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आधुनिक इंदौर के निर्माता  महाराजा यशवंत राव होलकर 

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सुमीत बोराडे

16 जून सन 1948 को अपने वैभवशाली होलकर राज्य इंदौर को भारत माता के चरणों में समर्पित करने वाले इंदौर होलकर राज्य के अंतिम शासक पर विशेष लेख

सही मायनों में आधुनिक इंदौर के निर्माता जिन्होंने अपने शासनकाल में सिर्फ इंदौर शहर एवं शहर की जनता के लिए ही कार्य किया इंदौर महाराजा ने महाराजा यशवंत राव होलकर हॉस्पिटल देवी अहिल्या बाई होलकर हवाई अड्डा यशवंत सागर जैसी कई जरूरी चीजों का निर्माण करवाया था

महाराजा यशवंतराव होलकर का जन्म 6 सितंबर 1908 को डोल ग्यारस पर हुआ था इसी दिन राज्य की सभी शालाओं में छात्रों को मिष्ठान के पैकेट बांटे गए थे इस पैकेट में काजू बादाम किशमिश और आलूबुखारे होते थे देश के आजादी के पहले तक मिष्ठान वितरण की यह परंपरा चलती रहे इनका प्रारंभिक शिक्षण मराठी मिडिल स्कूल नंबर 1 में हुआ महाराजा शिवाजी राव हाई स्कूल में भी इन्होंने जन सामान्य छात्रों के साथ ही अध्ययन किया महाराजा यशवंतराव ने 12 वर्ष की आयु में सन 1920 से 1923 तक इंग्लैंड के क्राइस्टचर्च आवासीय स्कूल में तथा सन् 1926 से 1929 तक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया यहां अन्य देशों से अध्ययन करने आए छात्रों के संपर्क से उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता और संविधान की श्रेष्ठता को अनुभव किया और इस तरह से एक लोकतांत्रिक जनसेवी  बन गए

महाराजा यशवंतराव द्वितीय की तरह उनके पिता तुकोजीराव तृतीय भी अपने पिता शिवाजीराव के जीवित रहते हुए अल्पवायस्कता मैं होलकर राज्य के वारिस बने थे ऐसी दशा में रीजेंसी काउंसिल राजा के अधिकारों का उपयोग करती थी अतः वयस्क होने के बाद 9 मई 1930 को महाराजा यशवंतराव को राज्य अधिकार मिला महाराजा बनते ही उन्होंने राज्य के जिलों का दौरा किया किसानों का बकाया लगान माफ किया जमीदारी के अलावा बचे हुए गांव में राज्य द्वारा पटेल नियुक्त किए गए उनको 15 -15 बीघा जमीन है भेंट में दी गई सन 1930 में इंग्लैंड में आयोजित गोलमेज परिषद में भाग लिया सन 1931 में महाराजा ने ब्रिटिश सरकार से संपर्क कर राज्य का दूरस्थ क्षेत्र चांदगढ़ देकर बदले में मानपुर परगना और इंदौर छावनी हस्त गत किया सन 1932 में जानकारियों के लिए रेवेन्यू एक्टर लगाया गांव में सहकारी संस्थाएं खोलकर किसानों हेतु आसन श्रण की व्यवस्था की इंदौर के पेयजल के लिए गंभीर नदी पर यशवंत सागर बांध बनवाया मगर की स्वच्छता के लिए ट्रेन एच बनवाई राज्य के अवश्य माने गए लोगों के लिए सार्वजनिक स्थल मंदिर पार के स्कूल आदि बिना रोक तो खोल दिए बाल आश्रम अधेड़ पुरुष किशोरी का विवाह दहेज प्रथा मृत्यु भोज के अपव्यय पर रोक लगाई श्रमिक आवास श्रमिक मालिक विवाद महिला श्रमिक मातृत्व अवकाश हेतु श्रम कानून बनाए गए द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सैन्य सहायता महाराज ने मुक्त हस्त से धन दिया एंबुलेंस, निजी विमान, ब्रॉड गेज रेलवे का सैलून और एक फोज बीटालियन भेजी महाराजा यशवंतराव ने इंदौर में वर्तमान देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, यशवंत क्लब, होलकर कॉलेज,  यशवंत होलकर क्रिकेट टीम, और अनेक विद्यालय ,महाविद्यालय बनवाएं इंदौर को वायु सेना से जोड़ने के लिए बिजासन टेकरी के पास सन 1935 में हवाई अड्डा बनवाया भारत स्वतंत्र होने पर 16 जून 1948 को होलकर राज्य का भारतीय संघ में विलय हो गया तब महाराजा यशवंतराव ने भारत सरकार के मध्य समझौता हुआ कि होलकर खास की जागीर से भारत में धार्मिक कार्यों को उनकी देखभाल की व्यवस्था की जाती है उसे यथावत चलने दी जावे जिसे भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया राज्य विलीनीकरण के बाद आयुक्त के अधीन माफी अधिकारी इन संपत्ति की देखभाल करते थे मध्य प्रदेश गठन के पूर्व तक भारत सरकार ने महाराजा को मध्य भारत क्षेत्र के उप राज्य प्रमुख के पद पर आसीन कर सम्मानित किया अपनी सत्ता समाप्त हो जाने के बावजूद महाराजा यशवंतराव में रेजीडेंसी क्षेत्र में गरीब जनता की निशुल्क चिकित्सा के लिए सात मंजिला महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय ( my hospital)  बनवाया उस समय वह एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल था बीमारी के कारण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 5 दिसंबर 1961 को महाराजा यशवंतराव का निधन हो गया उन्हें विमान से इंदौर के लाल बाग पैलेस लाया गया उनके अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब लाल बाग पैलेस के चारों ओर उमड़ पड़ा वहां से कृष्णा पूरा में राजमाता कृष्णबाई की छत्री के पास लाकर उनको 21 तोपों की सलामी देने के साथ उनका दाह संस्कार किया गया जनता की सुख शांति और कल्याण को ही राज धर्म को मानने वाले अपने महाराज को नदी तट पर चलता की अपार भीड़ ने अश्रुपूरित अंतिम विदाई और श्रद्धांजलि दी 32 वर्षों के बाद उनकी वारिश महारानी उषा देवी ने कृष्णा पूरा में श्री दत्त मंदिर के पास यशवंतराव महाराज जी द्वितीय की छतरी बनवाई महाराजा यशवंतराव ने अपने कार्यकाल में कई  लोक हितकारी कानून बनाए थे जिनकी झलक स्वतंत्र भारत के संविधान से मिलती है

इंदौर राज्य के अंतिम महाराजा  के चरणों में शत शत नमन

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