अनुज लुगुन
मैं परदे से गुम हो गयी
स्त्रियों के बारे में सोच रहा हूँ
सोच रहा हूँ कि
क्या उन्हें कोई नायक नहीं मिला
जो उनको लापता होने से बचा लेता
मैं बचपन में देखी गई
उन अभिनेत्रियों को खोज रहा हूँ
जिनके चेहरे की कथा
उम्र के दो दशकों में मुझे कहीं नहीं दिख रही
क्या अभिनेत्रियों की उम्र इतनी कम होती है
मैंने परियों की कहानी सुनी है
परियाँ सुन्दर होती हैं
परियाँ जादू करती हैं
परियाँ अचानक गायब हो जाया करती हैं
तो क्या वे सभी अभिनेत्रियाँ
गायब होने की कला जानती थीं
मुझे बताया गया है कि
कलाएँ आत्मा गढ़ती हैं
और कलाकार उसका मजदूर होता है
तो क्या मजदूरी नहीं मिलने की वजह से
उन्होंने काम पर आना बंद कर दिया
ऐसी कई स्त्रियाँ हैं
और कई परदे हैं जो हमारी आँखों में टंगे होते हैं
घर परदा है
स्कूल परदा है
कॉलेज परदा है
नौकरी परदा है
इन जगहों में साथ काम करनेवाली स्त्रियों को
मैंने कभी नहीं देखा मेरी तरह कविता लिखते हुए
या, अपने मन से कहीं भी चले जाते हुए
यहाँ तक कि यह कहते हुए भी नहीं सुना कि
माँ बनने से पहले
एक बार तो ताजमहल की यात्रा जरुरी है
पता नहीं वे फिर कभी
ताजमहल देख पाएंगी भी या नहीं इस राजनीतिक समय में
मैं परदे से गुम हो गयी स्त्रियों के बारे में सोच रहा हूँ
सोच रहा हूँ कि क्या
ताजमहल की राजनीति से सदियों पहले
उनके उम्र को लेकर एकस्वर में राजनीति हो चुकी है ?
० अनुज लुगुन