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“राज”नीति में मानसिक “अ” संतुलन

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शशिकांत गुप्ते इंदौर

राजनीति में कार्यरत पक्ष और विपक्ष के नेता एक दूसरें का विरोध करतें हैं।एक दूसरें पर आरोप लगातें हैं।राजनीति में यह स्वाभाविक प्रक्रिया है।आश्चर्य तो तब होता है, जब राजनेता एक दूसरें पर मानसिक संतुलन बिगड़ने का आरोप लगातें हैं।शायद ये लोग इस कहावत को चरितार्थ करने का प्रयास करतें होंगे। *खग ही जाने खग की भाषा*किसी पर कोई भी किसी तरह का आरोप लगा सकता है।किंतु आरोप को सिद्ध करने के लिए सबूत का होना बहुत जरूरी है।जिस किसी पर मानसिक असंतुलन का आरोप लगाया गया हो,वह व्यक्ति न्यायालय में आरोपी के विरुद्ध मुकदमा दायर करें तो क्या होगा?न्यायालय यदि वादी के आवेदन को गाह्य कर लेता है, और प्रतिवादी से सबूत पेश करने के लिए आदेश देता है तो प्रतिवादी की मानसिक स्थिति कितनी असंतुलित होगी या नहि यह कहना पाना असंभव है?वैसे राजनेताओं के लिए किसी तरह का प्रमाण पत्र बनवाना क्षमा करना प्राप्त करना असंभव नहीं है।मानसिक असंतुलन को प्रमाणित करने के लिए मनोचिकित्सक की मदद लेनी पड़ेगी।वर्तमान राजनैतिक लोगों की मानसिकता को देखतें हुए हरएक राजनैतिक दल को एक अपने दल के कार्यालय में एक मनोचिकित्सक के पद पर नियुक्त कर लेना चाहिए।वैसे भी राजनैतिक दलों पदाधिकारियों का  निर्वाचन तो होता ही नहीं है,नियुक्तियां ही होती है।देश के जागरूक नागरिकों की मानसिकता में समूची व्यवस्था के अंसतुलन के प्रश्न उपस्थित होतें हैं।सबसे बड़ा असंतुलन देश की आर्थिक स्थिति में दिखाई दे रहा है।देश की आर्थिक स्थिति सिर्फ असंतुलित ही नहीं हुई है बल्कि पूर्ण रूप से धराशाही होने के कगार पर है।ऐसा कुछ आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है?कानून व्यवस्था के असंतुलन का प्रत्यक्ष प्रमाण, प्रधान सेवक के निर्वाचन क्षेत्र के प्रदेश में दृष्टिगोचर हो रहें हैं।आश्चर्यजनक घटना का स्मरण होता है।विप्र वर्ण में जन्में जंघन्य अपराधी विकास का Encounter किया जाता है।यह भी एक तरह का असंतुलन ही है कि, विकास के साथ पुलिस कर्मियों की मुठभेड़ होती है।अपराधी हरतरह का जुर्म करने में इतना विकास करता है कि, उसे प्रशासनिक व्यवस्था के माध्यम से परलोक भेजने के लिए बाध्य होना पड़ता है।संतो का यही कार्य है,इहलोक की माया से आमजन को मुक्त करने का मार्ग बतातें हैं।यदि कोई स्वेच्छा से इहलोक छोड़ने के लिए आनाकानी करता है,मतलब बोली से नहीं मानता है,तो गोली के माध्यम से उसे प्रायश्चित करवाया जाता है।इसतरह कानून व्यवस्था का संतुलन बनाएं रखा जाता है।बेरोजगारों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी नाली पर निर्भर रहकर आत्मनिर्भर बनने की योग्य सलाह दी जा रही है।सम्भवतः यह सलाह पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए दी गई हो?वर्तमान सत्ता तो One man show है।एक अकेला व्यक्ति सभी समस्याओं को सुलझाने में सक्षम है।महामारी के कहर से  देश वासियों के लिए स्वयं निर्मित किए हैं।परोपकार की भावना रखते हुए वैक्सीन विदेशों में भेज दिए।विरोधियों को विरोध करने की आदत हो गई है।विरोधी अच्छेदिन देखना ही नहीं चाहतें हैं।अच्छेदिन के इंतजार में जो लोग हैं।वे मानसिक रूप से पूर्ण रूप से संतुलित हैं।ऐसा मान कर चलने में ही मानसिक संतुलन बरकर्रार रहेगा।
शशिकांत गुप्ते इंदौर

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