अग्नि आलोक

वर्तमान संदर्भ में भगवान महावीर का अनेकांत सिद्धांत

Share

-सनत जैन

भगवान महावीर का आज जन्म दिवस है। 2623 वर्ष उनका जन्म कल्याणक हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में अनेकांत का सिद्धांत प्रतिपादित कर मानव जीवन और प्रकृति को संरक्षित किया था। इस सिद्धांत में उन्होंने भाव हिंसा को सबसे बड़ी हिंसा बताया था। मन में जो भाव आते हैं, वहीं से क्रिया शुरू हो जाती है। अत: उन्होंने मन की सोच को नियंत्रित रखने के लिए, अहिंसा, सत्य, अचोर्य (त्याग) ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच सिद्धांत को मानव जीवन शैली के लिए जरूरी बताया। जीवन शैली की सोच को बदलकर, मन-विचार और शरीर को उन्नत अवस्था में ले जाकर मनुष्य जीवन और प्रकृति को सुरक्षित एवं सुखी बनाने का मार्ग सभी को बताया था। जब महावीर का जन्म हुआ था, उस समय सारी पृथ्वी में हिंसा फैली हुई थी। उस हिंसा को रोकने के लिए भगवान महावीर ने मन को नियंत्रित रखने के लिए प्रेम और वात्सल्य को महत्वपूर्ण बताया।

वात्सलय एक ऐसी अवस्था होती है, जिसमें हर प्राणी के मन में एक दूसरे के प्रति मैत्री भाव उत्पन्न होता है। वात्सल्य अवस्था में ही शरीर स्वस्थ रहता है। क्रोध से मुक्ति मिलती है। बीमारियों से बचाव होता है। सत्य से भरा हुआ जीवन भय को दूर करता है। भय के कारण ही मानसिक शारीरिक और आर्थिक संकट पैदा होते हैं। जिसका प्रभाव मन मस्तिष्क पर पड़ता है। जिसके कारण मस्तिष्क और शरीर की ऊर्जा धीरे-धीरे नष्ट होने लगती है। तीसरा उन्होंने अचोर्य का सिद्धांत प्रतिपादित किया। इस सिद्धांत में चोरी करना अथवा जरूरत से ज्यादा चीजों को एकत्रित करने के लिए दूसरों के साथ ठगी करना, मन को विकृत करता है। चोरी नहीं करने और त्याग करने से मन और बुद्धि निर्मल होती है। चौथा सिद्धांत ब्रह्मचर्य का दिया।

अपनी आत्मा में लीन होना ही ब्रह्मचर्य है। ब्रह्मचर्य का मतलब है अपने आप में लीन हो जाना। जिस तरह से नर और मादा संभोग के समय सब कुछ भूलकर आनंद की अवस्था में पहुंचता है। इसी तरह मानसिक रूप से ब्रह्मचर्य की अवस्था मस्तिष्क पर नियंत्रण कर लेना ही ब्रह्मचर्य की अवस्था है। बाहर की दुनिया के रिश्ते अशांति पैदा करते हैं। विभिन्न समस्याओं को सामने लाते हैं। जिसके कारण मन और मस्तिष्क की सोच बदल जाती है। मन और आत्मा पर स्वयं का नियंत्रण होने से हम बाहर की दुनिया से दूर हो जाते हैं। आंतरिक आत्मा की शक्ति से हमारा जुड़ाव बढ़ता जाता है। पांचवा सिद्धांत अपरिग्रह का दिया। इसमें आवश्यकता से अधिक चीजों को रखना अपरिग्रह माना गया है।

