(डॉ. विकास मानवश्री से संवाद पर आधारित प्रतिसंवेदन)
शिफ़ा ख़ान, कानपुर
यहाँ तंत्र से हमारा आशय ध्यान-तंत्र है, भूत- प्रेत, अनुष्ठानों की नौटंकी करने वाले तांत्रिको की करतूत से नहीं है : एक बात. दूसरी बात यह कि सेक्स कोई मशीनी या पशु कृत्य नहीं है. यह एक साधना है. सेक्स का बेस प्रेम है और अखंड प्रेम कई से नहीं हो सकता. इसलिए जो लोग कई से अपना ज़िस्म यूज कराते हैं या कई को यूज करते हैं, वे पशु से भी बदतर हैं. पशु भी ऐसा नहीं करते. एक को ही लें, योग्यतम को ही लें. वरना रोगी बनेगें और सड़कर एक दिन बेमौत मरेंगे.
स्त्री समाज का हमेशा एक ही रोना रहता है कि हम ठीक से गरम होकर रेडी भी नहीं हो पाते कि पार्टनर स्खलित होकर फ़ारिग हो जाता है. तो इसके लिए उसे मेडिटेशन से जोड़ें. मेडिटेशन द्वारा वह अपने वीर्य डिस्चार्ज पर कंट्रोल कर सकेगा. जब आप बस बोलेंगी, तब ही वह डिस्चार्ज होगा. यही ध्यान-तंत्र आधारित स्प्रिचुअल संभोग है. सीखने के हमारे व्हाट्सप्प पर संपर्क करके निःशुल्क ट्रेनिंग ली जा सकती है.
पूर्व में, हमने एक विज्ञान विकसित किया है: अगर तुम अपना आत्मिक प्रेमी ‘सोल मेट’ नहीं ढूंढ पाते हो, तो तुम उसका सृजन कर सकते हो। और यही विज्ञान तंत्र है। ‘सोल मेट’ मिलने का अर्थ है ऐसे व्यक्ति का मिलना जिससे तुम्हारे सातों चक्र स्वभाविक रूप से मिलते हों। यह असंभव है।
कभी कभार, कोई कृष्ण और कोई राधा, कोई शिव और कोई शक्ति… और जब ये घटता है तो ये अत्यंत सुंदर होता है। पर यह बिजली चमकने जैसा है – तुम इस पर निर्भर नहीं कर सकते। अगर तुम अपनी बाइबिल पढ़ना चाहते हो, तो तुम इस बात पर निर्भर नहीं कर सकते कि जब बिजली चमकेगी तब तुम पढ़ोगे। बिजली चमकना एक प्राकर्तिक घटना है, लेकिन उस पर निर्भर नहीं हुआ जा सकता।
अगर तुम अपने स्वभाविक सोल मेट के मिलने का इंतजार करोगे, तो ये बाइबिल पढ़ने के लिए बिजली के चमकने का इंतजार करने जैसा है। और तुम ज्यादा पढ़ भी नहीं पाओगे। वह एक पल के लिए वहां चमकेगी और जब तक तुम बाइबिल खोलोगे वह जा चुकी होगी।
इसीलिए, तंत्र का सर्जन हुआ। तंत्र वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। तंत्र एक कीमिया है; वह तुम्हारे केन्द्रों को रूपांतरित कर सकती है, वह दूसरों के केन्द्रों को भी रूपांतरित कर सकती है, वह तुम्हारे और तुम्हारे प्रेमी के बीच तारतम्य उत्पन्न कर सकती है। यही तंत्र का सोंदर्य है।
यह घर में विद्युत् लाने जैसा है। तुम इसे जब चाहो तब चला या बंद कर सकते हो। और तुम इसके हजारों उपयोग कर सकते हो, यह तुम्हारे कमरे को ठंडा कर सकती है, यह तुम्हारे कमरे को गरम कर सकती है। तब यह एक चमत्कार है। तुम्हारे भीतर ये सात चक्र भी और कुछ नहीं शरीर की विद्युत् के केंद्र हैं।
तो, जब मैं विद्युत् की बात कर रहा हूं, तब इसे केवल प्रतीक की तरह मत समझना – वस्तुतः ऐसा ही है।
तुम्हारे शरीर में, विद्युत् की एक सूक्ष्म धारा है, बहुत सूक्ष्म। लेकिन जितनी सूक्ष्म होती है उतनी ही गहरे जाती है। वह ज्यादा दिखाई नहीं देती। वैज्ञानिक कहते हैं की सारी विद्युत् जो तुम्हारे शरीर में है, अगर इकट्ठी कर ली जाये तो पांच छोटे बल्ब जलाने के काम आ सकती है। यह ज्यादा नहीं है।
परिमाण में ज्यादा नही है, परिमाण में अणु भी ज्यादा नहीं, पर गुणात्मक रूप से…अगर इसमें विस्फोट हो तो इसमें भयंकर उर्जा है।
ये सात केंद्र, ये सात चक्र, जिनकी बात योग और तंत्र ने कई युगों से की है, और कुछ नहीं, बस तुम्हारे शरीर की विद्युत्त धारा की पांच गांठे है। इन्हें बदला जा सकता है, इन्हें पुनः व्यवस्थित किया जा सकता है। इन्हें नयी आकृति और रूप दिया जा सकता है। दो प्रेमी इतने गहरे रूपान्तरित किये जा सकते हैं कि उनके सातों चक्र मिलना शुरू कर दें।
ध्यान-तंत्र साधारण प्रेमियों को गहन प्रेमियों में रूपांतरित करने का विज्ञान है। यही ध्यान-तंत्र का वैभव है। ये पूरी दुनिया को रूपान्तरित कर सकता है; ये हर जोड़े को गहन प्रेमियों में रूपान्तरित कर सकता है।