता है। फिर चाहे, वो गुस्सा हो या आंसू। अगर आप बेवजह रोने लगती है, तो ये इस बात की ओर इशारा करता है कि आप किसी बड़ी परेशानी में हैं।
समस्या से बाहर आने के लिए प्रयास तो कर रही है, मगर वो विफल हो रहे है। मेंटल हेल्थ से जुड़े मामलों में खुद पर नियंत्रण खोना एक आम बात है।
जब हम तनाव में रहते हैं, तो कोई छोटी से छोटी बात भी हमारी परेशानी का कारण साबित हो सकती है। बिना किसी बात के अगर आप रो रही हैं, तो ये इस बात की ओर इशारा करता है कि आपको खुद के लिए वक्त की आवश्यकता है।
*5. छोटी छोटी बात पर झल्लाना :*
जब हम मानसिक रूप से परेशान होते हैं, तो ऐसे में किसी का कुछ भी कहना हमें उसका आदेश यानि कमाण्ड लगने लगता है। हमें ऐसा लगने लगता है कि कोई हमें ऑर्डर दे रहा है। मन में उठने वाले भाव हमें परेशान करने लगते है।
नतीजन गुस्सा और मन मुटाव का बढ़ना शुरू हो जाता है। ये सब लक्षण इस ओर इशारा करते हैं कि आपको खुद को समय देना बहुत ज़रूरी है। अपने आप के बारे में सोचें, अपनी खुशी को महत्व दें और मेंटन हेल्थ को बनाए रखने के लिए अलग अलग तरीके अपनाएं।