साल 2024 की पहली ब्लॉकबस्टर फिल्म का तमगा पा चुकी ‘हनुमान’ के निर्देशक प्रशांत वर्मा ने इस फिल्म के अंत में इसकी सीक्वल ‘जय हनुमान’ का एलान किया है। लेकिन, ‘जय हनुमान’ से पहले उनकी इस पौराणिक काल्पनिक दुनिया की दो फिल्में और रिलीज होने जा रही हैं। इनमें से एक फिल्म ‘अधीरा’ का एलान वह पहले ही कर चुके हैं। पीवीसीयू की अपनी दूसरी फिल्म का खुलासा मुंबई आए प्रशांत वर्मा ने एक्सक्लूसिव बातचीत मे किया।
देश की पौराणिक कथाओं में आज की घटनाएं मिलाकर अपनी काल्पनिक दुनिया बनाने के पीछे क्या प्रेरणा रही है?
ये तो आप जानते ही हैं कि मेरी शिक्षा गुरुकुल पद्धति से सरस्वती शिशु मंदिर में हुई। वहां हमें जो भारतीय संस्कार सिखाए गए और अपने बुजुर्गों से जो कहानियां मैंने सुनी, उन्होंने मुझे इनके बारे में और पढ़ने के लिए प्रेरित किया। मैंने जो अपनी सिनेमाई दुनिया रचने की यात्रा शुरू की है, उसमें ‘हनुमान’ सिर्फ पहला पड़ाव है। ‘जय हनुमान’ इससे सौ गुना बड़ी फिल्म होने वाली है। इसकी कहानी पर काम पूरा हो चुका है और हमने इसके रेखाचित्र (स्टोरी बोर्डिंग) बनाने शुरू कर दिए हैं।
किन, इस सिनेमाई दुनिया के एलान के समय आपने एक फिल्म ‘अधीरा’ भी घोषित की थी, तो ‘जय हनुमान’ पहले आएगी या ‘अधीरा’?
ये बात मैंने अब तक कहीं कही नहीं है, आपके साथ ये जानकारी पहली बार साझा कर रहा हूं। ‘जय हनुमान’ से पहले प्रशांत वर्मा सिनेमैटिक यूनिवर्स (पीवीसीयू) की दो फिल्में और रिलीज होगी। एक तो ‘अधीरा’ होगी ही, दूसरी फिल्म जिसके बारे में मैं सबसे पहले ‘अमर उजाला’ को बता रहा हूं, वह फिल्म होगी ‘महाकाली’। ये शक्ति का समाज से सामंजस्य बिठाती फिल्म है और इसका निर्देशन मैं एक महिला निर्देशक से करा रहा हूं।
फिल्म ‘आदिपुरुष’ के 600 करोड़ रुपये के बजट के मुकाबले आपकी फिल्म ‘हनुमान’ का बजट इसका दसांश भी नहीं है। फिल्म के सारे स्पेशल इफेक्ट्स भी पूरी तरह भारत में बने। कौशल विकास का ये लक्ष्य हासिल करने में कोई दिक्कत भी आई?
फिल्म ‘हनुमान’ का कुल बजट 45 करोड़ रुपये है। फिल्म जब से रिलीज हुई है तब से इसका कलेक्शन लगातार बढ़ता ही रहा है। सिर्फ घरेलू बॉक्स ऑफिस पर फिल्म सवा सौ करोड़ रुपये कमा चुकी है। फिल्म का सबसे मुश्किल स्पेशल इफेक्ट्स सीन इसका क्लाइमेक्स है, जिसमें दिखाए गए हाथों के रोएं आप ध्यान से देखेंगे तो आपको भी अलग ही अहसास होगा। ये तकनीकी कौशल हासिल करने के बाद मैं कह सकता हूं कि हमने स्पेशल इफेक्ट्स में वैश्विक स्तर हासिल कर लिया है।
और, इस स्तर को हासिल करने के लिए राम की तरह आपकी भी ‘वानर सेना’ दिन रात लगी रही…
फिल्म ‘हनुमान’ के स्पेशल इफेक्ट्स दर्जनों भारतीय हुनरमंदों ने बनाए हैं। इसमें कई सारे कलाकार मुस्लिम समुदाय से भी हैं और इन्होंने भी पूरी जी जान लगाकर फिल्म को ये स्वरूप प्रदान करने की मेहनत की है। मेरी ये सेना ही मेरी शक्ति है। आज जो कुछ भी मैं हासिल कर पाया हूं वह इन युवाओं की वजह से ही है।
मकर संक्रांति पर फिल्में रिलीज करना दक्षिण भारत में बड़ा अवसर माना जाता है, इस दिन फिल्म रिलीज करने की घोषणा के बाद आप पर दबाव तो बहुत पड़ा होगा?
हां, मेरे पास बहुत सारे लोगों के फोन आए। ये लोग कहते, हम संक्राति पर बड़े सितारों की खराब फिल्में रिलीज करते हैं क्योंकि दर्शक इस दौरान सिनेमाघरों में आते ही आते हैं। ये भी कहते, आप की फिल्म तो अच्छी फिल्म है, आप तो किसी भी दिन इसे रिलीज कर सकते हैं। लेकिन, मेरे लिए ये मेरी आस्था और भक्ति से जुड़ा मामला है और इसके आरंभ के लिए संक्रांति ही मेरे लिए सबसे शुभ दिन हो सकता था। और, ये साबित भी हो गया है।
दक्षिण के तमाम सिनेमाघरों के लिए फिल्म ‘हनुमान’ ने संजीवनी का काम किया है। लेकिन, इसके बावजूद फिल्म को सिनेमाघरों से हटाने की साजिशें हुईं?
कोरोना संक्रमण काल के दौरान सिनेमाघर जो बंद हुए तो दोबारा खुलने के बाद सिंगल स्क्रीन वाले तमाम सिनेमाघरों के मालिकों को दोबारा थियेटर खोलने की हिम्मत ही नहीं हुई। अकेले तेलंगाना क्षेत्र में फिल्म ‘हनुमान’ से 30 ऐसे सिनेमाघर फिर से खुले। इन सिनेमाघरों में सुविधाएं बहुत कम हैं लेकिन फिर भी सारे सिनेमाघर अब तक हाउसफुल चल रहे हैं। सिनेमाघरो के पुनर्जीवन के लिए हमें भारतीय कहानियों की सख्त जरूरत है। आपकी बात सही है कि मेरी फिल्म को सिनेमाघरों से हटाने की साजिशें हुईं लेकिन जिसे हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त हो, उसका बाल बांका हो ही नहीं सकता।
और, आपके निशाने पर हॉलीवुड सिनेमा भी है?
बिल्कुल, ये लोग जब भी भारत को दिखाते हैं तो मुंबई, कोलकाता या दक्षिण की उन गरीब बस्तियों को ही दिखाते हैं। मेरी सिनेमाई दुनिया भारत के वैभव को विश्व के सामने प्रस्तुत करने की कोशिश है। मैं बताना चाहता हूं कि यहां नालंदा विश्वविद्यालय कब से रहा, यहां विज्ञान और गणित के कितने अनुसंधान हुए और ये देश अब भी सोने की चिड़िया है।