नरेन्द्र भारती
कहते है ईमानदारी से कमाया पैसा बरकत देता है।ईमानदार आदमी अपने मानवता के लिए किए गए पुनीत कार्यो से अमर हो जाता है।समाज में ईमानदारों की मिसाले दी जाती है। ईमानदारी के रास्तें में मुसीबते बहुत है लेकिन ईमानदारी से किए गए कार्यों के बाद जो खुशी होती है उसे करोडों रुपयों से भी हासिल नहीं किया जा सकता।ईमानदार आदमी पहले दुसरों का भला सोचता है कि कौन असली जरुरतमंद है।ईमानदार समाज के हित में अपना जीवन सर्मपित कर देता है।ईमानदारी कर कोई सानी नहीं है।
ईमानदारी यंुगों-यंगों तक रहती है।ईमानदारी की कभी हार नहीं होती। ईमानदारी एक अच्छी नीति है।आज ईमानदार लोगों की खिल्ली उडाई जाती है।ईमानदारों के खिलाफ पड़यंन्त्र रचे जाते है मगर ईमानदारों पर आंच नहीं आती।ईमानदारी की हमेशा जीत हुई है।यह एक शाश्वत सत्य है। ईमानदार आदमी द्वारा समाज के लिए निस्वार्थ भाव से किए गए महान कार्यो के लिए समाज उसे युगों युगों तक याद रखता है।
वर्तमान समाज में ईमानदारी पर बेईमानी हावी होती जा रही है मगर बेईमानी औधें मुह गिर जाती है।सांच को आंच नहीं आती।ईश्वर भी ईमानदारों का साथ देता है। समाज की रचना के लिए सादगीपूर्ण जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए।मानव को हमेशा समानता व एक समान व्यवहार करना चाहिए। क्योकि जो आदमी भेदभाव करता है वह मानवता के नाम पर कलंक है।कहते है कि व्यक्ति को अपना अतीत नहीं भूलना चाहिए भले ही आदमी कितनी ही उंचाईयां छू लें।एक कहावत है कि मानव कितना भी अमीर हो जाए वह अपना अतीत नहीं खरीद सकता? आज दुनिया में कुछ ऐसे लोग है जो कभी दाने-दाने को मोहताज थे।
मानव को सदा अच्छे कर्म करने चाहिए क्योकि अगर तुम अच्छा करोगे अच्छाई ही मिलेगी दुनिया युगों-युगों तक याद रखेगीं।अभावग्रस्त लोगों की सहायता करनी चाहिए।भूखे को रोटी खिलाओं,जरुरतमंदो की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है।हमेशा अच्छा करोगे तो अमर हो जाओगे। अगर तुम किसी का अच्छा नहीं कर सकते तो बुरा भी मत करो किसी को मत सताओ।पैसे से गुजरा हुआ समय खरीदना नामुमकिन है। पैसा ही सब कुछ नहीं होता मगर आज रिश्तेे तराजू पर तोले जाते है अगर कोई गरीब है तो उसके साथ भेदभाव किया जाता है।वक्त बदलते देर नही लगती इसलिए आदमी को अपना अतीत याद करते रहना चाहिए।ताकि विपतीेेयो का अहसास होता रहे। वर्तमान परिवेश में मानव इतना स्वार्थी व मौकापरस्त होता जा रहा है कि खुद को खुदा से उपर समझने लगा है। आज वह भगवान के साथ छल -कपट तक करने से नहीं चुकता मगर जब उसकी मार पडती है तो होश ठिकाने आ जाते हैं। ऐसे लोगों केा आदमियों की पहचान नहीं होती कि कौन अच्छा है कौन बुरा है।
