जे पी सिंह
मी लार्ड अभी ईवीएम और वीवीपेट पर आपके फैसले की सुर्खियां भी नहीं सूखीं और यह विवाद खड़ा हो गया कि नवनिर्वाचित सांसद रवींद्र वायकर के ब्रदर-इन-लॉ उस फोन का इस्तेमाल कर रहे थे, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से जुड़ा था जिस पर ओटीपी आया और मशीन अनलॉक हो गई।
मी लॉर्ड आपने तो वीवीपीएटी रिकॉर्ड के साथ ईवीएम डेटा के 100% क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए, कहा था कि ईवीएम से छेड़छाड़ के बारे में संदेह निराधार हैं और जैसा कि प्रार्थना की गई है, बैलेट पेपर प्रणाली पर वापस लौटने से पिछले कुछ समय में हुए सुधार पूर्ववत हो जाएंगे। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने शुक्रवार को दो अलग-अलग, सहमति वाले फैसले सुनाते हुए फैसला सुनाया था ।
ईवीएम का विवाद फिर से खड़ा हो गया है। मुंबई की जिस उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट पर एनडीए उम्मीदवार की 48 वोटों से जीत हुई वहां ईवीएम का एक बहुत बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया। एक रिपोर्ट में एक पुलिस अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद रवींद्र वायकर के ब्रदर-इन-लॉ के ख़िलाफ़ 4 जून को मतगणना केंद्र पर कथित तौर पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
रविवार को कई रिपोर्टें सामने आईं, जिसमें दावा किया गया कि मंगेश पंडिलकर उस फोन का इस्तेमाल कर रहे थे, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से जुड़ा था। मिड-डे ने पुलिस के हवाले से कहा कि इस मोबाइल फोन का इस्तेमाल ईवीएम मशीन को अनलॉक करने वाले ओटीपी को जेनरेट करने के लिए किया गया था। इन रिपोर्टों के बाद कांग्रेस ने सवाल पूछा है, ‘आखिर एनडीए के कैंडिडेट के रिश्तेदार का मोबाईल ईवीएम से क्यों जुड़ा था?
वायकर के रिश्तेदार मंगेश पंडिलकर के खिलाफ बुधवार को गोरेगांव स्थित मतगणना केंद्र के अंदर कथित तौर पर की गई हरकत के लिए मामला दर्ज किया गया। यह घटना वायकर के निर्वाचन क्षेत्र के तहत आता है।
लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार पीटीआई ने अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट दी, ‘मतदान कर्मी दिनेश गुरव की शिकायत पर पांडिलकर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। एक निर्दलीय उम्मीदवार ने देखा कि मतगणना केंद्र पर मोबाईल फोन पर प्रतिबंध के बावजूद वह मोबाईल फोन का इस्तेमाल कर रहे थे और उन्होंने रिटर्निंग अधिकारी को इसकी जानकारी दी। इसके बाद रिटर्निंग अधिकारी ने वनराई पुलिस से संपर्क किया।’ अधिकारी ने बताया कि पांडिलकर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 यानी सरकारी आदेश के उल्लंघन के तहत मामला दर्ज किया गया है।
शिवसेना के उम्मीदवार रवींद्र वायकर ने मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट पर 48 वोटों से जीत दर्ज की। वायकर के फोन के ईवीएम से जुड़े होने के आरोपों के बाद पुलिस ने मोबाईल फोन का डेटा और कॉल रिकॉर्ड खोजने के लिए मोबाइल फोन को फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजा।
इस बीच कांग्रेस ने रवींद्र वायकर के रिश्तेदार के खिलाफ आरोपों के संबंध में कुछ अन्य सवाल उठाए। कांग्रेस ने पूछा, ‘एनडीए उम्मीदवार के रिश्तेदार का मोबाइल फोन ईवीएम से क्यों जुड़ा था? मोबाइल फोन उस स्थान पर कैसे पहुंचा, जहां वोटों की गिनती हो रही थी?’
शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने आरोप लगाया, ‘एक बार गद्दार, हमेशा गद्दार! उत्तर पश्चिम मुंबई से मिंधे गैंग के उम्मीदवार का मामला और भी उलझ गया है, क्योंकि गद्दार उम्मीदवार अब लोकतंत्र के साथ गद्दारी कर रहा है। आश्चर्य की बात है या नहीं, पूरी तरह से समझौता करने वाले चुनाव आयोग ने मतगणना केंद्र के सीसीटीवी फुटेज को साझा करने से इनकार कर दिया है। मुझे लगता है कि यह एक और चंडीगढ़ पल से बचने की कोशिश कर रहा है। हमने हमेशा कहा है कि भाजपा और मिंधे गैंग हमारे लोकतंत्र को ख़त्म करना चाहते हैं और हमारे संविधान को बदलना चाहते हैं। यह कुप्रथा उनके ऐसा करने के निरंतर प्रयास का एक हिस्सा है।’
शिवसेना यूबीटी की एक अन्य नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘मतगणना के दिन की सीसीटीवी फुटेज मांगना उम्मीदवार का अधिकार है, फिर भी मुंबई उपनगरीय जिला कलेक्टर ने अमोल कीर्तिकर जी को यह देने से इनकार कर दिया है, जिनके बारे में चुनाव आयोग का दावा है कि वे 48 वोटों से हार गए हैं।
मुंबई में ईवीएम पर मचे बवाल के बीच मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र की रिटर्निंग ऑफिसर वंदना सूर्यवंशी ने आरोपों को खारिज किया है। रविवार, 16 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि, “ईवीएम को अनलॉक करने के लिए किसी ओटीपी की आवश्यकता नहीं है। ईवीएम को अनलॉक करने के लिए किसी मोबाईल ओटीपी की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह एक गैर-प्रोग्रामेबल डिवाइस है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “इसमें उन्नत तकनीकी विशेषताएं हैं और ईवीएम पर कोई संचार डिवाइस नहीं है। यह तकनीकी रूप से फुल-प्रूफ प्रणाली है और ईवीएम एक स्टैंडअलोन प्रणाली है। इसमें किसी ओटीपी की आवश्यकता नहीं है। “एक अखबार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि “अखबार द्वारा झूठ फैलाया जा रहा है।
पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि आरोपी को वह फोन कैसे मिला जिस पर ओटीपी आया और मशीन अनलॉक हो गई।जांच के दौरान वनराई पुलिस ने पाया कि आरोपी मंगेश पंडिलकर , शिवसेना उम्मीदवार रवींद्र वायकर का रिश्तेदार, जिसने मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से 48 वोटों से जीत हासिल की थी, वह फोन इस्तेमाल कर रहा था जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़ा था। पुलिस ने कहा कि इस मोबाईल फोन का इस्तेमाल ईवीएम मशीन को अनलॉक करने वाले ओटीपी को जेनरेट करने के लिए किया गया था, जिसका इस्तेमाल 4 जून को नेस्को सेंटर के अंदर किया गया था।
वनराई पुलिस ने आरोपी मंगेश पंडिलकर और दिनेश गुरव को सीआरपीसी 41ए का नोटिस भी भेजा है, जो चुनाव आयोग (ईसी) के साथ एनकोर (पोल पोर्टल) ऑपरेटर था। पुलिस ने अब मोबाईल फोन को फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) में भेज दिया है ताकि मोबाईल फोन का डेटा पता लगाया जा सके और फोन पर मौजूद फिंगरप्रिंट भी लिए जा रहे हैं। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह घटना 4 जून को मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतगणना के दौरान नेस्को केंद्र पर हुई।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, वाइकर, अरोड़ा और भरत शाह के साथ सीट से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की शिकायत पर वनराई पुलिस स्टेशन में चुनाव आयोग के अधिकारी द्वारा 14 जून को एफआईआर दर्ज की गई थी। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “अब, हम नेस्को केंद्र के सीसीटीवी कैमरों को देख रहे हैं, जिससे हमें यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि मोबाईल फोन केंद्र के अंदर कैसे पहुंचा। हम इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि क्या इस अपराध में और भी आरोपी शामिल हैं या यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह मोबाईल फोन किसने सप्लाई किया।”
4 जून को मतदान के दिन नेस्को केंद्र के अंदर यह घटना हुई, और रवींद्र वायकर और उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर मौजूद थे। पुलिस को यह भी पता चला कि सर्विस वोटर के लिए इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट सिस्टम है, जिसका इस्तेमाल ईवीएम मशीनों के इस्तेमाल के बाद भी किया जाता है। पोस्टल बैलट सिस्टम को अनलॉक करने के लिए गुरव ने उसी मोबाईल फोन का इस्तेमाल किया और ओटीपी-जनरेट किया। ईवीएम मशीन के ज़रिए वोटों की गिनती के दौरान, उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर आगे चल रहे थे, लेकिन जब इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट सिस्टम पर वोटों की गिनती हुई, तो कीर्तिकर पीछे रह गए और आखिरकार वायकर से रेस हार गए।