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मोदीजी मेरी मां पेंसिल मांगने पर मारती है…!

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सुसंस्कृति परिहार

जनाब सरकार को मंहगाई नज़र नहीं आती ।जबकि एक बच्ची मां से पेंसिल मांगने पर मार खा रही है।कन्नोज की कृति प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भेज रही है उसकी बात  सोशल मीडिया के  ज़रिए सदन और पी एम तक निश्चित तौर पर पहुंच चुकी होगी किंतु संवेदनहीन सरकार ने उस बच्ची के लिए सहानुभूति के दो शब्द भी नहीं पहुंचाए। उस बच्ची के कथन के बाद अब मंहगाई पर चर्चा होने का क्या मतलब।जब छोटी बच्ची की बात नहीं सुनी जाती तो माननीय प्रतिपक्षी सांसदों का तो अब बोलना ना बोलना बराबर है।नक्कार खाने में तूती की आवाज।

    हालांकि मंहगाई पर विपक्ष के आंदोलन और लोकसभा से सांसदों का निलंबन वापस लेने के बाद सोमवार को लोकसभा में महंगाई पर चर्चा हुई।इस दौरान बड़बोले प्रधानमंत्री मोदीजी नहीं रहे। आमतौर पर बहस मुबाहिसों से वे परहेज करते हैं हो सकता है वे किसी ज़रुरी काम में व्यस्त हों। इस दौरान विपक्ष ने एलपीजी, बेरोजगारी, ईंधन के बढ़ते दामों पर सरकार पर जमकर हमले किए।  

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चर्चा की शुरुआत की उन्होंने अर्थव्यवस्था के गलत प्रबंधन के लिए सरकार पर तंज कसा  उन्होंने कहा कि देश में पिछले 14 महीने से महंगाई डबल डिजिट में है, यह 30 साल में सबसे ज्यादा है. उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक आसमान छू रहा है। उन्होंने  कहा कि चावल, दही, पनीर और पेंसिल और शार्पनर जैसी रोजाना के इस्तेमाल की चीजों पर जीएसटी बढ़ाया गया है बच्चों को भी नहीं बख्श रही सरकार। तृणमूल कांग्रेस की सांसद काकोली घोष ने कहा, “क्या सरकार चाहती है कि हम कच्ची सब्जियां खाएं”, फिर उन्होंने एक बैगन दिखायाऔर उसे कच्चा खाने लगी, यह बताने के लिए कि उनका मतलब है कि रसोई गैस इतनी महंगी है कि खरीदना  पकाना मुश्किल हो रहा है।शिअद नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि उन्होंने मूल्य वृद्धि की चर्चा करने के लिए 10 दिन और 150 करोड़ बर्बाद किए। उनके जवाब निराशाजनक रहे हैं।आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी आज राज्य सभा में मंहगाई की वजहें स्पष्ट करते हुए वे आंकड़े पटल पर रखे जो मोदीजी ने अपने मित्रों को खैरात में दिए। उन्हें अपने मित्रों को दुनिया का नंबर वन बनाने की चिंता है। अमूनन अन्य जो सदस्य बोले उन सबने मंहगाई डायन की भरपूर भर्त्सना की। 

लोकसभा में महंगाई पर चर्चा के दौरान  सरकार का पक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण  ने कहा उन्होंनेयह स्वीकारा कि स्थिति बेहद गंभीर है, और कीमतों पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं आगे कहा कि पूरी दुनिया के मुकाबले भारत में महंगाई  बेहतर स्थिति में है ।सरकार की कोशिश है कि महंगाई दर को 7 फीसदी से नीचे रखा जाए, और सरकार इसमें कामयाब रही है।भारत की पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका से तुलना नहीं कर सकते हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश लगातार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लगातार बिलियन डॉलर की मांग कर रहा है. बांग्लादेश IMF से 4.5 बिलियन डॉलर मांग रहा है, जबकि पाकिस्तान 7 बिलियन डॉलर मांग रहा है. जबकि भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार समुचित है।वे इसी बात से खुश नज़र आईं।

निर्मला सीतारमण की बात सुनकर कांग्रेस ने पहले लोकसभा और बाद में राज्य सभा से वहिर्गमन किया।सदन में कल फिर चर्चा की जाएगी।आम लोगों की राय यह है कि भैंस के आगे बीन बजाने से कोई फायदा नहीं होने वाला।जब सदन में सरकार को मंहगाई नज़र नहीं आ रही तो आगे क्या हासिल होने वाला है इसलिए अब सदन के बाहर सड़कों पर ही निकलना उचित होगा।

निर्मला सीतारमण से निवेदन है कि कम से कम वे बच्चों के दूध और पढ़ाई लिखाई के सामान और भोजन के ज़रूरी सामान पर गंभीरता से सोचें। निश्चित तौर पर देश के पास धन की कमी नहीं है वह कहां और क्यों जा रहा है आप अच्छी तरह जानती है । अमीरों की बात ना बोले ग़रीब तबके की हालत देखें।उस मासूम बच्ची की बात पर चिंता करें वह अपनी मां की मार खां रही है सरकार की बढ़ती मंहगाई की बदौलत।आप कहती हैं सब ठीक है।इधर देशवासियों को मंहगाई मार रही है। मंहगा भोजन,मंहगी शिक्षा,मंहगा स्वास्थ सब हाहाकार मचाए हुए हैं। 

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