स्वदेश कुमार सिन्हा
नए संसद भवन के निर्माण के दौरान अनेक ऐसी इमारतें गिरा दी गईं, जिनका निर्माण आज़ादी के तुरंत बाद जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में हुआ। नए संसद भवन की जगह नया संसद बना लिया गया। इसके अलावा दिल्ली में लुटियंस जोन की दो बहुत ही शानदार इमारतें गिराने की चर्चा उस समय चल रही थी, जिसमें एक राजपथ पर स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय और दूसरा राष्ट्रीय अभिलेखागार है। जब चर्चा चली थी, तब देश के चर्चित इतिहासकारों तथा पुरातत्ववेत्ताओं ने कहा था,”इस संग्रहालय में देश की क़रीब पांच हज़ार साल के इतिहास से संबंधित पुरानी कलाकृतियां संरक्षित हैं, इनको हटाकर अन्यत्र ले जाने से ढेरों के नष्ट हो जाने का ख़तरा है, क्योंकि ढेरों चीज़ें अत्यंत पुरानी होने के कारण इतनी नाज़ुक और संवेदनशील हैं कि उनको अपने स्थान से हटाने मात्र से उनके नष्ट होने का ख़तरा है।”
परन्तु वर्तमान सरकार जवाहरलाल नेहरू के समय में बनाईं गई बहुमूल्य धरोहरों और इमारतों से बेहद नफ़रत करती है, उसे इस कारण से राष्ट्रीय धरोहरों की कोई परवाह नहीं है।
नयी दिल्ली के दस जनपथ पर स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय कोलकाता में स्थित भारतीय कला संग्रहालय के बाद देश का सबसे बड़ा संग्रहालय है। इस संग्रहालय की स्थापना सन् 1949 में हुई थी, इसकी शुरूआत 1947-48 में लन्दन में आयोजित भारतीय वस्तुओं की प्रदर्शनी के साथ हुई। रॉयल अकादमी लन्दन में आयोजित एक प्रदर्शनी के संचालकों ने इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित अनोखी वस्तुओं को मूल संग्रहालय में वापस करने से पूर्व भारत में प्रदर्शित करने का निश्चय किया।
जिसके परिणामस्वरूप सभी वस्तुएं दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शित की गईं। इस प्रदर्शिनी ने इतने अधिक पारखियों को आकर्षित किया कि दिल्ली में ही राष्ट्रीय संग्रहालय को बनाने का निश्चय किया गया। इस प्रकार राष्ट्रीय संग्रहालय उसी वर्ष अस्तित्व में आया और इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने किया था। हालांकि, वर्तमान संग्रहालय की इमारत 1960 में बनकर तैयार हुई और उसके पश्चात इसे जनता के लिये खोला गया।
भारत में कहीं पर भी प्राप्त कलाकृतियों का यह अनूठा संग्रह है। वर्तमान में संग्रहालय में दो लाख से ज्यादा भारतीय और विदेशी मूल की वस्तुएं प्रदर्शित हैं। इनमें 2700 ईसा पूर्व के टेराकोटा और कांस्य से बनी वस्तुएं, मौर्य काल की लकड़ी की मूर्तियां, दक्षिण भारत के विजय नगर की कालात्मक वस्तुएं, गुप्तकाल, सिन्धु घाटी सभ्यता, मुग़ल काल, गन्धर्वकाल और कई अन्य समय की प्राचीन वस्तुएं प्रदर्शित हैं।
संग्रहालय के अन्दर ही बौद्ध कला भाग में उत्तर प्रदेश के बस्ती से खुदाई में मिले बुद्ध से सम्बन्धित कई वस्तुएं भी प्रदर्शित हैं।
कुछ रोचक प्रदर्शित वस्तुओं में मोहन जोदड़ो की नृत्य करती मूर्ति, जनजातीय कलाएं और गहने, सूक्ष्मकला की वस्तुएं, भित्तिचित्र, कपड़े, वाद्ययन्त्र, हथियार और प्रसिद्ध मुग़ल शासक जहांगीर द्वारा हस्ताक्षरित कुछ बहुत ही प्रभावशाली यादगार वस्तुएं शामिल हैं।
इस संग्रहालय में संग्रहित वस्तुएं चित्रकारी, गहनों, पुरातत्व, पांडुलिपियों, हथियार और औजार जैसी कई श्रेणियों के अन्तर्गत आते हैं। पूरे तीन मंजिलों पर के क्षेत्रफल पर फैले इस सुन्दर संग्रहालय की वस्तुओं को देखने और प्रशंसा करने के लिये एक दिन का समय शायद कम पड़ेगा।
राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली तीन विभिन्न मंज़िलों में बंटे इस संग्रहालय में ऐतिहासिक मानव सभ्यता के अवशेष, मौर्यकालीन, गांधार, गुप्त एवं अन्य राजवंशों के समय के भित्तिचित्र, प्रस्तरखण्ड, ताम्रपत्रादि एवं अनगिनत दुर्लभ कलाकृतियां प्रदर्शित हैं।
यहीं पर हस्तशिल्प गैलेरी में कपड़ा एवं सजावटी वस्तुएं प्रदर्शित हैं। यहीं पर दिल्ली की खुदाई के अवशेष हैं। यहीं पास में पुराने काग़ज़ात एवं रिकॉर्ड संग्रहित हैं।
भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित पुस्तकें यहीं प्रवेशद्वार से ख़रीदी जा सकती हैं। इसमें से कुछ चीज़ें प्रागैतिहासिक काल की हैं।
यहां चोलकाल के पत्थर और कांसे से बनी मूर्तियां रखी हुई हैं।
यहां विश्व के सर्वाधिक लघुचित्रों का संग्रह है। इसके अलावा घर की सजावट और गहनों का प्रदर्शित करती दीर्घाएं भी यहां हैं।
इस राष्ट्रीय संग्रहालय में एक संरक्षण प्रयोगशाला है। इस प्रयोगशाला में अनेक कलाकृतियों को संभाल कर रखा जाता है और छात्रों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार अब इस संग्रहालय की इमारत को गिराने का आदेश सरकार की ओर से दिया गया है और इस साल के अंत तक इसे शोधकर्ताओं के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा तथा मार्च 2024 तक इसकी इमारत को गिरा दिया जाएगा। नार्थ या साउथ ब्लॉक में इसकी नयी इमारत बनाने का 2025 में प्रस्ताव है। आश्चर्य की बात यह है कि अभी नई इमारत बनाने का केवल प्रस्ताव है और पुरानी इमारत को पहले ही गिरा दिया जाएगा। इस सम्बन्ध में 2 सितंबर को संग्रहालय के अधिकारियों के साथ संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन के साथ मीटिंग में यह तय हुआ है कि संग्रहालय की वस्तुओं को यहां से हटाकर कहीं और सुरक्षित रख दिया जाएगा।
इसे कहां रखा जाए? यह संग्रहालय के विशेषज्ञों की एक टीम जांच-पड़ताल करके बताएगी,कि इन संरक्षित वस्तुओं को कहां रखा जाए,यदि यह समय सीमा क़ायम रहती है,तो दो-तीन महीने बाद ही शोधकर्ता और दर्शक दो लाख से अधिक कलाकृतियों को अनिश्चितकाल तक नहीं देख सकेंगे।