अच्छे जीवन जीने के लिए जो जरूरी है। वह नैतिकता के आधार पर रखना, अच्छे जीवन का कारण बनता है। मानव जीवन में जब अज्ञानता से वशीभूत होकर आवश्यकता से अधिक चीजों का संग्रह करने लगते हैं, उसके कारण जीवन कठिन हो जाता है। लोभ के वशीभूत होकर दूसरों के अधिकारों पर अतिक्रमण कर छीनने की कोशिश करते हैं। इससे हिंसा बढ़ती है। इसका असर घर, परिवार, समाज और राष्ट्र के सभी लोगों पर पड़ता है। प्रकृति के सभी जीवों पर भी इसका असर पड़ता है। महावीर के इन पांच सिद्धांतों के कारण सारी दुनिया में हिंसा कम हुई। भगवान महावीर, मन की हिंसा को नियंत्रित करने पर जोर देते थे। भगवान महावीर के सिद्धांत में, जो हम सोचते हैं वही हम करते भी हैं। हमारी सोच में नैतिकता, प्रेम और वात्सल्य नहीं होगा, ऐसी स्थिति में जो भी सोच होगी, उसके अनुसार क्रिया करेंगे।

कर्म फल सोच के साथ ही शुरू होते हैं। जो आपके जीवन को शांत और अशांत बना देते हैं। महावीर काल में चारों ओर हिंसा का वातावरण था। भगवान महावीर के अनेकांत सिद्धांत ने मानव जीवन को जो नया रास्ता दिखाया, उसके बाद हिंसा कम हुई, लोगों ने अहिंसा का महत्व समझा ओर अपने जीवन को सुखमय बनाया। भगवान महावीर के सिद्धांतों से जहां मानव जीवन सुखी हुआ वही प्रकृति भी संरक्षित हुई। जिसके कारण लोगों ने महावीर को भगवान महावीर के रूप में मानना शुरू कर दिया। वर्तमान स्थिति में विश्व के सभी देशों में हिंसा का वातावरण बना हुआ है। सब लोग कुछ ही समय में सब कुछ पा लेने की जो लालसा रखते हैं। अहंकार अपनी सर्वोच्च अवस्था में है। वही दुख का सबसे बड़ा कारण है। वर्तमान संदर्भ में कहा जाए, तो मानव जीवन का सबसे श्रेष्ठ युग चल रहा है। जहां स्वर्ग जैसी सुविधाएं मानव जीवन में सभी को उपलब्ध हो रही हैं। जितनी ज्यादा सुविधाएं और विकास होता है। लोग स्वयं से दूर होकर, भौतिक इच्छाओं के साथ जीवन जीना शुरु कर देते हैं। भौतिकता के कारण इच्छाएं बढ़ती चली जाती हैं।

इच्छाएं अनंतानंत है। ब्रह्मांड में किसी की भी इच्छाएं पूरी नहीं हो सकती हैं। जितना मिलता जाता है, उतनी ही इच्छा बढ़ती चली जाती है। भारत के संदर्भ में बात करें, तो अंबानी और अडानी के पास कोई कमी नहीं है। उसके बाद भी सबसे ज्यादा भयभीत और असंतुष्ट व्यक्तियों के रूप में देखें, तो अंबानी और अडानी ही दिखते हैं। सब कुछ होते हुए भी वह रोज और कुछ पाने के लिए नैतिक अनैतिक मार्ग अपनाकर अपने आप को दुनिया का सबसे बड़ा आदमी बनाने की होड़ में लगे हुए हैं। इससे वह आत्मिक शांति से दूर होकर स्वयं दुखी हो रहे हैं। यह उन्हें भी मालूम है कि यह सब ऐश्वर्य कुछ ही समय तक रहेगा। लेकिन अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए वह दूसरों को भी दुखी कर रहे हैं। भगवान महावीर के अनेकांत सिद्धांत में इसी को नियंत्रित करने का सिद्धांत प्रतिपादित किया गया था। जो वर्तमान संदर्भ में सारी दुनिया के लिए जरूरी है। भगवान महावीर के अनेकांत सिद्धांत को यदि दुनिया पालन करना शुरू कर दे, तो सारे विश्व में सुख और शांति फैल जाएगी। मानव जीवन अपने श्रेष्ठतम अवस्था में होगा। यह भी कहा जा सकता है, वर्तमान संदर्भ में स्वर्ग के सारे सुख मानव जीवन में सभी को उपलब्ध हो पा रहे हैं। इसको बनाए रखना ही वर्तमान की सबसे बड़ी उपलब्धता होगी।

Exit mobile version