आज चापलूस लोगों का बोलबाला हो गया है लेकिन खुदा सब देख रहा है समय ने करवट बदली और उनका भाग्य भी बदल गया लेकिन वह लोग अपनी औकात भूल गये कि एक समय ऐसा भी था कि उनके पास एक जोडी कपडे होते थे।खाने के लाले पडे होते थे। आज अच्छे दिन आ गये तो अपनों को भूल गये और हवा में उडने लगें लेकिन असली व नकली पंखों में फर्क होता है कार-कोठी को ही जीवन का लक्ष्य मान अन्य लोगो कों को नीचा दिखाने की कोशिश में लगे व्यक्तियों की पोल आखिकार खुल जाती है, समाज में आत्मकेन्द्रीत लोगों का जमावडा बढता जा रहा है ऐसे लोग सिर्फ अपनों के सिवाय दूसरों का अच्छा नहीं कर सकते ऐसे लोग जानवरों से भी बदतर हैं।एक पत्थर सिर्फ एक बार मंदिर जाता है और भगवान बन जाता है इंसान हर रोज मंदिर जाते है फिर भी पत्थर ही रहते हैं प्रत्येक इन्सान का एक स्वाभिमान होता है उसे बनाए रखना चाहिए भले ही कितनी ही विपति आ जाए अपना स्वाभिमान बरकरार रखना चाहिए मानव को अपने स्वाभिमान के आसू हर जगह नहीं बहाने चाहिए।जीवन में हम अनेक सुख-दुख देखते है,परन्तु क्या हमने किसी और के लिए कुछ करने के बाद सच्चे सुख की अनुभूति की है दूसरों को अपनी सामथ्र्य के अनुसार दीजिए ,खासकर उन्हे जो अनेक चीजों से वंचित ही रहे या जिन्हे दुख के सिवाय कुछ भी नहीं मिला।
आप महसूस करेगें कि परोपकार का काम करने के बाद आपके होंठों पर आई मुस्कराहट दुनियाभर की दौलत से भी मंहगी होगी।मानव नंगा आता है नंगा ही चला जाता है इस संसार में जो पैदा हुआ है उसे एक दिन इस नश्वर संसार को छोडना ही है आधुनिक युग में जीवन मूल्यों में गिरावट समाज में विष घोल कुंठा उत्पन्न कर रही है तनिक लाभ के लिए लोग अपना जमीर बेच रहे हैं। मानव को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए।समय बहुत ही बलवान है वक्त के थपेडों से कोई नहीं बच पाया है।कहते अपने ही काम आते है मगर आज आदमी ही आदमी से नफरत कर रहा है कुते बिस्किट खा रहे है मगर मानव भूख से त्रस्त है क्या मजाल की कोई भूखे को रोटी का निवाला दे। आदमी नरभक्षी बनता जा रहा है प्रतिदिन शराब,मांस ,मदिरा का प्रयोग कर रहा है। इंसान फितरती होता जा रहा है। मानव विलासिता पर धन खर्च कर रहा है। सुख में तो सभी साथ होते है मगर दुख में साथ छोड देते है ,आदमी आज गिरगिटों की तरह रंग बदलता है। आज मानव मतलब निकल जाने पर पहचानने से इन्कार कर देता है। आज मानव ने भले ही कितनी प्रगति कर ली है मगर सोच वही सामंतवादी है।
आदमी को सादगी व उच्च विचारों मे विश्वास रखना चाहिए। अतः प्रत्येक इन्सान की जितनी सहायता हो सके करनी चाहिए। आदमी को कभी भी किसी का निरादर नहीं करना चाहिए ,प्रत्येक मानव का आदर -सत्कार करना चाहिए। जीवन एक बार बार-बार नहीं मिलता है, आदमी को समय से डरना चाहिए क्योकि वक्त का कोई पता नहीं कि कब कौन मिट्टी में मिल जाए।हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए क्योकि सच्चाई की सदा जीत हुई है।यह अटल सत्य है।समाज में बेईमानों का सत्यनाश हुआ है। खुदा के घर में देर है अन्धेर नहीं है।ईमानदारी की सदा ही विजय हुई है।