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*मिसिंग टाइल सिंड्रोम : जानकारी और बचाव*

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        डॉ. प्रिया

     एक गिलास आधा पानी से भरा हुआ है। दूर से देखने पर किसी व्यक्ति को गिलास में पानी भरा हुआ नज़र आता है, तो वहीं कुछ लोगों को गिलास का खाली भाग दिखने लगता है।

    बस यही अंतर है हमारी सोच में। अगर आप जीवन में संतुष्ट महसूस करते हैं, तो आप अपने रिसोर्सिज के लिए हमेशा आभार व्यक्त करते हैं। दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें हमेशा अपने जीवन में कमियां ही नज़र आती हैं। वे हर दम दूसरों का लाइफस्टाइल एडॉप्ट करना चाहते है और वो उस प्रकार से अपनी जिंदगी को जीने की कोशिश में लगे रहते हैं।

    हमेशा चितांओं से ही ग्रस्त रहने वाले ऐसे लोग मिसिंग टाइल सिंड्रोम के शिकार होते हैं। 

*क्या है मिसिंग टाइल सिंड्रोम?*

      ये एक ऐसा मनोवैज्ञानिक रोग है, जिसमें व्यक्ति हर क्षण अपने जीवन में कमियां तलाश करता रहता है। जो चीज़ उसके पास नहीं है उसे पाने के लिए उदास और परेशान रहने लगता है।

     इसमें कोई दो राय नहीं कि व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ना चाहिए और उंचाइयों को छूना चाहिए। अगर आप हमेशा दूसरों को देखकर दुखी और खुद को कम आंकते रहते हैं, तो ये मिसिंग टाइल सिंड्रोम की निशानी है।

      सोशल मीडिया के बढ़ते चलन के कारण लोगों में नई चीजों को हासिल करने का क्रेज बढ़ने लगता है। वे मैटिरीअलिस्टिक चीजों में खुशी को तलाशने लगते हैं।

    अधिकतर लोग खुशियों को चीजों से तोलने लगते हैं जब कि खुशी डेस्टिनेशन नहीं बल्कि एक जर्नी है।

*मिसिंग टाइल सिंड्रोम के संकेतक :*

   ~आप खुद को अकेला और हेल्पलेस महसूस करने लगते हैं।

~आपका ध्यान बार बार उसी चीज़ पर जाता है, जो आपके पास नहीं है।

~खुद की तुलना हर समय दूसरों की चीजों से करते रहते हैं।

~अपनी चीजों को निरर्थक और कम आंकते हुए दूसरों के पीछे भागने लगते हैं।

~इन लोगों के अंदर संतोष की भावना की कमी निरंतर बनी रहती है।

इन तरीकों से आप मिसिंग टाइल सिंड्रोम से पा सकते हैं मुक्ति :

    *1. कॉम्पीटिशन की भावना को छोड़ दें :*

      अगर किसी करीबी दोस्त या कलीग से आप हर वक्त कॉम्पीटिशन की भावना बनाए रखते हैं, तो अपने इस नज़रिए को बदलने का प्रयास करें। इस प्रकार का व्यवहार आपको न केवल चिंताग्रस्त बनाए रखेगा बल्कि आप जीवन में मौजूद चीजों का आनंद भी नहीं उठा पाऐंगे।

     ऐसे में खुद को अपना कॉम्पीटीटर मानें और अपने लाइफस्टाइल को किसी और के मुताबिक नहीं बल्कि अपने हिसाब से बदलें।

*2. ग्रेटीटयूट शो करें :*

     जीवन में जो भी उपलब्धियां आपने हासिल की है। हमेशा उसके लिए ईश्वर का शुक्र गुज़ार रहें। इससे आपके अंदर हैप्पीनेस और ग्रेटीटयूट् बढ़ने लगेगा। हर चीज़ के लिए खुद को कोसना बंद कर दें।

     इससे आप हर वक्त दूसरों को देखकर जैलेसी महसूस करने लगेंगे। इस बात को समझना होगा कि हर व्यक्ति की जिंदगी आपसे अलग है और उसके चैलेंज भी आपसे अलग हैं, तो फिर किसी को देखकर खुद में बदलाव लाना पूरी तरह से गलत है। हमेशा थैंक्स गिविंग रहें और लोगों से ईर्ष्या करने की जगह उन्हें एपरीशिएट करें।

*3. सेटिसफेक्शन है ज़रूरी :*

     आपको इस बात को समझना होगा कि सुख सुविधाएं किसी भी व्यक्ति के सुख और चैन का कारण नहीं बन सकती है। जीवन में खुशियों को शामिल करने के लिए आपके अंदर संतुष्टि की भावना का होना ज़रूरी है।

     आप जिस भी मकाम पर है वहां पर रहकर सुखपूर्वक अपनी जिंदगी व्यतीत करें। इससे आपकी पर्सनल और प्रोफेशल लाइफ भी ग्रो करने लगती है। इसका असर आपके बच्चों पर भी दिखने लगता है।

*4. ईष्यालु लोगों से दूर रहें :*

      अगर आपके आसपास ऐसे लोग है, जो हर वक्त दूसरों की कमियों को खोजते है और अपनी जिंदगी को भी कोसते रहते हैं, तो ऐसे लोगों से तुरंत दूरी बना लें।

    दरअसल, ऐसे लोगों का प्रभाव बहुत जल्द आपकी सोच और नज़रिए पर भी देखने को मिलता है। आप खुद को खुश रखें और ऐसे लोगों की संगति से बचें।

*5. खूबियों को खोजें :*

     हर चीज़ की अपनी अलग ज़रूरत और खूबसूरती होती है। ऐसे में जो चीजें आपके पास है। उनकी क्वालिटीज़ को समझे और ज़रूरत के हिसाब से उसे प्रयोग करें।

    खुद को तनाव मुक्त रखकर खुद पर विश्वास रखें और ज़रूरत के मुताबिक चीजों को खरीदें।

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