मुनेश त्यागी
आज पूरी दुनिया में चंद्र ग्रहण पड़ रहा है। आज का चंद्र ग्रहण लगभग सारी दुनिया में दिखाई देगा। आज 28अक्टूबर की रात को एक बजकर चार मिनट पर शुरू होगा। चंद्रग्रहण के बारे में इतनी सारी आधुनिक जानकारियों के बावजूद भी चंद्र ग्रहण को लेकर अखबारों और मीडिया में अंधविश्वासी ताकतों द्वारा भयंकर तरह की गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं। पहले से ही चंद्रग्रहण को लेकर हमारे समाज में बहुत सारी भ्रांतियां फैलाई गई हैं। चंद्रमा को लेकर हमारे समाज में तरह-तरह की कल्पनाएं की गई है जो वास्तविकताओं से परे हैं। आइए इस मौके पर अपने सूरज, पृथ्वी और चंद्रमा और चंद्र ग्रहण के बारे में कुछ असली जानकारी हासिल करते हैं।
हमारी पृथ्वी का व्यास करीब 12,700 किलोमीटर है और इसका भार 66, 00,00,00,00,000 अरब टन है, लेकिन सूर्य का व्यास, पृथ्वी के व्यास से 109 गुना अधिक है। सूर्य इतना बड़ा है कि इसमें हमारी पृथ्वी जैसे 13 लाख पिंड समा सकते हैं। सूर्य पृथ्वी से 3,30,000 गुना भारी है। हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह हैं जिसके केंद्र में सूर्य है। सूरज एक तारा है। सूरज के अन्य ग्रह हैं,,,,, बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण। पहले प्लेटो यानी यम को भी नौवां ग्रह माना जाता था, मगर अब यह ग्रह ग्रहों की श्रेणी में नहीं आता, अब इसे बौना ग्रह घोषित कर गया है। सूर्य अपने ग्रहों और उपग्रहों के साथ आकाशगंगा की परिक्रमा कर रहा है। सूर्य की गति 220 किलोमीटर प्रति सेकंड है। सूरज की सतह पर हमेशा विस्फोट होते रहते हैं जिससे गर्मी निकलती है और सूरज की गर्म किरणों के रूप में हम तक पहुंचती हैं।
पृथ्वी
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हमारी पृथ्वी शेषनाग के फन, कछुए की पीठ या गाय बैल के सींग पर नहीं टिकी हुई है, न ही यह खड़ी हुई है और न ही यह स्थिर है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की परिक्रमा करता है। हमारी पृथ्वी एक ग्रह है और चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह। हमारी पृथ्वी चांद से 81 गुना भारी है। पृथ्वी का व्यास चांद के व्यास से करीबन 4 गुना बड़ा है। पृथ्वी और चांद सौर मंडल के ग्रह-उपग्रह का एक अद्भुत जोड़ा है। चांद का अपना कोई प्रकाश नहीं होता, वह सूर्य के प्रकाश से चमकता है। हमारी पृथ्वी अपने उपग्रह चंद्रमा को अपने साथ लेकर सूर्य की परिक्रमा करती है। धरती के मानव ने चांद के बारे में तरह-तरह की कल्पनाएं की है। उसने चंद्रलोक की कल्पना की, उसके तरह-तरह के रूपों की कल्पना की, मगर अब स्थितियां बदल गई हैं। आदमी चांद पर हो आया है। हमारी पृथ्वी गोलाकार नहीं है इसका विश्वत रेखिय व्यास इसके ध्रुवीय व्यास से 40 किलोमीटर अधिक है। पृथ्वी 29.76 किलोमीटर प्रति सेकंड के वेग से 1 साल में सूर्य का एक चक्कर लगाती है।
पृथ्वी सूर्य से 14 करोड 95,00,000 किलोमीटर दूर है। हमारी पृथ्वी 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकेंड में अपनी धुरी पर एक परिक्रमा पूरी कर लेती है जिस कारण दिन रात होते हैं पृथ्वी की धुरी समतल से 23. 5 अंश का कोण बनाती है। इस झुकाव के कारण ही मौसम में परिवर्तन होता है। धुरी पर परिक्रमा के कारण दिन रात होते हैं। सूर्य और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण हमारी पृथ्वी अपनी धुरी पर लटटू की तरह घूमती है और यह है पृथ्वी का संक्षिप्त परिचय।
हमारे चंदा मामा
