Site icon अग्नि आलोक

मोदीजी….देश में लोकतंत्र और मीडिया की आजादी का सच एक झटके में दुनिया के सामने आ गया

Share

पिछले हफ़्ते प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका की राजकीय यात्रा पर थे, जहां व्हाइट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस में उनसे मानवाधिकारों और अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दे पर वॉल स्ट्रीट जनरल की पत्रकार सबरीना सिद्दीकी ने सवाल पूछा था। जिसका सीधा जवाब न देकर प्रधानमंत्री मोदी ने लोकतंत्र पर अच्छा-खासा भाषण दे दिया था। श्री मोदी ने कहा था कि ‘लोकतंत्र हमारी रगों में है। लोकतंत्र को हम जीते हैं। और हमारे पूर्वजों ने उसे शब्दों में ढाला है, संविधान के रूप में। हमारी सरकार लोकतंत्र के मूलभूत मूल्यों को आधार बनाकर बने हुए संविधान के आधार पर चलती है।’ इस सवाल पर सबरीना सिद्दीकी को भाजपा समर्थकों ने खूब ट्रोल किया, जिसकी अब व्हाइट हाउस ने भी निंदा की और इस तरह देश में लोकतंत्र और मीडिया की आजादी का सच एक झटके में दुनिया के सामने आ गया।

बहरहाल, संविधान और लोकतंत्र जैसे शब्दों ने मोदीजी को एक कठिन सवाल का सामना करने में मदद की। वैसे भी भारत के लिए उसका लोकतंत्र और संविधान मजबूत नींव का काम करते हैं और इन्हीं पर आज़ाद भारत को खड़ा करने का काम पिछली सभी सरकारों ने किया है। लेकिन पिछले 9 सालों में लोकतंत्र और संविधान जैसे अतिमहत्वपूर्ण शब्दों को भाजपा ने बेहद हल्के अर्थों में प्रस्तुत करने की कोशिश की है। इन शब्दों की मर्यादा को ध्यान में न रखते हुए अपनी सुविधा के लिए इनका इस्तेमाल किया है। तभी तो अमेरिका में जिन शब्दों की ढाल मोदीजी ने प्रेस कांफ्रेंस में अपने लिए बनाई, भारत लौटते ही उन्हें बिसराकर फिर चुनावी लाभ की बातें होनी लगीं।

सोमवार को विदेश यात्रा से लौटते ही मोदीजी ने भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा से सवाल किया था कि देश में क्या चल रहा है और मंगलवार को भोपाल में भाजपा के मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम में भाषण देते हुए मोदीजी ने जिस तरह की बातें की, उसमें बता दिया कि देश में अब चुनाव तक क्या चलेगा। चुनाव तक फिर से देश में हिंदू-मुसलमान का खेल चलेगा और लोगों को परिवारवाद की याद दिलाते हुए विपक्ष के खिलाफ करने के भाजपा के दांव-पेंच चलेंगे। मोदीजी ने कार्यकर्ताओं को भाजपा के लिए वोट मांगने का मंत्र देते हुए परिवारवाद के घिसे-पिटे आरोप को नए तरीके से लोगों के सामने रखा। उन्होंने कहा कि ‘देश के विकास की गति को तीव्र बनाये रखना है, अपने बेटे-बेटियों और परिवार का भला चाहना है तो भाजपा को वोट दीजिये। यदि गांधी परिवार के बच्चों, मुलायम सिंह के बेटे, लालू यादव के बच्चों, शरद पवार की बिटिया, करूणानिधि के पोते-पोतियों, फारूख अब्दुल्ला के बच्चों और के.एस.चंद्रशेखर के बच्चों को आगे बढ़ाना है तो उनके दलों को वोट कीजिए।’ 

