~ सोनी तिवारी, वाराणसी
माहौल को पूरा गरम और सेक्सी बनाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी जा रही है. टीवी-सीरियल, फ़िल्म तक तो गनीमत थी, अब तमाम ऑनलाइन सरंजाम, यू ट्युब जैसे ऐप युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं.
हर जेब में सेक्स वीडिओ हैं, विकृत और भ्रामक जानकरी है. इसमें फसकर युवा नस्ट हो रहें हैं, खासकर लड़कियां. उनको सेक्स सिंबल बनाया जा रहा है. बहकाकर कोठों पर बेचा जा रहा है या किडनेप करके वेश्या बनाया जा रहा है, या फिर पॉस-कालोनियों – होटलों में उनकी सहमति से उनको भोगा जा रहा है.
फ़्रीडम पसंद लड़कियां खुद भी सेक्सी बनने के लिए इतनी बेताब हैं की रंडियों को भी पीछे छोड़ रही हैं. ये लड़कियां बूब्स, हिप्स बड़े करने के लिए, हॉट दिखने के लिए, सेक्सी बनने के लिए इंजेक्शन तक ले रही हैं. इनको जबरजस्ती भी ये सब देकर सेक्स के बाजार में उतारा जा रहा है. आठ साल की लड़की भी चंद दिनों में अठारह की नज़र आने लगती है.
आखिर ऐसे खतरनाक प्रोडक्ट मार्किट में आते कैसे हैं? गवर्नमेंट इनको बहाल क्यों होने देती है? इस टॉपिक हमने चेतना विकास मिशन के डायरेक्टर डॉ. विकास मानव से बात की तो उन्होंने बताया :
कोई भी अविष्कार किसी गलत मक़सद से नहीं किया जाता है. ये मेडिसिन्स भी इलाज़ के लिए बनाई गई हैं. कई बीमारियों में इनका उपयोग होता है. लड़की 16 साल की हो चुकी है, उसका शारीरिक विकास रुक गया है. बॉडी ग्रो नहीं कर रही है, तब इसके लिए भी ऐसे उत्पाद काम आते हैं. लेकिन इनके साइड इफेक्ट बड़े खतरनाक होते हैं. हर किसी को आँख बंद करके इन्हें यूज नहीं करना चाहिए. एजुकेटेड व दक्ष डॉक्टर ही लड़की के टेस्ट के बाद यह तय कर सकता है की उसके लिए क्या ठीक है और क्या बे ठीक है. वर्ना हड्डियां गलने लगती हैं, बाँझपन आ सकता है. अधिक सेक्स उत्तेजना बढ़ने से लड़की सेक्स-एडिक्ट बन सकती है. ऐसे में तमाम लोगों की शिकार बनकर वह अपना सबकुछ नष्ट कर सकती है. लाईलाज रोगों से सड़कर बे-मौत मर सकती है.
डॉ. मानव श्री ने बताया की फेस, चेस्ट, बूब्स, हिप्स का डेवलपमेंट अल्टरनेटिव तरीके से भी संभव है. अनुकूल आहार-विहार, आचार-विचार अपनाकर मसाज थेरेपी की टेकनिक का सहयोग लिया जा सकता है. योग-मेडिटेशन की थेरेपी भी चमत्कारी परिणाम देती है. मेडिसिन के नाम पर केमिकल का ज़हर ही ऑप्सन नहीं होता है.
ऐसी सर्विसेज भी चेतना मिशन से संबद्ध डॉक्टर फ्री ऑफ़ कॉस्ट देते हैं. लड़कियां अपनों की मौज़ूदगी में भी सेवाएं ले सकती हैं.
*क्या करती हैं ऐसी दवाएं?*
ऐसे सप्लीमेंट लेने से (पावडर, पेय, इंजेक्शन आदि) लड़कियां जल्दी जवान दिखने लगती हैं। दरअसल ये प्रोडक्ट सेक्स हार्मोन को बढ़ा देते हैं।
गरम होकर 7-8 साल की लड़की भी सेक्स करवाती है तो उसे दर्द नहीं होता. शरीर में यह पेन किलर का काम करने समेत नशे का काम भी करता है। हाँ, महिला की हार्टबीट थोड़ी बढ़ जाती है और घबराहट हो सकती है।
रेड लाइट इलाकों में कम उम्र की लड़कियों को जल्दी जवान बनाने के लिए इन इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा रहा है। लड़कियों की ऑंखें नशीली बनती हैं, फेस कामुक बनता है, ब्रेस्ट और हिप्स के आकार बढ़ते हैं।
इनसे लड़कियों के कमर में लचक बढ़ने समेत चेहरे पर बाल कम होते हैं। लड़की आकर्षक दिखती है। यह हार्मोन महिलाओं की सेक्स ड्राइव को भी बेहतर बनाता है।
लेकिन ~
सेक्स हार्मोन ज्यादा मात्रा में लेने पर लड़कियों का शरीर वीक होने लगता है और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। योनि सेंस्टिविटी खो देती है. जल्दी ही पूरा शरीर बेडौल हो जाता है. मानसिक बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा असमय बुढ़ापा आने समेत बांझपन भी हो सकता है।
*ये हैं अधिक प्रचलित प्रोडक्ट :*
बोटोक्स और फिलर्स में सबसे बड़ा अंतर यह है कि बोटॉक्स जो रिंकल्स को हटाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है जबकि फिलर्स त्वचा के द्वारा खोए हुए वॉल्यूम की भरपाई के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।
