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नेहरू का जिन्न ?

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सनत जैन

लोकसभा में बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर, एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधा। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2023 के माध्यम से 70 वर्षों से जम्मू कश्मीर के जो लोग अपमानित हुए हैं। जिन पर अन्याय हुआ है। जिनकी अनदेखी की गई है। उनको न्याय दिलाने वाला बिल है। अमित शाह यही नहीं रुके उन्होंने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के कारण पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की समस्या उत्पन्न हुई। पूरा कश्मीर भारत में मिलाये बिना ही सीज फायर कर लिया। वरना पाक अधिकृत कश्मीर भी भारत का हिस्सा होता। लोकसभा में अब पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू तो जवाब देने के लिए आएंगे। नाही श्यामा प्रसाद मुखर्जी सदन में हैं, जो इस संबंध में अपनी बात रख पाते। कश्मीर में उस समय किस तरह के हालात उत्पन्न हुए थे। किस तरह अंतिम क्षणों में रियासत का विलय भारत में हुआ। उस समय की परिस्थितियों क्या थी। उस समय उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों ने क्या सोचकर निर्णय लिए।

75 साल पुरानी घटना को याद करते हुए, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को नकारा बताने और अपने आपको बेहतर बनाने का जो प्रयास किया जा रहा है। देशभर में अब उसकी तीव्र प्रतिक्रिया होने लगी है। आज के सत्ताधीस जो निर्णय ले रहे हैं। वह कितने सफल हैं, कितने असफल हैं। इसके बारे में तो आने वाला समय ही बतायेगा कि वर्तमान के निर्णय सही हैं। या पूर्व में लिए गए निर्णय उन परिस्थितियों के सही निर्णय थे। धारा 370 हटाए जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने जो कहा था, वह आज पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है। कश्मीर घाटी में पिछले 5 वर्षों में जितनी आतंकी घटनाएं हुई हैं।

उतनी उनके पहले के वर्षों में नहीं हुई हैं। 157 से ज्यादा जवान शहीद हुए हैं। धारा 370 को लेकर जो शांति का वायदा किया गया था। वह शांति तो कायम नहीं हो पाई। कश्मीर से का जो वादा किया गया था। वह पूरा नहीं हुआ उल्टे कश्मीरी पंडितों की हत्या हुई। उसके बाद भी यदि हम अपने कामों को सही ठहराते हुए पूर्ववर्ती के लिए गए निर्णय की ओट में छिपने का प्रयास करते हैं। तो यह सही नहीं कहा जा सकता है। गडे मुर्दे की कब्र उखाड़ने से मुर्दे चलते नहीं है। जिन में जीवन होता है, उन्हीं को चलाया जा सकता है। वर्तमान केंद् सरकार जो भी निर्णय लेगी। वह वर्तमान के लिए हैं। भविष्य इसका फैसला करेगा, कि जो निर्णय लिया गया था। वह सही है, या नहीं। यदि हम अपने पूर्वजों को कोसते हैं।

उनको नालायक साबित करते हुए अपने आप को लाइक बताने का प्रयास करते हैं। तो वर्तमान में तो यह संभव हो भी जाएगा। लेकिन भविष्य में जो अपने पूर्वजों के साथ हमने व्यवहार किया है। वही हमारे साथ भी होना तय है। लोकसभा में चर्चा के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सरकार को कश्मीर मामले में बहस करने की चुनौती दे दी। सरकार ने भी उस चुनौती को स्वीकार किया। बाद में बट किंतु परंतु करके इस मामले को टाल दिया गया।

वर्तमान सरकार जिस तरह से पिछले 70-75 वर्षों के कार्यों के लिए पूर्व राजनेताओं को जिम्मेदार बताकर अपने आप को श्रेष्ठ बताना चाहती है। उसके लिए अपनी लाइन को और लंबा करना पड़ेगा। अभी कोई भी निर्णय लेते समय यह कह देना कि हमारे पूर्वजों ने गलती की थी। अब हम उसे सुधार रहे हैं। आप सुधार रहे हैं या बिगाड़ रहे हैं। इसका निर्णय तो आने वाला समय ही करेगा। जो हमने अपने पूर्वजों के साथ किया है। हमारे वंशज भी वही हमारे साथ करेंगे। क्योंकि उन्होंने जो देखा है,जो सुना है वही समझा है। आने वाली पीढ़ी से हम इसके अलग कोई व्यवहार की उम्मीद नहीं रख सकते हैं। यह हम सभी को ध्यान में रखना ही होगा।

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