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मनोस्वास्थ्य : ईटिंग डिसऑर्डर भी दे सकती है साेशल मीडिया की लत

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डॉ. प्रिया 

सोशल मीडिया से आपस में जुड़े हुए पार्टनर टूट सकते हैं। इसके कारण घायल और युवाओं में ईटिंग डिसआर्डर भी हो सकते हैं।

      खाने के तरीके, पोर्शन का आकार, खान-पान के व्यवहार में बदलाव ईटिंग डिसऑर्डर है। यह किसी भी व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

      हाल के कुछ शोधों से यह साबित हुआ है कि ईटिंग डिसआर्डर का एक प्रमुख कारण सोशल मीडिया भी हो सकता है। इसका कारण सिर्फ बच्चे और किशोर, बल्कि बड़े भी प्रभावित हो सकते हैं। 

*ईटिंग डिसऑर्डर क्या है?*

      पेडिएट्रिक लघु हेल्थ जर्नल में प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार, भोजन के व्यवहार या रूपरेखा में यदि गंभीर गड़बड़ी आ जाती है, तो यह खाने का विकार यानी खाने की गड़बड़ी है।

     ज्यादातर मामलों में मोटापे के कारण कम खाना और बहुत अधिक खाना खाने का विकार बन सकता है। भोजन के व्यवहार में भारी बदलाव से अक्सर पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।

    इससे स्ट्रेइंटइंटेस्टाइनल सिस्टम, कार्डियक सिस्टम, हड्डियों, दांतों और ओरल हेल्थ से जुड़ी समस्या हो सकती है। युवावस्था में यह विशेष रूप से पाया जाता है। हालांकि यह किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है। एनोरेक्सिया नर्वोसा (एनोरेक्सिया नर्वोसा), बुलिमिया नर्वोसा (बुलिमिया नर्वोसा) और बिंग ईटिंग : ये सब ईटिंग डिसऑर्डर हैं।

*कम खाना और ज्यादा खाना दोनों है नुकसानदेह :*

     वजन बढ़ने के डर से जब लोग कम खाने लगते हैं, तो एनोरेक्सिया नर्वोसा हो सकता है। वहीं जब लोग समय-समय पर बड़ी मात्रा में भोजन करते हैं और बाद में अस्वास्थ्यकर तरीके से अतिरिक्त कैलोरी को कम करने का प्रयास करते हैं, तो बुलिमिया नर्वोसा विकसित होता है।

     खाने के अपराधबोध की भावना के कारण बिंग ईटिंग विकसित होता है। इसके कारण लोग अक्सर उल्टी करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। अधिक खाने की भरपाई के लिए खाना बंद कर देते हैं या खाना शरीर से बाहर करने के लिए उल्टी का प्रयास करते हैं।

 *खाने के विकारों पर सोशल मीडिया का प्रभाव :*

      जर्नल ऑफ़ एकेडमी ऑफ़ न्यूट्रिशन एंड डाइट के अनुसार, ईटिंग डिसऑर्डर विशेष रूप से युवा लड़कियों में आम हैं। किशोरों और युवाओं को जब शरीर का वजन या आकार बढ़ा हुआ लगता है, तो वे परेशान हो जाते हैं।

     किशोर और युवा सोशल मीडिया पर अपनी फोटो पोस्ट करते हैं और किसी का शरीर को लेकर कमेंट आता है, तो यह उनके मन को प्रभावित कर देता है। साथ ही वे दूसरों की स्लिम फोटो देखकर अपनी तुलना उनसे करने लगते हैं।

     सोशल मीडिया पर अपनी फोटो पोस्ट करने से बचने लगना, अपनी फोटो को बहुत अधिक एडिट करना भी ईटिंग डिसआर्डर से जुड़ा मामला हो सकता है।

     किशोर और युवा को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जो फोटो और वीडियो के माध्यम से संवाद करना विशेष रूप से पसंद है। ये इस बात पर बहुत अधिक ध्यान देते हैं कि उन्हें ऑनलाइन कैसे माना जाता है।

     यह उन्हें शरीर के वजन, शरीर के आकार, कैलोरी सेवन और एक्सरसाइज के बारे में बहुत जागरूक बनाता है। साथ ही, गलत खानपान को भी बढ़ावा मिलने लगता है।

      सोशल मीडिया पर लगातार एक्टिव रहने के कारण ये लोग शरीर के वजन और आकार के बारे में अधिक सोचने लग जाते हैं, जो उन्हें खाने के प्रति बहुत अधिक संवेदनशीलता बना देता है। बाद में यह ईटिंग डिसऑर्डर का कारण बनता है।

*1 सोशल मीडिया टाइमिंग को कम करें :*

      साइबरसाइकोलॉजी जर्नल के अनुसार, यह जोखिम उन किशोरों और युवाओं के लिए अधिक हो सकता है, जो सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताते हैं। जो कई सोशल प्लेटफार्मों पर एक्टिव रहते हैं। ऐसी स्थिति में दोस्तों और परिवार का दायित्व बढ़ जाता है। वे उनकी सोशल मीडिया टाइमिंग को कम करने का प्रयास करें।

       घर पर बैलेंस और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन को अपनाने और डिसऑर्डर से पीड़ित सदस्य को भी अपनाने के लिए सकारात्मक तरीके से दवाब दें।

*2. अति संवेदनशीलता से बचें :*

       न्यूट्रीएंट जर्नल के अनुसार, खुद को अतिसंवेदनशील बनाने से बचाएं। अपने –आपको वैसा व्यक्ति नहीं बनने दें, जो सोशल मीडिया सामग्री से आसानी से प्रभावित हो जाते हैं।

      विशेष रूप से अत्यधिक प्रोसेस्ड फ़ूड के उपयोग को बढ़ावा देने और खाने-पीने के अव्यवहारिक तरीकों को बढ़ावा देने वाले पोस्ट को देखने से बचें।

*3. फायदे और नुकसान के बारे में शिक्षा :*

       जर्नल ऑफ़ एकेडमी ऑफ़ न्यूट्रिशन एंड डाइट के अनुसार, सोशल मीडिया अकाउंट रखने के लिए अनुशंसित न्यूनतम आयु 13 वर्ष है। यदि 13 वर्ष या उससे अधिक के टीनएज और युवाओं में जटिल स्थिति देखी जाती है, तो परिवार के सदस्यों को सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान के बारे में शिक्षित करना होगा।

    इस बात के प्रमाण हैं कि सोशल मीडिया साक्षरता किशोरों में खाने के विकारों के जोखिम को कम करती है।इसलिए परिवार के सदस्यों को सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान के बारे में शिक्षित करना होगा।

*4 नोटिफिकेशन बंद करें :*

       सोशल मीडिया संबंधी ऐसे नोटिफिकेशन को बंद करें, जो भोजन संबंधी गलत ज्ञान देते हों।

      किसी भी भोजन के बारे में बताने से पहले कैलोरी इंटेक और उसमें मौजूद पोषक तत्वों के बारे में जानकारी नहीं देते हों। जंक फ़ूड, प्रोसेस्ड फ़ूड की अधिकता वाली साइट को ब्लॉक करें।

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