बोटॉक्स बोटूलिनम टॉक्सिन है जो जो कि एक बैक्टीरिया क्लॉस्ट्रीडियम बोटूलिनम या उसकी अन्य प्रजातियों द्वारा बनाया जाता है जो कि हमारी त्वचा के नीचे की मसल्स को पैरालाइज (टेम्प्रेरी तौर पर) कर देता है जिससे कि न्यूरल सिग्नल को बाधित कर दिया जाता है जिसकी वजह से हमारे त्वचा के ऊपर फाइन लाइंस और रिंकल्स नहीं आते या दिखते हैं और त्वचा मुलायम , रिलेक्स रहती है।
यह आज के समय में सबसे अधिक प्रचलित सौंदर्य इंजेक्शंस में से एक है जिसको आज के समय में हर प्रकार का वर्ग धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे है। इन्हें डर्मल फिलर्स के नाम से भी जाना जाता है।
इसका इस्तेमाल मुख्यता समय के साथ आए त्वचा में बदलाव जैसे कि ऊर्जा रहित त्वचा, समय के साथ त्वचा में ढीलापन आना, समय के साथ आए दाग धब्बे, सूर्य की रोशनी की वजह से त्वचा के रंग में बदलाव आदि को ठीक करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।
फिलर्स दो प्रकार की होते हैं :
नेचुरल फिलर्स : हेलोरिनक एसिड, यह आजकल काफी अधिक लोकप्रिय हो रहा है और इसका इस्तेमाल का काफी प्रचलन है।
सिंथेटिक फिलर्स : लिक्विड कोलेजन, इसका रिजल्ट काफी लंबे समय तक टिकने की वजह से इसको अब काफी अधिक तवज्जो हाल ही के समय में दी जाने लगी है।
इसके अलावा कैल्शियम हाइड्रोक्सल एवेटाइट, आदि का इस्तेमाल भी किया जाता है।
इनका उपयोग होंठ, गालों के आस-पास, माथे पर, अंडर आई इन जगहों पर किया जाता है। इनका असर कुछ समय के लिए रहता है कुछ महीनों या साल भर के लिए उसके बाद आपको फिर से इसके इंजेक्शंस के सेशन करवाने पड़ते हैं।
यह भी एक प्रकार की कोलेजन इंडक्शन थेरेपी है जिसमें की सबसे पहले आपकी शरीर से ब्लड को लिया जाता है फिर उसे सेंट्रीफ्यूजीएशन की प्रोसेस से विभिन्न प्रकार के वाइ व्हाइट ब्लड सेल्स, रेड प्लेस सेल्स और प्लाज्मा को अलग किया जाता है अब छोटी-छोटी नीडल्स को आपकी त्वचा के अंदर डालाजाता है।
मुख्यता आपकी त्वचा को हल्का सा डैमेज किया जाता है जिससे कि शरीर बाद में इसको हिल करने के प्रोसेस के समय कोलाजन को बनाने वाले सेल्स के नंबर में वृद्धि करेगा ताकि आपकी त्वचा में नया खींचाव और निखारा आ पाएं इसके साथ जो प्लाज्मा लिया था उसको भी साथ साथ में हल्की बुंदों के रूप में त्वचा पर डालते रहते है इसमें बहुत अधिक ग्रोथ फैक्टर्स होते हैं जो कि कोलेजन कोशिकाओं के नंबर में वृद्धि में एक मुख्य घटक के रूप में बाद में काम करेगा।
इसका इस्तेमाल एक्ने, पिग्मेंटेशन, फाइन लाइन्स, रिंकल्स आदि को भी ठीक करने के लिए किया जाता है। यह वैंपायर फेशियल के नाम से भी काफी अधिक प्रचलित है।
इन इंजेक्शन में विभिन्न प्रकार के विटामिंस (A,B,E, अमीनो एसिड) आदि का मिश्रण होता है जो कि हमारी त्वचा में निखार और स्किन में अच्छे खिंचाव के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। इसका चलन आज के समय में बहुत अधिक है।
तनाव के साथ-साथ हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की गतिविधियां भी बुढ़ापे के लक्षणों को समय से पहले लाने के लिए जिम्मेदार हैं जैसे कि हमारे शरीर में इंसुलिन की अधिकता हमारे शरीर में रिंकल्स की समस्या को और अधिक बढ़ा सकती है.
इसकी तरह अन्य और भी विभिन्न प्रकार के समस्याएं हमारी एजिंग की प्रोसेस को और अधिक तेज करती हैं जिससे कि आप समय से पहले बूढ़े दिखना शुरू हो जाते हैं। आजकल युवाओं में हार्मोन इंजेक्शन का भी चलन बढ़ रहा है।
DHEA, एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन, टेस्टोस्टरॉन, ग्रोथ हार्मोन, आदि के हार्मोनऑल ट्रीटमेंट्स, थेरेपीज, इंजेक्शंस बाजारों में उपलब्ध है और बहुत लोग इससे लाभ भी उठा रहे हैं।
इसके अलावा जैसे हर चीज़ की अच्छी और बुरी बातें हमेशा से होती है इन प्रोसीजर्स का भी कुछ ना कुछ नुक्सान तो जरूर होता है लेकिन बढ़ती लोकप्रियता के चलते इनके फायदों को बढ़ाया और नुकसानों को कम करने की पुरजोर कोशिशें की जा रही है।
[अगर आप इनमें से किसी भी प्रकार के प्रोसीजर को अपनाना चाह रही/ रहे हैं तो किसी अच्छे डर्मेटोलॉजिस्ट या स्पेशलिस्ट को ही इसके लिए चुनें. प्रोसीजर के नुकसानों, अपनी स्कीन हिस्ट्री के बारे में अच्छे से चर्चा करने के बाद ही कोई निर्णय लें।]