अशोक मधुप
दुनिया भर से आए सैकड़ों प्रवासी भारतीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए भुवनेश्वर के जनता मैदान में एकत्र हुए। उन्होंने गर्मजोशी से स्वागत और इस आयोजन की तैयारियों को लेकर ओडिशा की सराहना की। प्रवासी भारतीयों ने कहा कि यह आयोजन राज्य की जीवंत सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान कर रहा है। पचास वर्षों से स्लोवेनिया में रहने वाली एक प्रवासी भारतीय कोकी वेबर ने इस आयोजन में शामिल होने को लेकर खुशी जाहिर की। इस सम्मेलन के आयोजन से पूर्व सरकार द्वारा वह नहीं बताया गया कि अब तक आयोजित 17 प्रवासी सम्मेलन की उपलब्धि क्या है। इसके माध्यम से देश में कितने उद्योग आए कितनी भारतीय प्रतिभाएं स्वदेश वापिस लौटी। हालाकि यह सर्व विदित है कि प्रवासी भारतीय पहले के मुकाबले अब सूदूर देश में अपने को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। वे मानते हैं कि मुसीबत की घड़ी में उनका देश और वहां की सरकार उनके साथ मजबूती से खड़ी होगी और भरसक मदद करेगी।
आठ से दस जनवरी तक चला 18वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन अखबारों की सुर्खियां भी नही बा सका। उड़ीसा राज्य के भुवनेश्वर में हुए इस तीन दिवसीय सम्मेलन की कामयाबी पर न लेख लिखे गए न संपादकीय। ये सम्मेलन एक रूटिन का कार्यक्रम हो बन कर रह गया। सरकार ये वह भी नहीं बताया कि देश की विकास याजनाओं में बाधक देश में फैले भ्रष्टाचर को रोकने की उसकी क्या योजनाएं हैं? प्रवासी भारतीयों के भारत के विकास में योगदान के लिए आने वाले प्रोजेक्ट की अनुमति आदि की मानिटरिंग के लिए उच्च स्तर पर इसकी देखरेख करने के लिए क्या करने का इरादा हैं? उच्च स्तर पर ये भी देखा जाए कि प्रोजेक्ट की अनुमति में अनावश्यक विलंब तो नहीं किया जा हा? रिश्वत की चाहत में उद्योगपति को परेशान तो नहीं किया जा रहा?
इस बार के प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का विषय ‘विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान’ जरूर रहा किंतु इसमेंन कोई निर्णय हुएन कोई विशेष प्रस्ताव। प्रवासियों को भारत के चुनाव में मत देने का अधिकार है, किंतु न वे बोट बनवाने में रुचि रखते हैं, न बोट डालने में। उनसे बोट बनवाने और देश के विकास के लिए अपनी सरकार बनाने के लिए बोट करने की अपील की जा सकती थी किंतु वह भी नहीं की गद्दी 2003 से मनाना शुरू हुई प्रवासी सम्मेलन अभी तक एक औपचारिकता ही लगा।
भुवनेश्वर में इस प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन की शुरुआत बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर के उदबोधन से हुई। उन्होंने प्रवासी भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों से विकसित भारत के निर्माण में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया। ओडिशा को असीमित अवसरों की भूमि बताते हुए मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने गुरुवारको प्रवासी भारतीयों से राज्य की विकास यात्रा में भाग लेने का आह्वान किया।
इस प्रवासी भारतीय दिवस के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए सीएम माझी ने कहा, ओडिशा सिर्फ अपने गौरवशाली अतीत और प्राकृक्तिक सुंदरता के लिए ही नहीं जाना जाताः यह भविष्य के लिए असीम अवसरों की भूमि है। ओडिशा के निवेशक अनुकूल वातावरण पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य अब भारत में निवेश के लिए सबसे स्वागत योग्य स्थलों में से एक है। मुख्यमंत्री ने कहा, मैं आप सभी से इन अवसरों का लाभ उठाने और अपनी मातृभूमि के विकास और समृद्धि में योगदान देने का आग्रह करता हूं। वैश्विक भारतीय प्रवासी समुदाय के सदस्य के रूप में आप दुनिया के लिए हमारे राजदूत हैं। मैं आपको ओडिशा और भारत के लिए एक उज्वल भविष्य को आकार देने में हमारे साथ हाथ मिलाने के लिए आमंत्रित करता हूं। हम सब मिलकर 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नौ को जनवरी, सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज विश्व भारत को बात सुनता है, तथा देश अपनी विरासत के कारण ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह बताने में सक्षम है कि भविष्य युद्ध में नहीं, बल्कि बुद्ध में निहित है।
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवासी भारतीय