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पृथ्वी से चंद्रमा की औसत दूरी 3,84,400 किलोमीटर है। चांद करीब 1 किलोमीटर प्रति सेकंड के वेग से 27 दिन, 7 घंटे ,43 मिनट और 11 सेकंड में पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है। चांद के कोई सिर, आंख, नाक, पैर, हाथ, पेट नहीं हैं। चांद कोई जीवित प्राणी नहीं है। चांद पर पानी नहीं है, वायुमंडल नहीं है। चांद की सतह पर बड़े-बड़े गड्ढे और ऊंचे ऊंचे पर्वत है जो हमें काले स्वरूप में दिखाई देते हैं। वहां दिन का तापमान 130 डिग्री सेंटीग्रेड पहुंच जाता है और रात का तापमान शून्य से 150 डिग्री सेंटीग्रेड नीचे उतर आता है। चांद कोई देवता नही है। चंद्रमा सूरज का ग्रह भी नहीं है, बल्कि यह हमारी पृथ्वी का एक अद्भुत, चमकीला और दिलो-दिमाग को शांति देने वाला और सुख प्रदान करने वाला उपग्रह है। चांद के बारे में गलत गलतफहमियां और अंधविश्वास फैलाने वाले लोग ज्ञान विज्ञान और चंद्रमा के सबसे बड़े दुश्मन हैं।
धरती का मानव चंद्रमा पर जाकर लौट आया है। वह वहां की मिट्टी और चट्टानें भी धरती पर ले आया है। चांद की अपनी कोई रोशनी नहीं होती, वहां बर्फ जमी हुई है। जब सूरज की रोशनी चांद पर पड़ती है तो वह वहां पर मौजूद बर्फ से टकराकर वापस आ जाती है जो रात में सफेद चांदनी के रूप में हमें दिखाई देती है और शीतलता लिए होती है, हमें ठंडी महसूस होती है। यह है हमारे चंदा मामा का संक्षिप्त विवरण।
चंद्र ग्रहण
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पृथ्वी अपने उपग्रह, चांद को लेकर जब सूरज के चक्कर लगाती है तो पूर्णिमा के दिन सूरज और चांद के बीच में पृथ्वी आ जाती है और सूरज की रोशनी को चांद पर पड़ने से रोक देती है, इस कारण चंद्रमा की चमक खत्म हो जाती है और चांद की सतह काली या कम चमकीली पड़ जाती है। चांद की इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं। चंद्र ग्रहण पूर्ण या आंशिक हो सकता है। यह एक खगोलीय और प्राकृतिक घटना है, इसमें राहु केतु का कोई रोल नहीं है। वैसे भी राहु-केतु कोई ग्रह नहीं हैं, कुछ अंधविश्वासी लोगों ने इन्हें काल्पनिक बिंदु मान रखा है जिनका उपयोग कुछ लोग जानबूझकर अंधविश्वास फैला कर, अपने स्वार्थ सिद्धि और उदर पूर्ति के लिए कर रहे हैं। वे इससे आदमी को डराते हैं, उनमें खौफ पैदा करते हैं और वे जान पूछकर लोगों की अज्ञानता, अनजानपन और अनभिज्ञता का लाभ उठाते हैं, उनमें अंधविश्वास फैलाते हैं और वे आदमी और आदमियत को बौना बनाते हैं।
चंद्र ग्रहण में किसी भी राहु या केतु का कोई रोल नहीं है क्योंकि राहुल या केतु आकाश में कोई बिंदु नहीं हैं, कोई ग्रह या उपग्रह नहीं हैं। इनका कोई अस्तित्व नहीं है, इनसे हमें डरने की जरूरत नहीं है। ग्रहण के दिन हमें अपने बच्चों को डराना नहीं चाहिए और ना ही डरना चाहिए। यह एक अद्भुत प्राकृतिक नजारा है, प्रकृति का चमत्कार है, हमें इसका भरपूर आनंद लेना चाहिए और अपने बच्चों को इसके बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए।
लेटेस्ट जानकारी के अनुसार भारत का चंद्रयान-3 भी 23 अगस्त 2023 को चांद पर उतर चुका है। चंद्रयान-3 का विक्रम लेंडर 23 अगस्त को जब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा तो उसने चांद की सतह से 2 टन से ज्यादा धूल उडायी जिससे करीब 108 मी का एक “इजेक्टा हेलो” यानी प्रभामंडल बन गया। यह प्रभामंडल अब चंद्रमा पर भारत की कामयाबी का एक बहुत बड़ा सबूत और प्रतीक बन गया है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के मुताबिक लैंडर विक्रम के साथ भेजा गया रोवर प्रज्ञान फिलहाल स्लीप मोड में है और इसके फिर से सक्रिय होने की संभावना अभी भी बनी हुई है।
उपरोक्त समस्त तथ्यों और जानकारी के अनुसार चंद्रग्रहण से किसी का कोई अहित, हानि या किसी को कोई समस्या होने वाली नहीं है। यह एक खगोलीय और प्राकृतिक घटना है, इसको इसी रूप में लीजिए। इसे देखने में कोई तकलीफ नहीं होने वाली है। अपने बच्चों को अंधविश्वासों के भंवर से निकालिए और खुद को और अपने बच्चों को मानसिक और बौद्धिक रूप से बौना होने से बचाइए। चांद और चंद्र ग्रहण के इस खगोलीय और प्राकृतिक अद्भुत नजारे का मजा लीजिए। इस अदभुत नजारे को अपने बच्चों के साथ खूब देखिये।