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लिपाक्षी के साथ नीट परीक्षा में फर्जीवाड़ा

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सुसंस्कृति परिहार

 याद आ रहा है, मध्यप्रदेश का चर्चित व्यापम घोटाला जिसके  शिकार छात्र आज भी अपनी तमन्नाओं के धुंआ के साथ जी रहे हैं। यह मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला देश के बहुचर्चित घोटाले में से एक है। व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं ) के तहत मध्य प्रदेश में सन 2004 से 2014 के मध्य 79 परीक्षाएं आयोजित की गई थी। 2013 में व्यापम के घोटाले का पता चला था।इस काल खंड में शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे। ज़ब पहली बार इंदौर पुलिस ने इस घोटाले मे शामिल 20 मुन्ना भाइयों को गिरफ्तार किया था। ये मुन्ना भाई मूल परीक्षार्थी की जगह परीक्षा देने आये थे। जब इस पूरे मामले कि जांच की गई तो इसमें परत दर परत खुलती गई। इसके साथ ही इस घोटाले मे कई बड़े लोगों और नेताओं के नाम सामने आये थे। इस घोटाले के उजागर होने के बाद इससे जुड़े हुए 48 लोगों की मौत भी हो चुकी है।इस मामले में सिर्फ पांच लोगों को सजा हुई बाकी सभी अहम लोग चैन में हैं।आज भी चौहान मुख्यमंत्री हैं।

 इसके बाद ये खैरियत रही कि 5 मई, 2013 से देश में पहली बार नीट परीक्षा आयोजित की जाने लगी गई जो कि स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों चिकित्सा प्रोग्रामों में प्रवेश पाने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए थी।बच्चे सुकून में थे। उधर मध्यप्रदेश सरकार ने व्यापम बदनाम हुए नाम को बदल दिया उसे कर्मचारी चयन बोर्ड नाम दिया गया और चिकित्सा क्षेत्र में जाने वाले बच्चे राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में शामिल होने लगे मूलतः इसे अंग्रेजी में इसे National Eligibility cum Entrance Test- NEET) कहते हैं  हिंदी में इसे राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा कहते हैं। राष्ट्रीय परिक्षण एजेंसी (NTA) ऑफलाइन मोड में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) का आयोजन हर वर्ष करती है।सूत्र बता रहे हैं कि भविष्य में नीट परीक्षा को पुनःराज्य मेडिकल कालेज की अपनी परीक्षा बनाने का विचार चल रहा है यह इसलिए कि इसमें के राज्यों के बच्चे चयनित नहीं हो पाते हैं।

 बहरहाल इस बार नीट 2022 मेडिकल प्रवेश परीक्षा 91,415 एमबीबीएस, 26,949 बीडीएस, 52,720 आयुष,525 बीवीएससी और एएच सीटों पर प्रवेश के लिए आयोजित की गई थी।इस परीक्षा के लिए 18.72 लाख उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन सिर्फ 16 लाख से अधिक उम्मीदवार ही इसमें शामिल हुए थे।

जिनमें एक थी लिपाक्षी पाटीदार।जो मध्यप्रदेश केआगर जिले के नलखेड़ा के पास भेसोदा गांव में रहने वाली किसान की बेटी थी।कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षा में उसने सभी विषयों में डिस्टिंगशन पाया था , 87प्रतिशत अंक पाए थे।इन अंकों ने उसके मनोबल को बढ़ाया था तभी से उसके मन में चिकित्सक बनने का विचार पल्लवित हुआ उसने बाॅयलाजी विषय लिया और कक्षा  12वीं बोर्ड परीक्षा  भी उसने सभी विषयों में विशेष योग्यता लेकर उत्तीर्ण की ।इस बार उसने 80%अंक प्राप्त किए और योजनानुसार अपने परिवार की अनुमति से कोटा में नीट की तैयारी की और नीट  2022 में शामिल हुई।

सात सितंबर को जब नीट का परिणाम आया तो लिपाक्षी और उसके परिवार के होश उड़ गए। उसे कुल टोटल जीरो मिला था ।लिपाक्षी को गहरा झटका लगा किंतु दूसरे ही पल वह संभल गई।उसने मंथन किया सोचा कि 200 प्रश्नों में से 161प्रश्न उसने हल किए थे जो सही थे। उसे 640अंक मिलने की जगह शून्य कैसे मिला तब उसने अपनी ओरीजनल आंसर शीट से जारी शीट का मिलान किया तो वह अवाक रह गई उसका कहना है कि उसने जब अंगूठा लगाया था तो वह बीचों-बीच नहीं लगा था ।जारी आंसरशीट में वह गोले के बीच में था।उसके हस्ताक्षर भी पेस्ट किए हुए लग रहे थे। इस जांच के बाद परिवार जनों की सहमति और सहयोग से लिपाक्षी ने इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी है।शक है कि उसकी आंसरशीट बदल कर फर्जीवाड़ा किया गया है।

अगर ऐसा नीट में फर्जीवाड़ा हुआ है तो यह मध्यप्रदेश के व्यापम की तरह बहुत चिंताजनक है। बच्चों का भविष्य क्या इसी तरह के सवालों से जूझने में खत्म किया जाना है।व्यापम  में बच्चों के लिए कुआं था तो यहां खाई है।वे कहां जाएं इसकी गंभीरता से तहकीकात होनी चाहिए।लिपाक्षी और उसके परिवार की सराहना करनी चाहिए जिसने उसे  इस ख़बर पर मानसिक धैर्य रखते हुए आत्महत्या जैसा कदम ना उठाकर गंभीरता से सोच विचार कर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने तैयार किया ।उम्मीद की जानी चाहिए कि इस घटना में लिप्त तमाम जिम्मेदार लोग दंडित होंगे और लिपाक्षी को न्याय मिलेगा ।लिपाक्षी पाटीदार किसान की बेटी है अपने लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है न्याय में देरी हो सकती है इसलिए उसने सन् 2023नीट की तैयारी और वेग से शुरू कर दी है। सलाम तुम्हें।लिपाक्षी का अर्थ तेलुगू में उड़ता पक्षी होता है।तुम गगन में अपने पूरे मन से उड़ान भरो। तुम्हें कोई नहीं रोक सकता ।हज़ारहा मुबारकें।

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