एक्सप्रेस को भी हरी झंडी भी दिखाई। यह भारतीय प्रवासियों के लिए स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन है, जो दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से चली और तीन सप्ताह तक कई टूरिस्ट प्लेसेज तक जाएगी। विदेश मंत्रालय की प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना के तहत इसका संचालन किया जा रहा है। गौरतलब है कि इस कार्यक्रम के लिए 70 देशों से तीन हजार से ज्यादा प्रतिनिधि ओडिशा पहुंचे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन में चार प्रदर्शनियों का उद्घाटन किया, जिनमें भारत की सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और प्रवासी भारतीयों के योगदान को प्रदर्शित किया गया। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय दिवस, भारत और उसके प्रवासियों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने वाली एक संस्था बन चुकी है। पीएम मोदी ने उल्लेख किया कि हम सब मिलकर भारत, भारतीयता, अपनी संस्कृति और प्रगति का उत्सव मनाते हैं और साथ ही अपनी जड़ों से जुड़ते हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 10 जनवरी के समापन सत्र में प्रवासी भारतीयों को संबाधित किया। और प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार प्रदान किए। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि प्रवासी भारतीय हमारे देश की सर्वश्रेठ पहचान हैं। चाहे वह प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, कला या उद्यमिता का क्षेत्र हो, प्रवासी भारतीयों ने अपनी ऐसी छाप छोड़ी है जिसे दुनिया स्वीकार करती है और सम्मान देती है।
दुनिया भर से आए सैकड़ों प्रवासी भारतीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए भुवनेश्वर के जनता मैदान में एकत्र हुए। उन्होंने गर्मजोशी से स्वागत और इस आयोजन की तैयारियों को लेकर ओडिशा की सराहना की। प्रवासी भारतीयों ने कहा कि यह आयोजन राज्य की जीवंत सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान कर रहा है।
पचास वर्षों से स्लोवेनिया में रहने वाली एक प्रवासी भारतीय कोकी वेबर ने इस आयोजन मेंशामिल होने को लेकर खुशी जाहिर की। वह नमस्ते नाम का एक कारोबार चलाती हैं, जिसमें भारतीय हस्तशिल्प को बढ़ावा दिया जाता है। उनोंनि कहा, मैं भारतीय हस्तशिल्प से बने चमड़े के सामान, रेशमी स्कार्फ, अगस्वत्तियां और इनर गारमेंट्स बेचती हूं, जो सभी
भारत में बने होते हैं। कोकी ने ओडिशा को भारत का एक छिपा हुआ रन बताया।
इस सम्मेलन के आयोजन से पूर्व सरकार द्वारा वह नहीं बताया गया कि अब तक आयोजित 17 प्रवासी सम्मेलन की उपलब्धि क्या है। इसके माध्यम से देश में कितने उद्योग आए। कितनी भारतीय प्रतिभाएं स्वदेश वापिस लौटी। हालांकि यह सर्व विदित है कि प्रवासी भारतीय पहले के मुकाबले अब सूदूर देश में अपने को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। बेमानते हैंकि मुसीबत की घड़ी में उनका देश और वहां की सरकार उनके साथ मजबूती से खड़ी होगी और भरसक मदद करेगी।
इस सम्मेलन में केंद्र द्वारा प्रवासियों से भारत के विकास में योगदान की अपील के साथ यह नहीं बताया गया कि वे देश विकास का माहौल बनाने के लिए क्या कर रहा है। हाल में एक सर्वे में दावा किया गया है कि 100 में से 66 लोगों को अपना काम कराने के लिए सरकारी तंत्र को रिश्वत देनी पड़ती है। चलते देश में उद्यमिता को बढ़ावा देने की सिंगल विंडो क्लियरेंस और ईन आफ डुइंग बिजनेस जैसे प्रयासों को पलीता लग रहा है। एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि करीब 66 प्रतिशत कंपनियों को सरकारी सेवाओं का लाभ लेने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है। कंपनियों ने दावा किया कि उन्होंने सप्लायर कौलीकेशन, कोटेशन, ऑर्डर प्राप्त करने तथा भुगतान के लिए रिश्वत दी है। लोकल सर्कल्स की रिपोर्ट के अनुसार कुल रिश्वत का 75 प्रतिशत कानूनी, माप-तौल, खाद्य, दवा, स्वास्थ्य आदि सरकारी विभागों के अधिकारियों को दी गई। जांच रिपोर्ट कहती है कि कई कारोबारियों ने जीएसटी अधिकारियों, प्रदूषण विभाग, नगर निगम और बिजली विभाग को रिश्वत देने की भी सूचना दी है। पिछले 12 महीनों में जिन कंपनियों ने रिश्वत दी, उनमें से 54 प्रतिशत को ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया, जबकि 46 प्रतिशत ने समय पर काम पूरा करने के लिए भुगतान किया। इस तरह की रिश्वत जबरन वसूली के बराबर है। केंद्र सरकार को इस रिपोर्ट के बारे टिप्पणी करनी चाहिए थी। यह भी बताना चाहिए था कि इस आहाचार के नाम पर इस जबरन वसूली रोकने की इसको क्या योजनांर है? देश में उद्योग लगाने के लिए माहौल बनाने के लिए उसकी क्या तैयारों हैं?