डॉ. श्रेया पाण्डेय
प्रेगनेंसी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है मेंस्ट्रुअल साइकल को ट्रैक करना. अगर आप मां बनने की योजना बना रही हैं, तो सबसे पहले आपको अपने पीरियड साइकल और मेंस्ट्रुअल हेल्थ के बारे में जानना चाहिए। यहां
जानते हैं पीरियड ट्रैक करने का तरीका और इसके फायदे भी।
हर महीने होने वाली पीरियड साईकल के दौरान शरीर में कई प्रकार के बदलाव आते हैं। पीरियड क्रैंपस के अलावा ब्लोटिंग, वॉमिटिंग और थकान शरीर को कई प्रकार से प्रभावित करती है। ऐसे में अगर आप पीरियड साइकिल को ट्रैक करते हैं, तो इस तरह की अनियमितताओं से भी बचे रहते हैं।
मासिक धर्म के दौरान शरीर को हेल्दी और एक्टिव रखने के लिए लोग कई प्रकार के पीरियड ट्रैक का भी प्रयोग करते हैं, ताकि वे इन खास दिनों में अपनी उचित देखभाल कर पाएं।
*समझिए क्या है पीरियड साइकल :*
पीरियड की लेंथ प्रेगनेंस को कई प्रकार से प्रभावित करती है। पीरियड साईकल की लेंथ 21 से 35 दिनों के भीतर मानी जाती है। इसमें महिलाओं को 3 से लेकर 7 दिनों तक ब्लीडिंग से होकर गुज़रना पड़ता है।
अगर आप पीरियड साइकिल को ट्रैक करते हैं, तो अपनी ओवूलेशन साइकिल की जानकारी मिल जाती है। दरअसल, ओव्युलेशन साइकिल उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब एग्स फरटाइल होकर ओवरी में रिलीज़ हो जाते हैं। उसके बाद अंडे फैलोपियन टयूब में एंटर करते हैं।
हर स्त्री के लिए जरूरी है पीरियड साइकिल में इन 5 चीजों को ट्रैक करना :
*1. ब्लड फ्लो कितना है?*
पीरियड साइकिल के दौरान होने वाले रक्त स्त्राव का ख्याल रखना ज़रूरी है। इससे आप स्टेन्स की समस्या से बचे रहते हैं।
इस बात को भी ट्रैक करें कि आपको मासिक धर्म के दौरान किन दिनों में ज्यादा ब्लीडिंग होती है। वो कौन से दिन होते हैं, जब आप क्लॉटिंग से होकर गुज़रती हैं।
*2. पीरियड क्रैंप्स :*
इस बात ख्याल रखें कि पीरियड के दौरान आपको कितना दर्द और ऐंठन महसूस होती है। ज्यादातर स्त्रियों को पहले और दूसरे दिन गंभीर और बाद में हल्के क्रैम्प्स का अनुभव होता है। अगर आपको पीरियड के दौरान होने वाले क्रैम्प्स इतने ज्यादा है कि आप अपने डेली रुटीन नहीं संभाल पा रहीं हैं, तो आपको अपनी डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
असामान्य दर्द पीसीओडी जैसी समस्याओं की ओर भी संकेत कर सकते हैं। जबकि कई बार आपका खानपान और लाइफस्टाइल भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसलिए इसे ट्रैक करना भी जरूरी है।
*3. दिनों का रिकॉर्ड :*
सामान्य पीरियड साइकल की लेंथ 28 दिन मानी जाती है। जो आमतौर पर 21 से लेकर 35 दिनों के भीतर रहती है। पीरियड कम से कम 21 दिन और ज्यादा से ज्यादा 40 दिनों तक आ सकता है।
अगर बार बार आपकी पीरियड साइकल डिस्टर्ब हो रही है या 2 सप्ताह से ज्यादा डिले हो रही है। तो डॉक्टरी जांच करवाना आवश्यक माना जाता है।
इस बात का भी ख्याल रखना आवश्यक है कि आपकी पीरियड साइकल कितने दिनों तक चली है। हर महीने इस बात की जानकारी एकत्रित करने से आप अपने ओल्यूलेशन साइकिल को आसानी से जान सकते हैं। ऐसे में प्रेगनेंसी को प्लान करने में आसानी होती है।
*4. इमोशनल हेल्थ को न करें इग्नोर :*
प्री.मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम में महिलाओं को मूड सि्ंवग से होकर गुज़रना पड़ता है। बात बात पर रोना, उदास हो जाना और एकांत में रहना इसके कुछ प्राथमिक लक्षण हैं। इसके अलावा महिलाओं की स्लीप साइकल और एपिटाइट भी प्रभावित होने लगता है।
पीरियड्स के दौरान महिलाओं को मूड स्विंग की समस्या से गुज़रना पड़ता है। महिलाओं में चिड़चिड़ापन और थकान व तनाव की समस्या भी बढ़ने लगती है।
अपनी इमोशनल हेल्थ को मज़बूत बनाए रखने के लिए शरीर को एक्टिव रखना ज़रूरी है। पीरियड साइकिल के दौरान इस बात की जानकारी रखना भी ज़रूरी है।
ये हैं पीरियड साइकिल को ट्रैक करने के फायदे :
*1. प्रेगनेंसी प्लान करने में मददगार :*
वे महिलाएं, जो पीरियड को ट्रैक करती हैं। उन्हें प्रेगनेंसी में कोई दिक्कत नहीं आती हैं। डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड हयूमन सर्विसिज़ के अनुसार 25 फीसदी कपल्स जो फर्टिलिटी अवेयरनेस मेथड को फोलो करते हैं। उन्हें प्रेगनेंसी में किसी प्रकार की समस्या से दो चार नहीं होना पड़ता है। इससे वे अपनी ओवयूलेशन साइकिल का आसानी से पता लगा पाते है।
ऐसे में पीरियड साइकिल को ट्रैक करने से प्रेगनेंसी को लेकर आपके मन में कोई भय नहीं रहता है।
*2. अनचाही प्रेगनेंसी से बचाव :*
अगर आप अनचाही प्रेगनेंसी को रोकना चाहती हैं, तो पीरियड साइकिल की जानकारी होना ज़रूरी है। आप इस बात को समझ पाते हैं कि आपका ओल्यूलेशन का समय कब तक रहता है। इससे आप प्रेगनेंसी को आसानी से अवॉइड कर पाते हैं।
*3. हॉर्मोनल बदलाव संबंधी जारुकता :*
पीरियड साइकिल को ट्रैक करने से आप कुछ दिन पहले होने वाले बदलाव के बारे में आसानी से पता लगा पाती है। अक्सर लड़कियों में पीरियड से कुछ दिन पहले मूड सि्ंवग और ब्लोटिंग जैसी समस्याएं बढ़ने लगती है।