ज़ाहिर है कि विपक्ष के जितने दल इस वक्त भाजपा के सामने मजबूती से टिके हैं या उसे चुनाव में हराने का माद्दा रखते हैं, उन सब पर श्री मोदी ने परिवारवाद के नाम पर प्रहार किया। लेकिन ऐसा करते हुए प्रधानमंत्री भूल गए कि ये तमाम दल जनता के साथ से आगे बढ़े हैं। इन दलों में इनके नेता और नेताओं के बच्चों को अगर चुनाव में जीत मिली है, तो इसका मतलब जनता ने उन्हें जिताया है। ऐसे में मोदीजी परिवारवाद के नाम पर जनादेश का अपमान कर रहे हैं। दूसरों पर परिवार को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते हुए श्री मोदी इस तथ्य को कैसे भूल सकते हैं कि खुद उनकी पार्टी में सिंधिया परिवार के चार सदस्य हैं। उनके गृहमंत्री के बेटे बीसीसीआई के सचिव हैं, रक्षा मंत्री के बेटे विधायक हैं और ऐसी सूची बहुत लंबी है।

विदेश से लौटते ही चुनाव का मोर्चा संभालने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी दलों के एकजुट होने की कोशिश पर भी कटाक्ष किया। उनसे पहले भाजपा के दूसरे बड़े नेता 23 जून को पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक पर पहले ही तंज कस चुके हैं। किसी ने इसे गिद्धों की महफिल बताया, किसी ने फोटो खिंचवाने का उलाहना दिया, तो किसी ने काठ की हांडी चढ़ने का फ़िकरा कसा। अब मोदीजी की बारी थी, तो उन्होंने भ्रष्टाचार के बहाने विपक्षी एकता पर निशाना साधा। श्री मोदी ने कहा कि हर चोर-लुटेरे पर कार्रवाई की गारंटी मैं दे रहा हूं। जिसने गरीब और देश को लूटा है, उससे हिसाब होकर रहेगा। कानून का डंडा चल रहा है, जेल की सलाखें सामने दिख रहीं हैं तो ये दल जुगलबंदी कर रहे हैं। विपक्षी एकता के पीछे 20 लाख करोड़ के घोटाले की गारंटी है। 

सनद रहे कि कांग्रेस ने कर्नाटक में भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और उसे चुनाव में जीत मिली थी। अब मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस ने भाजपा सरकार के घोटाले गिनाने शुरु किए हैं। जिस पर शायद बचाव के लिए श्री मोदी ने पलटवार किया है। हालांकि मोदीजी सत्ता के 9 साल होने के बाद भी हर चोर-लुटेरे पर कार्रवाई की गारंटी ही दे रहे हैं, जबकि उनके पास शासन के लिए एक साल से भी कम का वक़्त रह गया है। ज़ाहिर है ये गारंटी विशुद्ध चुनावी मक़सद से दी गई है। इसी तरह चुनाव से पहले यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता का शिगूफा भी श्री मोदी ने छेड़ा तो इसके पीछे एक बार फिर श्मशान-कब्रिस्तान और बजरंग दल-बजरंग बली वाली कोशिशें नजर आ रही हैं।

समान नागरिक संहिता एक संवेदनशील और जटिल मुद्दा है, जिसका असर सभी धर्मावलंबियों और जातीय समुदायों पर पड़ेगा। मोदीजी ने अमेरिका में कहा कि हमारे यहां लोकतंत्र को पूर्वजों ने संविधान में ढाला है। तो उन्हें एक बार संविधान बनाने की प्रक्रिया को समझना चाहिए और देखना चाहिए कि क्यों हमारे पूर्वजों ने इस मुद्दे पर कानून का डंडा दिखाते हुए कोई फ़ैसला न लेकर इसे वक़्त के साथ, धैर्य से सुलझाने के लिए छोड़ा। चुनावी फायदे के लिए बाबरी मस्जिद तोड़ने, राम मंदिर बनाने और कश्मीर से उसका विशेषाधिकार लेने जैसे कई फ़ैसले भाजपा ले चुकी है और ऐसे हर फैसले से देश के सामाजिक ताने-बाने को नुक़सान पहुंचा है। इससे पहले कि ये नुक़सान और बढ़े भाजपा को संभल कर कदम उठाना चाहिए।

देशबन्धु से साभार

Exit mobile version