Site icon अग्नि आलोक

मोहन चंद

Share

मोहन चंद
एक क़मीज़ है
जिसे रोज धोता है
रोज सुखाता है
रोज पहनता है
सादा जीवन
उच्च विचार का
जीवित प्रतिरुप
मोहन चंद
करम चंद
भारत नामक मुल्क की
जनाकीर्ण सड़कों पर
अक्सर दिख जाता है
मजबूर मजदूर
रोज घूमता है
दिल्ली की सड़कों पर
कल काम न मिलने की
अपनी छुट्टी पर था
आज सरकार की घोषित छुट्टी पर है
झोपड़ियाँ टूटती रहीं
परिवार उजड़ता रहा
अदालती आदेश पर
हवा में जरुर गूँजता है
स्वच्छता के
अमृत महोत्सव का अनुगूँज
गोल मटोल भाषण
नाटकीय और नटवरीय
डॉयलॉग डेलिवरी
पर, कहां जाये
बिना छत
छतरी, यह
मोहन चंद
करम चंद

राम प्रसाद यादव

Exit mobile version